आज २१ वी सदी के वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी युग में जैसे जैसे मानवजीवन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हो रहा है। वैसे वैसे ही शारीरिक मानसिक मेहनत कम होती जाती है ।
आज सबसे सुरक्षित होने की जगह कमजोर होता जा रहा है। आज नई नई बीमारियों का अंबार लगा हुआ है। और ए आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति की समझ से बाहर है। एक सामान्य वायरस जिसके की प्रमाण हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित किया गया है। परंतु आधुनिक वैज्ञानिक शोधों में अभी भी यह कोसो दूर है। शायद हम भटक तो नहीं गए हैं। जिसे हमारे ऋषियों ने हजारों वर्षों से पहले ध्यान में जाकर बता दिया है उसे समझने के लिए हमारे वैज्ञानिक अभी भी भटक रहे हैं। शायद वह प्राचीन ऋषियों मुनियों की आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति ज्यादा कारगर है। हम सबको उसके बारे में आज सोचने की जरूरत है। जिसे हमारे वैद्य नाड़ी पकड़ कर बताते थे, और हम आज उन्हें अशिक्षित समझ रहे हैं। आज उसे हम लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद पकड़ नहीं पा रहे हैं। जिस बीमारी को हमारे ऋषियों ने मिट्टी जल हवा अग्नि वायु के द्वारा मानव जीवन से मुक्ति दिलाने में सक्षम है। आज लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी हम उसे पहचान तक नहीं पा रहे हैं। आज भी कई ऐसे स्थान हैं जहां आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति के बिना सिर्फ और सिर्फ प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से लोग सैकड़ों वर्ष तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।और आज सरकार भी स्वदेशी यानी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर जोर दिया है। आज एक बार हम सबको इस दिशा में समझने की जरूरत है। आइये हम सभी जहां भी है वहीं इस कुदरती उपचार पद्धति से अपना और अपनों को स्वस्थ रखने में मददगार बने ...
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डा आर आर मिश्रा
लोकरक्षक हेल्थ केयर नवसारी गुजरात
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