Monday, January 3, 2022

નવસારી જિલ્લા માં અજમાયશી જિલ્લા પુરવઠા અધિકારી શ્રી

नवसारी जिले में RTI AGAINST CORRUPTION कार्यकर्ता के पास डिग्री ,प्रेस रजीस्ट्रेशन मांगने वाले जिला पुरवठा अधिकारी RTI के भंवर में 

 

                          गुजरात राज्य की ऐतिहासिक संस्कारी नगरी नवसारी जिला सरकार द्वारा ट्राइबल एरिया माना जाता है। यहां बड़े उद्योग़ॉ की कमी और लगभग बड़े उद्योग पतियों के चले जाने से हालत पहले से ही कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। तत्पश्चात कोरोना जैसी महामारी ने हालत बद से बद्तर कर दिया है। यहां नागरिकों का गुजरान खेती-बाड़ी और सामान्य मजूरी से होती है। नवसारी जिले से रोजी रोजगार के लिए अक्सर सूरत वापी भरुच आदि जिलों में जाकर लोग अपना जीवन यापन करते हैं। नवसारी जिले में दारु शराब बंदी होने के बावजूद भी हजारों नागरिकों की गुजरान का जरिया है। नवसारी जिले के ज्यादातर फेक्टरीओ में जोब वर्क ही किया जाता है। सरकार की बहुत सारी अमृत तुल्य ESIC जैसी योजनाओं को भी आज 70 वर्षों के बाद भी यहां पूर्र्णत: पालन करवाने में चंद नौकरशाह तथाकथित नेता गुनाह समझते हैं। सरकार के मुताबिक लघुत्तम मासिक वेतन सभी को मिलना अनिवार्य होने के बावजूद यहां इस कानून को न तो मालिक मानते हैं न ही यहां के अधिकारी मानने को तैयार हैं। सेवा का अधिकार अधिनियम 2013 भी चंद नौकरशाहों की वजह से अभी तक जमीन पर उतर नहीं पाया। सूचना का अधिकार अधिनियम 1972 से शुरू होकर भारत में पहुंचने में 33 वर्ष लग गए। और आज 15 वर्षों के बावजूद भी एक भी कार्यालय में एक भी अधिकारी मानने को तैयार नहीं है। आज देश का दुर्भाग्य है कि सर्वोच्च अधिकारी IAS GAS IPS OFFICERS जब इसे लागू करना गुनाह समझते हैं फिर अन्यों के पास आशा रखना शायद ठीक नहीं होगा। 

