Wednesday, July 1, 2020

DGVCL कं..ने दिया नागरिकों को चार महीने का बिल का झटका ...! कोरोना काल में जबरदस्त फटका ..? बिल को भरना मुश्किल..? भरें तो भरें कैसे ?


दक्षिण गुजरात वीज कंपनी ली.ने दिया नागरिकों को चार महीने का बिल का झटका ...!

कोरोना काल में जबरदस्त फटका ..?

बिल को भरना मुश्किल..?

भरें तो भरें कैसे ?

                                              आज जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित है।आज सामान्य से सर्वोच्च सभी की आर्थिक हालात बद से बदतर हो चुकी है। सभी प्रकार के उद्योग धंधे लगभग आखिरी श्वास लेने तक पहुंच चुके हैं। महामारी में सबसे ज्यादा गरीब और मध्यम वर्ग पीड़ित हैं। सभी क्षेत्रों में आज गिरावट देखी जा रही है। सरकार आज राज्य सरकार हो केंद्र सरकार सभी रात दिन मेहनत कर बहुत सारी योजनाएं चला रही है। गरीबों मध्यम वर्गीय नागरिकों को अनाज के साथ जरूरी सुविधाओं को मुहैया करवाने में सभी कदम भी उठा रही हैं।परंतु जमीनी हकीकत में यह सभी योजनाएं ऊंट के मुंह में जीरा से अधिक साबित नही पा रही है। सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम भी उठाया था कि सभी मजदूरों कर्मचारियों को वेतन कोरोना काल में न रोका जाय । परंतु सरकारी कचेहरी को छोड़कर लगभग सभी उद्योगपतियों मील फैक्ट्री के मालिको ने अपने हाथ उंचे कर लिये। छोटे मोटे जीवन जरूरी रोजी रोजगार भी आज लगभग अपना मुख मोड चुके हैं। ज्यादातर मजदूर मध्यमवर्गीय आज पलायन कर चुके हैं। आज जब कि पहले से ही भ्रष्टाचार से सभी ग्रसित हैं। एक सामान्य पोलिस कर्मी के पास अभी अभी करोड़ो की बेनामी संपत्ति पायी गई। अब बड़े मगरमच्छो का अंदाजा लगाना मुश्किल है। जो आज मजदूर सामान्य नागरिक मध्यम वर्ग के लोग बच गये हैं। उनकी हालत भी ज्यादा ठीक नही हैं। सरकार की हर कोशिश आज इस महामारी में पर्याप्त नजर नहीं आ रही हैं। ऐसी नाजुक हालत में किसी भी सामान्य मध्यमवर्गीय नागरिक को एक साथ चार महीने से अधिक बिजली बिल भरना मुश्किल ही नही  असंभव भी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुजरात राज्य में बिजली बिल अन्य राज्यों की अपेक्षा प्रति युनिट कई गुना अधिक है। सबसे अधिक आय प्राप्त करने वाली कंपनी की जांच करवाने का समय आ चुका है। एक सामान्य नवसारी जिले में मिली जानकारी के अनुसार करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार साबित होने के बावजूद सदर कंपनी के सर्बोच्च अधिकारीगणो का शान्त हो जाने का कारण ही भ्रष्टाचार को उजागर करता है।  सरकार के पास अब खानगीकरण के सिवाय ज्यादा बिकल्प नही बच रहा है। 

                                           कोरोना महामारी में जब सब आज त्राहिमाम हो चुके है ऐसे समय में यह एक साथ चार चार महीने का बिल  कितना उचित है। इसकी गणना करना असंभव है। और दक्षिण गुजरात वीज कंपनी ली. जैसी ब्रान्डेड जिसने आज एक प्रतिभा हासिल की है। ऐसी प्रतिष्ठित कंपनी का इस कोरोना जैसी महामारी में अपना विशेष योगदान देना चाहिए। और जागृत नागरिकों की माने तो दो महीने से ज्यादा एक साथ बिल देना जायज नही है। यह एक प्रकार से हिटलरशाही और भ्रष्टाचार की श्रेणी में सरकार को लेना चाहिए। और तत्काल इस पर सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। करोड़ों अरबो रुपये का फायदा लेने वाली कंपनी द.गु.वी.कं. को आज इस एक साथ वाले बिल में रियायत के साथ टुकड़ों मे भरने की छूट भी देना चाहिए। दक्षिण गुजरात वीज कंपनी ली. के सभी कर्मचारियों अधिकारियों मजूरो ने कोरोना जैसी महामारी में लोकडाउन में जमकर बिना रुके बिना थके रात दिन मेहनत किया। जिसके लिए जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है। हर हाल में बिजली को नागरिकों के हर घर तक बड़ी इंतजाम के साथ पहुंचाया। अधिकारियों कर्मचारियों की इस लगन को देखकर सभी गरीबों आदिवासियों, मजदूर भाई बहनो, आर्थिक पछात, ,शोषितों को एक आशा थी कि दक्षिण गुजरात वीज कंपनी और सरकार सभी को कुछ न कुछ रियायत देगी। लोकडाउन में घर में ही बने रहने के कारण सरकार की सौ युनिट में आंशिक छूट किसी को राश आती नही दिख रही है। हालांकि यह अतिसंवेदनशील और जीवनशैली की एक महत्वपूर्ण जरूरत है जिसमें सरकार को तत्काल संज्ञान लेने की जरूरत की आशा देखी जा रही है। गरीबो, दलितों ,आदिवासियों किसानों ,महिला शशक्तिकरण , किसानों, मजदूरो जैसे अतिसंवेदनशील मुद्दों की सरकार अब इस चार महीने का एक साथ भारी भरखम बिजली बिल पर क्या रुख अपनाती है। इस पर आज सभी की नजर बनी हुई है।

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