Sunday, October 4, 2020

गुजरात:- नवसारी जिले में शिक्षा विभाग में लघुमती के नाम पर धडल्ले से चल रहा है व्यापार ...! शासन प्रशासन की मिली भगत से ......? जवाबदार कौन..?

गुजरात:- नवसारी जिले में शिक्षा विभाग में  लघुमती के नाम पर धडल्ले से चल रहा है व्यापार ...! शासन प्रशासन की मिली भगत ......?                      जवाबदार कौन..?   

गुजरात के लगभग सभी जिलो में आज वर्षो से शिक्षा का एक बडे व्यापार के रूप में चल रहा है। अचानक नवसारी जिले के एक प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के आगमन से इस व्यापार की पोल खुल गयी। आज लघुमती के नाम पर कुछ को छोडकर सभी धर्म समुदाय के नाम पर अपने आपको शिक्षा के क्षेत्र में भी जहां गुरू को भगवान से बडे का दर्जा आज सदियों से दिया जा रहा है। आज भी कुछ तथाकथित असमाजिक तत्वो के द्वारा इसी शब्द का प्रयोग कर कर अपने आप को भगवान बताने में लग चुके हैं। हालांकि इसमें ज्यादातर कृष्ण की जन्म स्थली पर अपना साम्राज्य स्थापित कर चुके हैं। और जो बाकी हैं उन्हे भी सरकार कुछ ही समय में पहुंचाने के लिये विशेष प्रबन्ध कर रही है। आज किसी भी देश का विकास शिक्षा के विना सोचना भी एक जुमले से कम नही है। किसी भी देश का विकास तभी संभव है जब उसकी खास करके शिक्षा प्रणाली अति आधुनिक हो। परंतु भारत देश की यह दुर्भाग्य है कि जिससे विकास हो उसे यहां व्यापार बना दिया जाता है। आज देश के विकास के लिये सरकार जब तक शिक्षा के क्षेत्र में जब तक अपना सबसे अधिक योगदान और अति आधुनिक शिक्षा प्रणाली को नही लाती तबतक भी एक जुमला ही रहेगा।और यह व्यापार में आज सभी धर्म, राजनीति, शासन, प्रशासन के सभी छोटे बडे शामिल है। शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात के लगभग सभी जातियां सामिल तो हो गयी परंतु जिस जाति के आधार पर ए अपने आप को लघुमती साबित कर रहे है उस जाति के कितने बच्चो को यह शिक्षा दे रहे हैं । और अपनी उस जाति के बच्चो को किस तरह किस प्रकार किस भाव से किस कीमत से इन्हें शिक्षा देनी है । यह उन्हे पता नही है अथवा बापु दर्शन करवाने के बाद इसकी जरूरत नही पडती इसका अब जल्द ही पर्दाफास होने वाला है। 

                                                नवसारी जिले में आज तक सभी लघुमती के नाम पर एक व्यापार चलाया जा रहा था । और यह तभी तक संभव होता है जब तक प्रशासनिक अधिकारी आरक्षण बापुदर्शन अथवा परमोशन के द्वारा आये हो। परंतु यह उन सभी लघुमती के नाम पर व्यापार करने वालो का दुर्भाग्य है कि गरीब बच्चों का सौभाग्य । आज अचानक इन लघुमती के नाम पर व्यापार करने वालो में एक ऐसे प्राथमिक शिक्षा का पर्दाफास हुआ है जिस कोम को यहां नवसारी के आधार का एक मुख्य भाग माना जाता है। फिलहाल अब इसे पर्यावरण और मानव अधिकार संस्था में जब फरियाद की जा चुकी है। और इस लघुमती के नाम पर व्यापार की खबरे गुजरात के नियामक श्री शिक्षा विभाग तक पहुंचाई जा चुकी है । और बात निकली है फिर दूर तक जायेगी इसमें कोई शक नही। इसके पहले भी प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में आरोग्य जांच ,आसन पटा,पीने का पानी वगेरे आवश्यक सुविधाओ जैसी कई जरूरतो को इसके द्वारा पूरा करवाया गया है। अब देखना दिलचश्प होगा कि गुजरात के नियामक श्री प्राथमिक और उच्चतर इस समाचार के उपर किस प्रकार से संज्ञान लेते हैं। लघुमती सर्टीफिकेट किस आधार पर दिये जाते हैं ? लघुमती सर्टीफिकेट धारक स्कूल में उनकी जाति के कितने बच्चे पढते हैं ? लघुमती सर्टीफिकेट देने के बाद सरकार के नियमानुसार उसकी जांच कितनी बार और किन-किन अधिकारियों ने कब कब किया ? लघुमती सर्टीफिकेट धारक क्या उस समाज को मफत शिक्षा दे रहे हैं? लघुमती जाति होने से क्या शिक्षा में व्यापार की छूट दी जा सकती है ?मुफ्त शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 से बचने के लिये ही लघुमती सर्टीफिकेट दिये गये हैं? आज ऐसे कई सवाल अभिभावको और जानकारो द्वारा पूछे जा रहे हैं? 

                                                        गुजरात के मुख्य मंत्री श्री जो खुद कायदे कानून के तजज्ञ हैं। और गुजरात के शिक्षा संबंधी आज सभी उपरोक्त सवालो के घेरे में हैं। और उपरोक्त सभी सवालो के संतोषकारक जवाब ही नहि परंतु इस पर आज तत्काल कार्यवाही करने की जरूरत है । आज सरकार पहली वार नई शिक्षा नीति बनाई है क्या इन सवालो का कोई पर्याय नई शिक्षा नीति में शामिल है? फिलहाल इस समाचार का कोई असर होगा..?  इस पर सभी की नजरे गडी हुई हैं।

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