Saturday, November 7, 2020

मार्ग और मकान स्टेट में कायदे कानून की उड़ रही हैं धज्जियां..! RTI की ऐसी की तैसी कर रहे नवसारी जिले के विभागीय अधिकारी श्री ....? करोड़ो रूपये के ग्रान्ट का अधिकारियों ने जमकर तला पकौड़ा..? जवाबदेही किसकी ?

 
मार्ग और मकान स्टेट में कायदे कानून की उड़ रही हैं धज्जियां..! 
RTI की ऐसी की तैसी कर रहे मार्ग और मकान के अधिकारी श्री ..?
सरकार के करोड़ो रूपये के ग्रान्ट का अधिकारियों ने जमकर तला पकौड़ा..? जवाबदेही किसकी ?
        गुजरात राज्य आज सबसे समृद्ध विकास शील और पारदर्शक सरकार के रूप में पूरी दुनिया में प्रख्यात है। परंतु जमीनी हकीकत में एक अर्शे से यहाँ आरक्षण और बापु दर्शन वाले अधिकारियों ने कब्जा कर बदनाम कर रखा है। और आज परिणाम बहुत ही खतरनाक मिल रहा है।चंद अधिकारियों ने इस विभाग को भ्रष्टाचार का पूरा बाजार बना दिया है। गुजरात सरकार कोरोना जैसी बीमारी जैसे निपटने के लिए एडी चोटी का जोर लगाकर रखा है। और सरकार की नीति और किये गये कामो की जितनी सराहना किया जाये कम है। परंतु यह अभी संचालन करने के लिए सरकार के चंद सर्वोच्च अधिकारी इसे आरक्षण और बापु दर्शन से आये अधिकारियों ने इसे भ्रष्टाचार के मार्केट में उतार दिया है। मार्ग और मकान राज्य की अधीक्षक इजनेर वर्तुल कचेरी सूरत जो करीबन पांच जिलो से जुड़ी हुई है। भ्रष्टाचार की फरियाद यहाँ करोड़ों से शुरुआत होती है। सूत्रों के हवाले से मिल रही खबरो के अनुसार इस कार्यालय में जवाबदार अधिकारी ढूढ़ना चंद्रमा को धरती पर उतारने के बराबर माना जाता है। भ्रष्टाचार विरुद्ध भारत सरकार की सबसे बड़ी योजना मानी जाती है। परंतु उसे भी अभी मंगल जैसे अग्नि कारक ग्रह से जोड़कर देखा जा रहा है। गुजरात में ऐसी योजना जिसका संचालन करने मात्र से बड़े बड़े धुरंधर राजनेता से लेकर सर्वश्रेष्ठ अधिकारी तक फसते नजर आ रहे हैं। इसलिए उसे भी अभी अमलीजामा पहनाना बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसा मुहावरा सिद्ध होता नजर आ रहा है।मार्ग और मकान राज्य की कचेरी में आज कुछ ऐसा नजारा सामने आया है। इस महत्वपूर्ण कार्यालय में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर चल रही खबरों के सत्यापन के लिये सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के द्वारा एक सूचना नवसारी वलसाड सूरत तापी और डांग जिले से मागी गयी है। जिसमे मिल रही सूचना के अनुसार आरक्षण के साथ सेटिंग डोट कोम वाली वेबसाइट अपनी चरमसीमा पर जमकर कार्यरत है। यहां ज्यादातर जवाबदार  जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारी करार आधारित अथवा इनचार्ज हैं । कोरोना जैसी महामारी यहां भ्रष्टाचार के सामने अदना साबित हो चुकी है।वलसाड नवसारी  और सुरत जैसे जिलो में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। 
                             आधुनिक शोधकर्ताओ ने भी माना कि यह भ्रष्टाचार वाली बीमारी प्राचीनकाल से चली आ रही है और अभी तक इसके कई रूप मिल चुके हैं। यह दिमाग पर ज्यादातर असरकारक है। यह एक बार जब पकड़ ले फिर यह धन इकट्ठा करने वाली बीमारी निधन के पहले छोड़ नही सकती है। और इसी जाल में इसी बीमारी का शिकार आज मार्ग और मकान ( स्टेट )की कचेरी हो चुकी है। गुजरात राज्य के सीमावर्ती जिले जैसे नवसारी, वलसाड, सूरत, तापी और डांग सूरत वर्तुल कचेरी के अंतरगत आते हैं। गरीबो, मजदूरो, महिलाओं आदिवासियों, आर्थिक पछात ,दलितों को सर्वाधिक रोजगार देने वाला यह सर्वश्रेष्ठ विभाग है। यहाँ हर काम में ज्यादातर इसी वर्ग से लोग काम करते नजर आते है। और सरकार आज इन्ही का मसीहा होने का दावा करती है। दावा ही नही करती कई नियम भी बनाए है। आजादी के बाद तत्काल सरकार ने लघुतम मासिक वेतन अधिनियम 1948 बनाया। जिसे आज तक हर तीसरे महीने समीक्षा कर सभी जिलो में जिला कलेक्टर के साथ श्रम रोजगार मंत्रालय भारत और राज्य सरकार के द्वारा सभी कचेरियों में भेजा जाता है।