Thursday, July 9, 2020

वलसाड जिला खाद्य और दवा विनियम तंत्र ( FOOD & DRUG ) के इंसपेक्टरो एवम नायब कमिश्नर को बेन 5 दवाओं का नाम पता नही.......?

वलसाड जिला खाद्य और दवा विनियम तंत्र ( FOOD & DRUG ) के इंसपेक्टरो एवम नायब कमिश्नर को बेन 5 दवाओं का नाम पता नही.......?
विकास विकास विकास
                                     गुजरात के ऐतिहासिक और अंतिम  वलसाड जिले में खाद्य और दवा विनियम तंत्र में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक जन हित में सूचना मागी गयी। जिसमें सबसे पहले भारत के उच्चतम न्यायालय के द्वारा लगभग 350 से अधिक रोजमर्रा में आने वाली दवाएं जो प्राण घातक थी उसे बेन कर चुकी है उसकी की जांच की थी। आज इस कोरोना जिसे विश्व आरोग्य संस्था एक महामारी घोषित कर चुकी हैं। क्या सचमुच आज बाजार में बेन दवाएं नही है ? कहीं ऐसी दवाओ में पिछले रास्ते से कोई बडा व्यापार तो नही चल रहा है? यदि आज भारत के उच्च न्यायालय ने ऐसी दवाएं बेन कर चुकी है।क्या सचमुच ऐसी दवाओं का व्यापार बंद हो चुका है ? एक वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर बीमारियो से मरने वालो का कारण गलत दवाएं भी साबित हो चुकी हैं। क्योंकि अभी तक कोई ऐसी एलोपैथी दवा नही बनी जिसका कोई गलत प्रभाव न हो । और आये दिन मिल रही खबरो के अनुसार कहीं न कहीं डुपलीकेट दवाओं का जत्था जरूर मिलता है। परंतु ऐसी जांच से गुजरात लगभग अछुता ही रहता है । उसका प्रमुख कारण यहां अधिकारियों की मिलीभगत और व्यवहार से व्यापार जैसी छुद्र पुरानी परंपरा, आरक्षण और परमोशन है। गुजरात के सदर विभाग में एक सामान्य जांच अधिकारियों के खिलाफ कई वर्षों तक न होना भी माना जाता है। जानकारो की माने तो यह विभाग सबसे अधिक भ्रष्ट है । फिलहाल यहां ऐसी बातो का कोई विशेष मुल्य नही है । वैसे एक सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में मिली सूचना और रूबरू निरीक्षण में जो सामने तथ्य सामने मिला वह इन सभी से कहीं ज्यादा बुरा है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में सुप्रिम कोर्ट द्वारा बेन दवाओ की जांच के जो रास्ते बताये गये उससे गुजरात के विकास में इस कार्यालय के लगभग सभी अधिकारी शायद हठ कर चुके हैं कि किसी भी प्रकार से सुचारू रूप से विकास नही होने पाये। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में कोई सूचना ऐसे मामलो में जिसे बेन दवाओं की जांच की गयी हो अभी तक दर्ज नही है । और जांच अधिकारी स्वयं रूबरू कर चुके हैं। और जांच की प्रकृया में जब बेन की गई सिर्फ 5 दवाओं का नाम पूछा गया । नाम बताने की जगह इन सभी का ब्लड प्रेसर बढता नजर आया । और सिर्फ एक ही उदाहरण बार बार पेरासीटामोल के सिवाय कुछ समझ नही आया । शायद इसी वजह से ऐसे अधिकारियों से आज गुजरात बदनाम हो चुका है । गुजरात सरकार आज रात दिन मेहनत कर रही है । करोडो रूपये खर्च कर रही है । और विकास समृद्धि जैसे शब्द आज ऐसे अधिकारियो ने एक जुमला बना कर रख दिया है । फिलहाल गुजरात के मुख्य मंत्री के साथ गुजरात तकेदारी आयोग को इन सभी से अवगत कराया गया है । अब देखना दिलचस्प होगा कि गुजरात सतर्कता आयोग खुद कोई टीम बनाकर जांच करेगा कि पहले की भांति इसी विभाग के उच्च अधिकारी को एक पत्र लिखकर जांच को पुरा मान लिया जायेगा ।

No comments:

नवसारी जिले में दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड का पर्दाफाश -RTI

नवसारी जिले में दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड का पर्दाफाश -RTI नवसारी जिले में DGVCL कंपनी के लगभग सभी सूचना अधिकारियों ने सूचना अधिकार का...