Tuesday, November 24, 2020

कोरोना अभी जिन्दा है.. महामारी अभी बाकी है... सुरक्षा, शान्ति, सुपाच्य भोजन, स्वदेशी में समझदारी- लोकरक्षक हेल्थ केर नवसारी गुजरात

कोरोना अभी जिन्दा है.. महामारी अभी बाकी है...
 सुरक्षा, शान्ति, सुपाच्य भोजन, स्वदेशी में समझदारी- 
लोकरक्षक हेल्थ केर नवसारी

     आज एक बार पुनः गुजरात के कई प्रमुख शहर अहमदाबाद, सूरत,राजकोट आदि पर कोरोना वायरस अपनी मौजूदगी ,विकराल स्वरूप में दर्ज करवाई है। और अहमदाबाद में अपने पिछले सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। और इसकी वजह मात्र लापरवाही मानी जाती है। सूत्रों के हवाले से चर्चित खबरो की माने तो इसमें शासन प्रशासन के द्वारा की गई रैलियों में पूरे देश में चुनाव में कोरोना संक्रमण की सुरक्षा नीतियों की ऐसी की तैसी करना प्राथमिकता से माना जाता है। इतनी विकराल भीड़ को वारंवार प्रतिदिन और किसी भी प्रकार के प्रतिबंध न होने के बावजूद कोरोना संक्रमण की गैरमौजूदगी से सामान्य नागरिकों में भय खत्म होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसे नकारा भी नही जा सकता। नेतागण जहाँ जहाँ गये हजारों से लाखो की भीड़ लगभग बिना किसी मास्क और शोशियल डिस्टेंस की देखी गई। और सरकार के साथ कोरोना महामारी के सभी नियम राजनेताओं के सामने नतमस्तक नजर आये। और दिलचस्प नजारा देखा गया कि वायरस भी नजदीक आने तक ही हिम्मत नही किया। और अब जब चुनाव की सभी प्रकृया लगभग शान्त हो चुकी है तत्काल कोरोना वायरस अपने विकराल रूप में प्रगट हो चुका है। और यह नजारा भारत ही नही अमेरिका जैसे महान वैज्ञानिक देशो में देखा गया। और खासकर यहाँ किसी प्रकार से दुष्प्रचार भाव में लेने की जरूरत नही है। और न ही कोरोना जैसी महामारी के बारे में कम करके आकने का कोई उद्देश्य है। परंतु हकीकत से मुंह मोड़ा नही जा सकता। कोरोना वायरस जैसी महामारी संक्रमण से सुरक्षा के नियमो के साथ खान-पान, रहन- सहन में बदलाव लाने की सख्त जरूरत है। बाहर अथवा घर पर आप कहीं भी रहें सुपाच्य भोजन सभी बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए आयुर्वेद में प्राचीन समय से उल्लेख किया गया है। आहार आपकी सर्वश्रेष्ठ औषधि है। पश्चिमी सभ्यता में रहन सहन और खान पान से सर्वाधिक बीमारियों का जन्म होता है। भारतीय पूर्वजों और ऋषियों के आहार विहार खान पान पद्धतियों को पुनः अपनाने की अत्यंत आवश्यकता है। भारत वर्ष जड़ी बूटियों का देश है। हजारो वर्ष पहले से इन्हीं जड़ी बूटियों के प्रयोग से सभी असाध्य बीमारियों से मुक्ति प्राप्त करने का विवरण आज भी विद्यमान है। आज पुनः भारत को विश्व गुरु बनाने में इनके सिवा कोइ विकल्प नही है। आधुनिक वैग्यानिक पद्धति के साथ यदि इसे जोड़ दिया जाये फिर भारत जैसे विशालकाय देश के सामने दूर दूर तक कोइ नजर नही आता। सरकार को भी इस दिशा में प्राथमिकता से विचार कर काम करने की जरूरत बताई जाती है। विकास समृद्धि सरकार स्वास्थ्य के विना एक जुमला है। क्योंकि इसके सभी शाष्त्रो में उल्लेख है कि पहला धन निर्मल काया यानी स्वास्थ्य ही है। सभी नागरिकों को सकारात्मक दृष्टिकोण से सोचने और काम करने की जरूरत है। जागरूकता अभियान अभी तक सभी क्षेत्रों में अग्रसर पाये जाने का इतिहास है।नियम और कानूनो को तोड़ने की मानसिकता प्राचीनकाल से पायी जाती है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण गुजरात के दारूबंदी से भी देखा जा सकता है।और इसे यदि आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाय तो जहाँ जितने सख्त नियम निर्मित हैं। उतने ही जोर से तोड़ने को यहाँ अक्सर कामयाबी समझा जाता है।अब इसे हर क्षेत्र में देख सकते हैं। आज महिलाओं के सभी प्रकार के शोषण भी जानकार और आध्यात्मिक वैग्यानिक इसी क्रम में मानते हैं।  सरकार के सभी नियमो को पालन करने के लिए सभी क्षेत्रों, धर्मगुरुओं , नेताओं समाज के अग्रणियो के साथ शोशियल मीडिया के धुरंधरो को सबसे पहले जागरूकता अभियान में लाने के साथ बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की जरुरत है। और सरकार को सख्ती से ऐसे जागरूकता अभियान में एक बार अवश्य सोचना चाहिए।
नवसारी जिले में जब से नवसारी नगरपालिका में विजलपोर के साथ आठ ग्राम पंचायतों को समाविष्ट किया गया । तभी से यहाँ कोरोना संरक्षण रोकथाम के उपाय को ही कोरोन्टाइन कर दिया गया है। पहले एक केस आने पर ही साफ सफाई दवा का छिड़काव किया जाता था। अब यह सभी काम सिर्फ़ गैरकायदेसर एरकंडीशन में ही कर लिया जाता है। नवसारी जिले में रिकवरी रेट गुजरात में सर्वश्रेष्ठ है। जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करते हैं। नवसारी जिले में तीन चौथाई से ज्यादा नागरिकों की जवाबदेही सर्वोच्च अधिकारी श्री नागरिकों से मिलने को गुनाह समझा जाता है। अभी तक चल रही खबरो के अनुसार नवसारी जिला पंचायत में गुजरात विकास कमिश्नर के हुक्मो को अनादर करने को प्राथमिकता दी जाती है। 

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