आज विजलपोर शहर विकास और अच्छे दिनों की याद मे ओक्सीजन पर आ गया है। विजलपोर शहर के जिस राह पर महात्मा गांधी गये थे। आज वह शहर वह विजलपोर नगर पालिका कलियुगी ईमानदारी के अंतिम पडाव मे पहुच चुकी है। विजलपोर नगरपालिका भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है। विजलपोर नगरपालिका वर्षों से पढें लिखे अधिकारियों की राह देख रही है। सरकार अच्छे भले कार्यालय को बंद करवा कर एक नया कमिश्नरी चालू करवाया। जहाँ तक अब दुखी जनता पहुंच ही नही सकती। शासन प्रशासन अदृश्य हो चुके है। सत्ता पक्ष को अब अपने से ज्यादा दूसरे का अच्छा लगने लगा। इसलिए अब ए खुद ही जा रहे है।
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