Saturday, July 3, 2021

नवसारी जिले में आंगनवाड़ी तक ईमानदारी के चक्रव्यूह में....! भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोला ..?




गुजरात की ऐतिहासिक और संस्कारी नगरी नवसारी जिला बनने के बाद ही दोषी ग्रहों की दशा में आज त्राहिमाम हो चुकी है। और इन ग्रहों को शांति पाठ कराने वाले पुजारी भी छुटकारा दिलाने की जगह अपने ग्रह भी इसी पवित्र मंदिर में स्थापित करने में लगे हुए हैं। और अब जैसे दोषी ग्रहों में इन सभी के भी ग्रह जुड़ते गए पूरा मंदिर विषधर जैसा हो गया है। हालत यहां तक बिगड़ चुकी है कि अब चाहकर भी इसे पवित्र करना  मुश्किल हो चुका है। 


      आज नवसारी जिले के लगभग सभी विभाग भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना चुके हैं। और अब यह इतना तीव्र गति से बढ़ चुका है कि इसे शुद्ध करने के लिए राव जैसे प्रबुद्ध अधिकारी की जरूरत देखी जा रही है। और मुश्किल तब हो जाती है कि आज नवसारी जिले में एक भी अधिकारी इस भ्रष्टाचार को खत्म करना दूर सुनने तक राजी नहीं है। और भ्रष्टाचार को भी आज क्लास में विभाजन करने में दिलचस्पी दिखाई जा रही है। 
नवसारी जिले में भ्रष्टाचार साबित करने वाले का जीवन ही बदलने की क्षमता रखने वाले अधिकारियों से प्रजा त्राहिमाम हो चुकी है।
नवसारी जिले में छोटे और नवजात शिशु के आंगनवाड़ी जिसे मंदिर की तरह पवित्र होना चाहिए । जिसमें भारत का भविष्य सबसे पहले सजाया और संवारा जाने के लिए एक शुद्ध पवित्र शुरुआत होती है। आज उसी पवित्र मंदिर में यदि सरकार के सर्वोच्च अधिकारी गण जिनके नाम पर प्रजा को नाज होना चाहिए आज वही डकैती डालते मिले फिर तो शब्दकोश से शब्द भी निकलने पर मना कर दे तो कोई बड़ी बात नहीं है। 
नवसारी जिले में आंगनवाड़ी के नाम पर सरकार ही नहीं संस्थाओं के संचालकाें जिसे सिर्फ और सिर्फ सेवा करने के नाम पर सरकार रजी. कर दिया करती है और आज अधिकतर ऐसी संस्था के संस्थापक भी इस भ्रष्टाचार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करते हैं। और सरकारी अधिकारी ऐसी संस्थाओं से मिलकर ऐसे कामों को अंजाम दे रहे हैं।




नवसारी जिले में आंगनवाड़ी में हुए भ्रष्टाचार में सामान्य ही नहीं कमिश्नर जैसे पदों पर सुशोभित पदों को भी बदनाम किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार एक आश्रम की संचालिका ने ऐसे सर्टिफिकेट दिया है कि शायद वह उसे पढ़ने में भी समर्थ नहीं हैं। और नवसारी जिले के ईमानदार अधिकारियों ने बिना देखे बिना समझे अपने पूर्वजों की मिल्कियत और खुद को उसका वारिस समझकर दे दिया। और जब उनसे पूछताछ की जा रही है फिर जवाबदेही से भटकने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। हालांकि नवसारी जिले में यह पहली घटना नहीं है यदि सरकार कायदे कानून के मुताबिक जांच करवाये फिर जानकारों के मुताबिक कम से नवसारी जिले में खुशहाली जरूर आ सकती है। और दिलचस्प बात यह है कि ऐसे मामलों में सरकारी अफसर इस तरह शामिल है कि उन्हें पकड़ना भ्रष्टाचार साबित करना लोहे के चना चबाने के बराबर है। वैसे आज तक के इतिहास में अधिकतम  सिर्फ एंटीकरप्शन ब्यूरो के अलावा और किसी भी अधिकारी ने कोई भी अधिकारी कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत तक नहीं दिखाई है। और सरकार को बदनाम करने में आज विरोध पक्ष की जरूरत नहीं है। उन्हें उनके अधिकारी ही काफी है। और जानकारों की मानें तो सरकार के अधिकतर नेताओं में शिक्षा की कमी ही नहीं अभाव होने की वजह ही इसकी जड़ है। अब ऐसे मामलों पर फिलहाल समय के चक्र में समय के ऊपर डालकर देखा जा रहा है।

आज हालत बद से बदतर होती जा रही है। भ्रष्टाचार क्रिमिनल असमाजिक तत्वों का मेला लगा हुआ है। आज पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि नवजात शिशुओं के पवित्र मंदिर आंगनवाड़ी में सरकार के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है। और ऐसे मामलों में भ्रष्टाचार शब्द आज थोथा नजर आ रहा है। इसे सीधे डकैती कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। और यदि सरकार एक बार जांच करवा दे फिर पता चले के इस पवित्र टीके के पीछे कौन सा रंग लगा है। परन्तु काश ऐसा हो सकता। 

नवसारी जिले में दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड का पर्दाफाश -RTI

नवसारी जिले में दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड का पर्दाफाश -RTI नवसारी जिले में DGVCL कंपनी के लगभग सभी सूचना अधिकारियों ने सूचना अधिकार का...