आज इसे 72 सालो के बाद भी ऐसा कानून जिसके बारे में यहां अधिकारी न जानते हैं और न ही मानने को तैयार नजर आते हैं। जब कि इस कायदे की किताब में अंग्रेजी भाषा में लिखी लाइनो को पढ़े उसमे स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि कोन्ट्राक अथवा किसी भी माध्यम से आया हुआ हर मजदूर अथवा कर्मचारी को मिल रहे वेतन और सभी प्रकार की सुविधाएं सुनिश्चित करने की संपूर्ण जवाबदेही उस कार्यालय के प्रिंसिपल एम्पलोयर यानी मुख्य अधिकारी की है। और अभी कोरोना जैसी महामारी में सभी मजदूरों का बीमा करना अनिवार्य हैं। जानकारो की माने तो यह सभी ज्यादातर अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। और यहाँ अधिकतर अधिकारियो को गुजराती भाषा में फाफा है। अंग्रेजी कहां खरीदने जायें।  और वह मिल भी नही पाती। हालत यहाँ तक पहुंच चुकी है कि यहां एक वलसाड जिले के कार्यपालक इजनेर ने अरजदार के दिये गये पते में संस्था को अरजदार मानकर सीधा सूचना देने से इनकार ही कर दिया । जानकारो से पता चला कि सदर महाशय ऐसे ही हर जगह उल्टे सीधे अंट शंट जवाब देते हैं। और उन्हे भी गैरकायदेसर जबरन बैठा दिया है। हकीकत में वर्ग एक का अधिकारी का कार्यभार वर्ग एक को देने की परंपरा पूरे गुजरात में है। परंतु मार्ग और मकान स्टेट की कचेरी इस नियम को नही मानती। जबकि नवसारी जिले में चल रहे कायदे की माने तो कलेक्टर का चार्ज अधिक कलेक्टर को आज तक नही दिया गया ।जबकि हकीकत में लगभग सभी काम अधिक कलेक्टर के पास ही करवाया जाता है। और यहाँ जागृत नागरिकों में चल रही लोक चर्चा की माने तो यहाँ भारत सरकार हो राज्य सरकार के कायदे की मान्यता समयानुसार बदल दिया जाता है। इस कार्यालय में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 हो या सेवा का अधिकार 2013, लघुतम मासिक वेतन अधिनियम 1948 हो या भ्रष्टाचार अधिनियम 1986,कर्मचारी राज्य बीमा निगम के नियम हो या गुजरात राज्य सेवा वर्तणुक नियम 1971 जन हित ,भ्रष्टाचार संबंधित जैसे नियम यहाँ नही माने जाते। अब देखना दिलचस्प होगा कि सदर कचेरी के द्वारा किये गये बिल्डिंगो और बनाये गये रोडो में कितनी बार और किस प्रकार से जांच किये गये हैं। आज तक सबसे कम समय में बिल्डिंग इसी विभाग की बनाई गई या तो गिर जाती है या क्षतिग्रस्त हो जाती है। रोडो की हालत हर साल बिगड़ जाती है। यहाँ वैसे दर्जनो इंजीनियर काम करते हैं। 
                    नवसारी जिला जो सदियों से संस्कारी नगरी के रूप में प्रख्यात था आज इसे भ्रष्टाचार की नगरी में ऐसे चंद अधिकारियो ने तब्दील कर चुके हैं । नवसारी जिले के चिखली  के  विभागीय अधिकारी श्री तो सीधा सरकार के द्वारा दिये गये जमीन पर जबरन कब्जा करने की खबरे आज चर्चित हो चुकी हैं। वैसे सूचना का अधिकार जिसे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रीने कहा था कि आर.टी.आई से भ्रष्टाचार कम हुवा वही लोकनायक  युग पुरूष के रूप में चर्चित प्रधान मंत्री श्री मोदी जी ने एक  सभा को संबोधित करते हुए कहा है कि आरटीआई का मतलब सवाल पूछने का अधिकार। परंतु यहां आरटीआई का यहां पूरा मतलब ही अलग कर दिया है। आज सरकार की सभी कोशिशे और कानून कोरोना ग्रस्त हो चुकी है। सरकार को फिलहाल नये ढंग से पुन: सोचने की जरूरत मानी जाती है।  इस समाचार की कितनी गंभीरता ली जाती है सभी पाठकों और जांच कर्ताओ की नजर अवश्य रहेगी।

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