Saturday, February 12, 2022

गुजरात राज्य की आर्थिक ऐतिहासिक समृद्धि पारदर्शी सर्वांगी विकसित सूरत जिला पंचायत में RTI को अधिकारियों ने किया बदनाम...!


मार्ग और मकान (पंचायत) सूरत
 RTI के भंवर में 

गुजरात राज्य में विकास समृद्धि पारदर्शिता सर्वांगी सबका विश्वास सबका प्रयास सबका साथ जैसे संवेदनशील सरकार को प्रशासनिक अधिकारियों ने बदनाम करने हेतु कमर कसी ..!

        आज सूचना अधिकार अधिनियम 2005 संसद द्वारा पारित जन हित के कायदे-कानून को  करीबन 16 वर्ष बीत चुके हैं। परंतु गुजरात राज्य के अधिकांश अधिकारी गण इस अधिनियम का दिल खोलकर एक जुमला बना दिया है। और संवेदनशील सरकार की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे  हैं। उसका प्रमुख कारण इन अधिकारियों की नियुक्ति अधिकतर इनकी शिक्षा और अनुभव से अधिक दर्शन पूजा अर्चना यज्ञ हवन जैसे पवित्र कामों को माना जाता है। यहां आज 21वी सदी में भी 60:40 का कायदा अभी भी पालन किया जाता है। जबकि आज बेरोजगारी अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुकी है। सूरत जिला पंचायत में फिलहाल सरकार सर्वोच्च शिक्षा प्राप्त सर्वश्रेष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति किया है। परंतु आज भ्रष्टाचार को रोकने में सरकार की हर कोशिश नाकाम नजर आ रही है। फरियादो का अंबार लगा हुआ है। जिसकी सत्यता जानने के लिए सूचना अधिकार अधिनियम 2005 जिसका जिक्र भारत देश ही नहीं अपितु विश्व प्रख्यात प्रधानमंत्री श्री मोदीजी करने में कभी नहीं चूकते। "आर टी आई का मतलब सवाल पूछने का अधिकार" जैसे जन हित में कहने वाले विश्व के प्रथम प्रधानमंत्री श्री मोदीजी ही है । अभी कुछ दिन पहले ही गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल जी ने आरटीआई ओनलाइन करवाते हुए विशेष बल दिया है। परंतु यहां आज तक हर जगह सभी कार्यालयों में अन्त में "ढाक के तीन पात" ही नजर आते हैं। सूरत जिला पंचायत आज करीबन 75% नागरिकों की शिक्षा सुरक्षा स्वास्थ्य जिसे मानव जीवन में प्रमुख भूमिका होती है। इसकी समस्त जवाबदेही आज जिला पंचायत की होती है। और सरकार भी सभी अधिकारियों को दिल खोलकर समय से वेतन और तमाम राजाशाही सुविधाएं मुहैया करवाती है। और जो सुविधाएं सरकार नहीं देती उसे यहां अधिकारी गण अवैध तरीके से ले रहे हैं। जैसे गुजरात राज्य सरकार के कायदे-कानून के मुताबिक अग्र सचिव अथवा उसके समकक्ष के सिवाय किसी भी अधिकारी के कार्यालय और वाहनों में एरकंडीशन की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जाती। परंतु जमीनी हकीकत में जिला पंचायत के तलाटी एवम सरपंच अपने कार्यालय में लगवा कर बैठे है। गुजरात राज्य के विकास कमिश्नर श्री ने स्पष्ट हुक्म किया है कि  वाहनों एवम कार्यालय से तत्काल बाहर करें अन्यथा सभी प्रकार का खर्च और विजली बिल  वेतन से वसूली की जायेगी। परंतु इस हुक्म को आज दो वर्ष से इस हुक्म को जिला पंचायत के अधिकतर अधिकारियों ने मानना संगीन जुर्म समझते हैं। और भ्रष्टाचार विरूद्ध RTI में अरजदार को सुप्रीम कॉर्ट का नियम कानून बता रहे हैं। सूचना अधिकार अधिनियम में गुजरात राज्य सरकार के नायब सचिव वी सी पटेल वर्ष 2012 में सभी सूचना संबंधित अधिकारियों को नाम पद टेलीफोन नंबर लिखने का एक हुकमनामा  दिया है। परंतु सूरत जिला पंचायत के मार्ग और मकान विभाग जिनकी मुख्य जवाबदेही विभाग के नाम से जिला विकास अधिकारी के नाम से ही प्रदर्शित होता है।  मकान और मार्ग जिसका विकास में मुख्य भूमिका होती है। उन्हें अपना नाम लिखने में कितनी मुश्किल लगी होगी। सदर कार्यालय के जांबाज अनुभवी महोदय को शायद इस कानून के बारे में न जानकारी है न ही इनके ऊपरी अधिकारियों का कोई भय है। जानकारों की मानें तो यहां भी अधिकारियों की शिक्षा से ज्यादा बापू दर्शन की जरूरत को प्राथमिकता दी जाती है। अन्यथा ऐसा जवाब महोदय सपने में भी न देते। फिलहाल ऐसे अधिकारियों की वजह से चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है। और सरकार दिन दहाड़े बदनाम हो रही है। गुजरात राज्य की आर्थिक संवेदनशील जिला सूरत आज फिलहाल दयनीय स्थिति में गुजर रहा है। यदि सरकार तत्काल ऐसे अधिकारियों को जिनको अपनी जवाबदेही गुजरात राज्य सरकार जिन्होंने इनकी नियुक्ति कर बिनजरूरी वेतन और सुविधाएं मुहैया करवा रही है उससे ज्यादा इन्हें सुप्रीम कोर्ट का बिन जरुरी जिस कायदे-कानून का यहां कोई औचित्य तक नहीं है उसे अरजदार को बताकर क्या साबित करना चाहते हैं? फिलहाल यह अब उनकी रूबरू मुलाकात में तय होगा। परंतु उनके द्वारा हस्ताक्षरित पत्र साफ साफ गवाही दे रहे हैं कि उन्हें आरटीआई के कायदे-कानून की जानकारी नहीं होगी अथवा आरटीआई कार्यकर्ताओने उन्हें बताया नहीं होगा। सदर महोदय ने सुरत जिले के सभी अपने कार्यालयों में भी इसे भेजा है। देखना दिलचस्प होगा कि इनके सहयोगी दल किस प्रकार से जवाब देते हैं। 

 

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