    नवसारी जिले में लगभग सभी क्षेत्रों में आज सरकारी अनाज में कालाबाजारी भ्रष्टाचार की खबरें चल रही है। आज जिले में नागरिकों को दो बार भोजन मिले इसके लिए गुजरात सरकार और भारत सरकार दोनों सरकारें अलग अलग दो बार लगभग मुफ्त अनाज मुहैया करवाती है। और आज कोरोना महामारी में सरकार लगभग सभी को पहली बार राज्य सरकार के साथ भारत सरकार अनाज देने की घोषणा की है। और ऐसी हालत में नागरिकों के अनाज में कालाबाजारी की जाय ।शायद मानवीय मूल्यों का हनन होगा। और ऐसी हालत में जहां सरकार सिर्फ आदिवासियों मजूरों दलितों आर्थिक पिछड़े वर्गों को करोड़ों रुपए का अनाज ही नहीं देती बल्कि सरकारी अनाज के हर दाने की देखरेख करने के लिए राज्य से लेकर तालुका स्तर तक लाखों रुपए वेतनधारी अधिकारियों के साथ राजाशाही सुविधाएं मुहैया के साथ पूरी फौज उपलब्ध कराई जाती है।  फिर भी यदि ऐसी हालत में कालाबाजारी हो रही है। इसकी सत्यता सिर्फ और सिर्फ सूचना का अधिकार एक सरकार द्वारा पारित एक सही माध्यम है। और एक सूचना  नवसारी जिले में पर्यावरण और मानव अधिकार संस्था के द्वारा एक अरजदार के रूप में सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के नियमानुसार मांगी गई। अबतक सूत्रों से मिली जानकारी बहुत ही चौंकाने वाली है। सबसे पहले नवसारी जिला पुरवठा अधिकारी खुद एक चिकित्सक है। और आज जब देश की जनता बेहाल बदतर हालत में आख़िरी श्वास लें रही थी उस समय जिला पुरवा पूर्ति अधिकारी एक चिकित्सक होने के बावजूद इसे छुपाने की कोशिश की । यदि ऐसी स्थिति और किसी देश में हों और एक चिकित्सक डिग्री छुपाए उसे सख्त सजा का प्रावधान है। रेल में सामान्य सफर करने वाले के लिए सरकार पूछती नहीं बल्कि एक कोलम दिया है कि आप यदि डाक्टर है फिर यहां जरूर भरे । उसका सिर्फ एक ही मकसद है कि यदि कभी संकट समय आये उस समय आप देश की जनता को बचाने के काम आओगे। और पता चला है कि नवसारी जिले के अजमाइशी जिला पूर्ति अधिकारी श्री एक सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक है। और आज जब हमारे देश की जनता आखिरी श्वास के कगार पर थी और ए महाशय जिन्हे सरकार द्वारा बहुत सारी मुफ्त सुविधाओ के साथ चिकित्सक बनाने में हर संभव कोशिश की और इन्हे चिकित्सक बनने का मौका दिया और ए अपनी डिग्री को छुपाये और हमारे देश के काम नहीं आये । आज यह जानना जरूरी होगा कि भारत देश पहले अंग्रेजो का गुलाम था जिसे हमारे देश के कितने सारे नवयुवको ने अपनी अपनी बलि देकर स्वतंत्रता प्राप्त की है। स्वतंत्रता का महत्व यदि आज हम सभी सिर्फ और सिर्फ अपने निजी स्वार्थ के लिये उपयोग करते हैं फिर देश का भविष्य बचना मुश्किल होगा। फिलहाल इसके उपर सरकार क्या संज्ञान लेगी इसे समय चक्र में छोडना जरूरी है। 

