नवसारी जिले में भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार
प्रायोजना वहीवटदार वांसदा ,जिला आयोजन विभाग और जिला पुरवठा विभाग भ्रष्टाचार के दलदल में -RTI
नवसारी जिले में ITI बीलीमोरा में भ्रष्टाचार में फसे कई संस्थायें और सभी संबंधित अधिकारी RTI
कायदा कानून की ऐसी की तैसी करना पड़ा भारी
सर्वोच्च अधिकारियों की खुली पोल
अब जांये तो जांये कहां
रोजगार और विकास के नाम पर भ्रष्टाचार और डकैती
नवसारी जिले में आज वर्षों से स्वरोजगार तालीम बेरोजगारी, दलित, आदिवासी,गरीब ,आर्थिक पिछड़े किसान महिला जैसे शब्दों के पीछे सरकार करोड़ों रुपये प्रति वर्ष खर्च कर रही है। और हमारे सर्वोच्च अधिकारी और राजनीतिक ऩेता गण जमकर अपना मान सम्मान बढ़ाने
और मीडिया में फोटोग्राफी समाचारों में टीआरपी ले रहे हैं। परन्तु जमीनी
हकीकत में इतने वर्षों के बाद भी हमारे किसानों ,मजदूरों, महिलाओं ,आदिवासियों,
बेरोजगारों की वर्तमान हालत पर यदि नजर डाली जाये । फिर इतनी सारी खर्च और
मेहनत के सामने मौजूदा हालात
बद से बदतर हो चुकी है। आखिर यह सब खर्च किये गये पैसे कहां गये? इतनी सारी
व्यवस्था इतने रोजगार तालीम इतने सारे साधन बांटे गये। इतना रोजगार हर
वर्ष दिया गया। किसानों को सभी प्रकार के कृषि उत्पादन क्षमता को बढाने के
जमीन से लेकर मार्केट तक हर सुविधाएं दी गई। महिलाओं को हर संभव तालीम दी
गई। सभी प्रकार के साधन उपलब्ध कराने के प्रयास ही नही रिकॉर्ड के मुताबिक
दिये भी गये। बेरोजगार नयुवक नागरिकों मजदूरों आदिवासियों दलितों को लगभग सभी यथासंभव तालीम दी गई। फिर भी आज सुधार क्यों नही आया ? हर वर्ष करोड़ों रुपये सिर्फ सरकार उत्थान और विकास बेरोजगारी जैसे मुद्दे से बाहर निकलने हेतु खर्च कर रही है। फिर भी हमेशा एक ही मुद्दे पर सरकार फंस जाती है। सरकारे बदल जाती हैं। मुद्दे वहीं के वहीं । इसकी कोइ जड़ है जो पकड़ में नही आ रही है ? और आज देश खुद ऐसे मोड़ पर आ गया है कि अपने आप को संत महात्माओ को सौंप चुका है। जिसके ऊपर शंका करना अन्याय होगा। और देश को आगे ले जाने में आज ऐसी सरकार अपने आप को न्योछावर कर रही है | जिनको संसार के मायाजाल से कोइ दूर तक लेना देना नही है। और इतिहास बदलने की क्षमता रखने वाले आज सभी प्रकार का जोखिम उठा चुके हैं। और यदि फिर भी विकास न हुआ। तब आगे कुछ होगा यह असंभव नही तब कठिन जरूर होगा। और इन सब में जो तथ्य सामने आया है वह मात्र और मात्र भ्रष्टाचार।
नवसारी जिले में सरकार प्रायोजन वहीवटदार कार्यालय जिसमें क्लास वन के अधिकारियो के साथ पूरी फोज सिर्फ़ और सिर्फ़ गरीबो मजदूरों आदिवासियों किसानों बेरोजगारों दलितों महिलाओं पिछड़ो जैसों के उत्थान और विकास के लिए ही तैनात की है। और इन सभी के विकास के लिये हर वर्ष करोड़ों रूपये दिल खोलकर खर्च करती है। एक बार यदि एक हजार व्यक्ति को नोकरी अथवा स्वरोजगार मिल जाये । फिर एक हजार परिवार की जिन्दगी का विकास की गाड़ी पटरी पर आ जाती है। और यह अपने आप आगे बढ़ने लगती है। परन्तु वर्षो बीत गये। अभी भी यह अरबो खरबो रुपये खर्च