Friday, November 27, 2020

वलसाड जिले में अवैध निर्माणो पर चला बुलडोजर...! भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर कार्यवाही कब..?

वलसाड जिले में आज कुछ महीनो से लगातार अवैध निर्माण बताकर नगरपालिका के चंद अधिकारियों ने दिल खोलकर बुलडोजर चलवाकर अपने आप को कमिश्नर राव की पदवी हासिल कर रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक फैसला बनाव बन चुका है। और गुजरात के उच्च न्यायालय ने शायद कुछ इसी तरह का फैसला भी सुनाया होगा। जिसके ऊपर सवाल उठाना लाजमी नही होगा। परंतु जमीनी हकीकत में इसका दूसरा पहलू भी आज जानना जरूरी है। आज वलसाड नगरपालिका वर्षों से भ्रष्टाचार के दलदल में फसा हुआ है? वलसाड नगरपालिका करोड़ो रुपया नागरिकों के पास पीने का पानी का बिल वसूल करता है। यदि किसी गरीब का बाकी रहा तो पूरी फौज कनेक्शन काटने पहुंच जाती है। परंतु उसकी सच्चाई यह भी है कि वलसाड नगरपालिका करोड़ों रूपया अंबिका डिवीजन का अभी तक भरा नही है। नागरिकों से वसूला हुवा रूपया कहां गया.. ? जमीन खा गई कि आसमान निकल गया। उस करोड़ो रूपये का खर्च किसी और जगह करना सीधे सीधे भ्रष्टाचार है। आज यदि एक और सिंघम राव बनकर उस कचेरी में आ जाये और बिना बिल भरे पानी न दे तो लोगो को पानी के विना रहना पड़ेगा। और सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक नगरपालिका को भी इसके एवज में लिल्लाम किया जा सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार वलसाड नगरपालिका की पूरी बिल्डिंग से लेकर अधिकारी तक भ्रष्टाचार से घिरे हुए हैं। कायदा कानून की सबक बताने वाले अधिकारियों ने आज तक सेवा का अधिकार अधिनियम 2013 से अनजान हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 यहां अभी तक लागू नही हुआ। कर्मचारियों का यहाँ जमकर शोषण किया जाता है। गरीबो का यहाँ लघुतम वेतन ईएसआई, जैसी सामान्य सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।सामान्य  वेतन तक नही दिया जाता। भ्रष्टाचार अधिनियम 1986 यहाँ एक गुनाह माना जाता है। एक सामान्य दुकान अवैध कैसे बन जाती है। पहले इसे बनाने के लिए गरीबो के पास निर्माताओ बिल्डरो के पास पूजा करवाया जाता है। आरती करवाया जाता है। और ऐसा करते करते वर्षो निकल जाते हैं। फिर अब अपने आप को सिंघम और राव की भूमिका में उसी का भाई एक अधिकारी हवन कर देता है। आज लगभग वलसाड जिले की नगरपालिका विस्तार में 90 प्रतिशत इमारते गैरकानूनी हैं। और यहाँ कारदे कानून के जानकारों की माने तो एक ईंट बिना अधिकारियों के मिलाभगत के रखा नही जा सकता। सभी रोड लगभग हर वर्ष क्षतिग्रस्त नजर आते हैं। उसका मुख्य कारण भी इंजीनियर के भ्रष्टाचार के बिना संभव नही है। एरकंडीशन जब कलेक्टर तक को सुविधा नही दी गई है। फिर नगरपालिका में कैसे शुरुआत हो जाती है। सरकार का एक नियम ऐसा है कि किसी भी कर्मचारी व अधिकारी को दो से पांच वर्ष से ज्यादा चिकित्सा क्षेत्र के अलावा नही एक जगह नही रखा जा सकता फिर ए कानून नगरपालिका में क्यों नही ? नगरपालिका क्या गुजरात और भारत सरकार से अलग है ? कमि्श्नर एडमीनीश्ट्रेशन कार्यालय नगरपालिका गांधीनगर के कायदे आदेश हों या गुजरात सरकार के  यहाँ  अभी तक ए अधिकारी गण अपने हिसाब से मानते हैं। 

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