Thursday, June 17, 2021

नवसारी जिले में पत्रकारों पर हमला मारपीट दुर्भाग्यपूर्ण शरमजनक...,! नवसारी जिला कलेक्टर श्री की जवाबदेही के साथ कार्रवाई जरूरी...!


नवसारी जिले में आज वर्षों से पर्यावरण संरक्षण में भूस्तर शास्त्री की भूमिका संदेहास्पद ही नहीं भ्रष्टाचार से युक्त पाई जाने के बाद भी किसी ठोस कार्रवाई न होना सरकार की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लग रहा है। और जिले में कायदे कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है।और जिनकी जवाबदेही तय किया गया है सभी टाइम पास कर रहे हैं। आज हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि नवसारी जिले में सत्यता को उजागर करने वाले पत्रकार भाईयों पर मारपीट और हमला करवाया जा रहा है। और भूस्तरशास्त्री के साथ कलेक्टर श्री ,नायब कलेक्टर,मामलतदार श्री सभी चुप्पी साध रखी है। और रेतीखनन हो कि अन्य खनिज की निकासी हो सभी धड़ल्ले से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। हालांकि इसमें विद्वानों के मंतव्य को माने तो संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है। जिसका उदाहरण इसी तर्ज पर एक मामलतदार लाखों रुपए की रिश्वत लेने के जुर्म में अभी भी सरकारी सेवालय का लाभ ले रहा है। ठीक इसी तरह यदि सरकार की जांच विभाग यदि अधिकारियों की पूरी जांच मोबाइल के रिकॉर्ड और संपत्तियों की करवाने की जुर्रत करें फिर पता चले कि ईमानदारी का टीका किस किस को लगा है। 
गुजरात सरकार को आज किसी विपक्ष की जरूरत नहीं है। सरकार के जांबाज अधिकारी ही सरकार को बदनाम करने के लिए काफी है। सरकार में  मुख्य नेताओं में ज्यादातर नेता भी भ्रष्टाचार माफीया और अलग अलग संगीन धाराओं से लबालब हैं और यहां अधिकारी भी इसे अच्छी तरह से समझते हैं। इसलिए मौसरे भाई की तरह दिल खोलकर ऐसे कामों को अंजाम दिया करते हैं। और जिन अधिकारियों ने ऐसे कामों में दिलचस्पी नहीं दिखाई दी उन्हें भटकने पर मजबूर कर दिया जाता है। इसलिए चुप्पी साधने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। और ऐसे बारदातो का नतीजा है कि आज पत्रकारों को भी राजनीति में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।और इसकी भव्य शुरुआत पाटनगर से हो चुकी है। भविष्य में ऐसे कई उदाहरण सामने आने की संभावना है। जागृत नागरिकों की मानें तो ऐसी ही घटना भारत की राजधानी में हो रही थी आज परिणाम सामने है। और उसी क्रम में गुजरात में शुरूवात हो चुकी है। यदि सरकार ऐसे ही शासन प्रशासन के द्वारा चौथी जागीर पर हमला मारपीट में चुप्पी साधती रही फिर लोक चर्चा के अनुसार जल्द ही समस्याओं के समाधान में कुछ अलग नजर आना लाजमी है।
नवसारी जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ,लघुत्तम मासिक वेतन अधिनियम 1948, भ्रष्टाचार अधिनियम 1986, सेवा का अधिकार अधिनियम 2013 , नागरिक अधिकार अधिनियम 1996 इत्यादि जैसे जन हित संबंधित सभी नियमों की यहां प्रशासन जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। और जिन्होंने  नागरिकों को बिश्वास दिलाया था इसे सुधारने के लिए प्रजा ने दिल खोलकर उनके ऊपर विश्वास किया और भारी मतों से पूरे देश में एक तरफा मतदान किया और एकक्षत्र राजगद्दी पर बैठा दिया। चल रही खबरों के अनुसार ज्यादातर विधायक संसद से लेकर नगरसेवक तक के पास आधुनिक तकनीक को समझने के लिए प्राथमिक शिक्षा तक की कमी है। और इसका फायदा प्रशासनिक अधिकारी आज जमकर उठा रहे हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय आज वारंवार हुक्म जारी कर रहा है कि संगीन धाराओं से युक्त सभी नेताओं की सूची चुनाव आयोग अपने सुझाव पटल पर वेबसाइट पर रखे। परंतु यह अभी तक सिर्फ ढाक के तीन पात ही नजर आ रहा है। जानकारों की मानें तो यदि ऐसा किया गया फिर लगभग पक्ष हो विपक्ष पुनः चुनाव करवाने के सिवा कोई रास्ता नहीं है। इसलिए इस हुक्म पर सभी दल एक साथ नजर आ रहे हैं। सभी पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए अभी तक किसी भी पार्टी ने न सहमति जताई है और न ही अपने आपको पूरी तरह पब्लिक डोमेन पर रख रही है। और यदि किसी ने जुर्रत की फिर उसका हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है। ऐसी ज्वलंत समस्याओं का अंत आना अब तत्काल संभव नहीं है। परंतु प्रयास यदि जारी रहा फिर आहिस्ता आहिस्ता बदलाव अवश्य आयेगा। 

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