                   सूचना अधिकार अधिनियम २००५ का कानून आज पहला ऐसा कानून है जिसे समय बद्ध बनाया गया है। जानकारो की माने तो आज सिर्फ सूचना अधिकार अधिनियम की धारा ४ यदि पूर्णत: लागु कर दिया जाय तो लगभग ५०% भ्रष्टाचार नाबूद हो सकता है। परंतु आज तक बडे बडे दावे और पारदर्शक सरकारे इसे मानने को तैयार नही है। संविधान में किसी भी नेता के लिये गांव के सरपंच प्रधान से लेकर राष्ट्रपति तक आज किसी भी शिक्षा अथवा डिग्री की जरूरत नही है। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि सर्वोच्च न्यायालय के वारंवार हुकम के बावजूद भी इसे पालन नही किया जाता है। फिलहाल शासन में डिग्री की जरूरत न होने के लिये प्रशासन का प्रावधान है । और यदि प्रशासनिक अधिकारी भी शासन के तर्ज पर काम करे फिर देश की असहाय, अनाथ, बेसहारा, गरीब, मजूर, आदिवासी, दलित, शोषित, आर्थिक पछात वर्ग के नागरिको की हालत एवम भविष्य कब सुधरेगा ? गुजरात राज्य सरकार सरकारी अनाज गरीबो तक पहुंचाने के लिये आज सर्वोत्तम सुविधायें उपलब्ध करवा रही है। सरकारी राशन पंडित दीन दयाल वाजबी ग्राहक भंडार तक सरकार अपने साधनो से अनाज और आवश्यक जीवन जरूरी वस्तुए पहुंचाती है। और उसे जांच करने के लिये बहुत सख्त एवम मजबूत कानून बनाये है। अब रहा सवाल यदि उसका कायदेसर पालन किया जाये फिर कालाबाजारी के भ्रष्टाचार करना असंभव है। सरकार के नियमानुसार वाजबी भाव के क्रोस चेकिंग के लिये गुजरात सरकार अन्न नागरिक पुरवठा और ग्राहको के विभाग द्वारा परिपत्र क्रमांक तपस/१०/२०१३/ओ-७५/ब सचिवालय गांधीनगर तारीख २० जुन २०१५ की माने तो जिला कक्षा जिला पुर्ति की टीम द्वारा प्रति महीने कम से कम ९ सरकारी राशन की दुकानो और एक तालुका की टीम को ९ सरकारी राशन की दुकानो की जांच करना अनिवार्य है। इसी के साथ राज्य सरकार एवम प्रति झोन की टीम जांच करने का प्रावधान है। परंतु जिले में सभी तालुका मामलतदार एवम जिला की टीम प्रति माह ९-९ राशन की दुकानो को जांच अवश्य करेंगी। जिसमे यदि नवसारी जिले की बात करें तो नवसारी शहर ,नवसारी ग्राम्य, जलालपोर,गणदेवी, चिखली, खेरगाम और वांसदा के सभी सात तालुका एवम जिला की टीम मिलाकर आठ प्रति टीम को ९ के हिसाब से प्रति माह ७२ दुकाने जांच करना अनिवार्य है। और नवसारी जिले में सभी जांच टीम की जवाबदेही जिला पुरवठा अधिकारी की है। परंतु मिली सूचना के अनुसार अजमायशी जिला पुर्ति पुरवठा अधिकारी श्री ने अभी तक २५ प्रतिशत जांच नही किये न ही करवा पाये। यदि जानकारो की माने तो ऐसे अधिकारियो के उपर कायदेसर कार्यवाही होनी चाहिये । और जब देश की राज्यो की हालत गंभीर हो तो ऐसी जगह पर सरकार द्वारा किसी अनुभवी अधिकारी को रखना जरूरी होता है ऐसी जगह अजमाईश करना शायद ठीक नही होता । सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार अजमाइशी जिला पुर्ति अधिकारी की यदि कायदेसर जांच की जाये फिर एक बडे कोभांड से पर्दा उठ सकता है। नवसारी जिले के पुर्ति अधिकारी जिनकी मिशाल आज पिछले  वर्षो से काबीलेतारीफ है । उनके कार्यालय में आज एरकंडीशन गैरकानूनी है। सूचना के अधिकार में एक सूचना मांगी गई और लोक सूचना अधिकारी जिसे संवेदनशील रहकर सूचनाए प्रदान करवानी चाहिये उसके बदले में सूचना मांगने वाले से ही उसकी डिग्री उसके लोक प्रिय कामो को लेकर धमकिया देना उचित समझा और कायदे कानून के जानकार को शायद पता नही कि सूचना अधिकार आम नागरिको के हित के लिये बनाई गई है। और कई सूचनाए उन्हे खुद ही जनता को बतानी होती है। लोक सूचना अधिकारी बिना किसी जानकारी के प्रो-एक्टिव डिस्क्लोझर जिसे आज तक ओडिट के विना अमान्य होती है उसे फ्री में देना भी जरूरी है । परंतु अज्ञानता का परिचय देते हुए जिसे मांगा ही नही गया हो उसे लेने के लिये बिन जरूरी रूपये की मांग वह भी ३० दिन के बाद मांग लिया । आज जानना जरूरी होगा कि उन्हे जो वेतन के साथ राजा शाही सुविधाए सरकार मुहैया करवा रही है वह भी इन्ही आदिवासी गरीबो दलितो वंचितो आर्थिक पिछडो की रात दिन की खून पशीने की कमाई का है ।

 

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