मानव जीवन के रहस्य को जानकर आनंदमय जीवन एवम असाध्य बीमारियों से मुक्ति पायें
मानव जीवन परमपिता परमात्मा द्वारा दिया गया एक अवसर है । जीवन एक सराय है इसे सराय ही रहने दें। शास्त्रों के अनुसार आपको मनुष्य योनि बड़े भाग्य और आपके कई जन्मों के निरंतर प्रयास से एक अद्भुत भेंट के स्वरूप में मिली है। इसे व्यर्थ न जाने दें। एक एक पल बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसका आनंद लें। और यह आनंद भी ऐसे तो बहुत ही सरल है। परंतु क्या हम इसे अभी तक इसके स्वाद को चख पाते हैं। जवाब में अक्सर नहीं ही मिलता है। आखिर क्यों ? इसके लिए तथाकथित धार्मिक शास्त्र धर्म पद प्रतिष्ठा समाज और तथाकथित धार्मिक गुरु ही हैं जो आपको जन्म के साथ अपने फंदे में अपने जाल में कुछ इस तरह फंसा लेते हैं कि यह आधुनिक मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि यह आपके अवचेतन मन में घर बना लेता है। और आजीवन इसके बाहर निकल नहीं पाते। और एक कुंए की मेंढक की तरह कूंए को ही अपना संसार मान कर इस विराट जीवन को पूरा कर देते हैं।
आनंदमय जीवन प्राप्त करना अथवा मिलना आज यदि असंभव नहीं है फिर भी मुश्किल अवश्य है। जैसे एक बिल्ली के ऊपर प्रयोग में बिजली के गरजने की आवाज से डर लगता है। उसके सामने जोर से आवाज सुनाने में वह पूरा घबरा जाती है । एक अच्छी संगीत की आवाज पर ध्यान मग्न होकर नाचने लग जाती है। परंतु जब उसके सामने सभी प्रकार की आवाज अथवा संगीत के साथ बिल्ली के सामने एक चूहा छोड़ दिया गया । बिल्ली सभी आवाज डर नृत्य को इग्नोर कर देती है और चूहे को लपक लेती है। अहिंसा संगीत सभी अलग पड़े के पड़े रह जाते हैं। सभी बंधन टूट जाते हैं। आखिर क्यों? यही हालत आज पूरे मानव जाति की है। पूरे मानव जीवन को आज सदियों से एक तथाकथित सभी धर्म के धार्मिक गुरुओं के द्वारा बांध दिया गया है।यह बंधन इतना गहरा है कि अब तो कभी कभार बुद्ध और महावीर, कृष्ण, कबीर, सूरदास, रैदास, मीरा जैसे परम आत्माओ को ही दिखाई देता है। हालांकि यह बहुत ही आसान और सरल सहज है।
क्या आप अपने जीवन को आनंदमय बनाना चाहते हैं ? इस भागदौड़ की जिंदगी के रहस्य को जानना चाहते हैं ? स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर आनंदमय जीवन की तलाश में हैं ? देर न करें आज और अभी से शुरूवात करें । इस भव्य विराट जिसे एक भेंट स्वरूप अवसर के रूप में परमात्मा के द्वारा दी गई है। व्यर्थ न जाने दें। सहजता के साथ शुभारंभ करें। और कहीं भी कभी भी कुछ अड़चन दिखाई दे।आप किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं। चिकित्सकों ने आजीवन दवा खाने की सलाह दी है। जरा भी चिंता न करें। बीमारी जहां है। सवाल जहां है जवाब भी वही है। बीमारी यदि आपके शरीर के भीतर है फिर उसकी दवा भी वही है। फिलहाल इसे समझना इतना आसान नहीं है। जब तक उसे अंदर से ठीक न किया गया बाहर की सभी पद्धति दवा बेकार है। आइये जिसने दर्द दिया है जहां से यह बीमारी पैदा हुई है। सबसे पहले उसे वहीं से ठीक करने की कोशिश करें।
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डा आर आर मिश्रा
लोकरक्षक हेल्थ केयर
एवम आध्यात्मिक चिकित्सा केंद्र
अलकापुरी सोसायटी विजलपोर नवसारी
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Good
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