करने के बाद यह कलंकित मुद्दा जिसमे सरकार की बेइज्जती ही नही शर्मसार हो रही है। अभी भी जिन्दा ही नही चरमसीमा पर राज कर रही है। खरेखर यह बेरोजगारी कुपोषण भुखमरी अकालमौत वगैरह शब्द इतनी मेहनत मसक्कत करोड़ों खर्च के बाद मिटने की जगह यदि बढ़ रहे हैं। और सिर्फ इसलिए कि यहाँ भ्रष्टाचार हम रोक नही सकते। यह हमारे सभी के लिए दुर्भाग्य पूर्ण और शर्मिंदगी की बात है। ऐसे सभी को चाहे ए किसी भी पद पर हों। शासन हो कि प्रशासन। चल रही खबरो और जानकारों के अनुसार इन सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पहले उनकी आय और सभी प्रकार संपत्ति की एक सामान्य पूछताछ कर अधिक होने पर जेल में रखकर ऐसे कामों से एकत्रित संपत्ति को जप्त कर लेनी चाहिए।
नवसारी जिले में बीलीमोरा शहर में तालीम के नाम पर एक आइटीआई तालीम जो वर्षों से कार्यरत है। सिर्फ़ एक विभाग ने पछले तीन वर्षों में उपरोक्त विभाग से करीबन तीन करोड़ रूपये लिए। और जब कायदेसर हिसाब मागा गया ।हिसाब के नाम पर आनाकानी और छटकबारी करते नजर आये । शायद अभी भी अठारवीं शताब्दी के मुताबिक अधिकारी अपने हिसाब से ही काम करने को मान रहे हैं। सरकार की तिजोरी खाली करने और गलत ढंग से किसी को देना एक संगीन जुर्म है। इस नियम के मुताबिक औद्योगिक तालीम संस्था बीलीमोरा के सूचना अधिकारी के वेतन से ही यह धन और हुए सारे खर्च वसूल करना ही नही भ्रष्टाचार साबित हो चुकने के बाद नौकरी से निस्कासित भी करना चाहिए। परंतु यहां सर्वश्रेष्ठ अधिकारियों के पास न ही ऐसे नियमो की जानकारी है न ही भ्रष्टाचार को बंद करने वालो की सरकार जरूरत समझती है। इसलिए यह फैसला अब गुजरात सतर्कता आयोग के कार्यालय में भेजे जाने की खबर है। और यह सब एक प्लान के मुताबिक खेल खेला जा रहा है। गुजरात सतर्कता आयोग जिसकी भ्रष्टाचार की तह में जाने और भ्रष्टाचार में फंसे अधिकारियों को निकाल बाहर करने की जवाबदेही है। उन की जांच उनके ही सर्वोच्च अधिकारी को सौंप कर क्या साबित करना चाहती है। समझना मुश्किल ही नही असंभव भी है।
नवसारी जिले के अन्य विभागों की हालात भी ठीक इसी तरह से पायी गई है। इसी क्रम में नवसारी जिला पचायत के सभी तालुका विकास अधिकारी । एक तालुका जहाँ सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है । वहां के तालुका विकास अधिकारी जिला विकास अधिकारी हो या कलेक्टर । किसी भी सर्वश्रेष्ठ सर्वोच्च अधिकारी को अथवा किसी भी नियम को नही मानते। अरजदार के पास चालीस हजार रुपये भरने का फरमान जारी कर चुके हैं। और जिला विकास अधिकारी अभी तक कोइ संज्ञान नही ले पाये। वैसे इन सभी वारदातों से सरकार को अवगत करवाने की खबरें चर्चा में व्यापक रुप ले रही है। नवसारी जिले में प्रायोजना वहीवटदार के तर्ज पर नवसारी जिला आयोजन अधिकारी भी ठीक कुछ ऐसे ही कामो को कई वर्षों से अंजाम दे रहे हैं। आदिजाति विकास जैसा खेल जिला आयोजन अधिकारी के कार्यालय से देखने को मिल रहा है। तीन तीन नोटिस के साथ डीओ लेटर तक भेज चुके । परंतु अभी तक सिर्फ ढाक के तीन पात भी नजर नही आया। अब माजरा कुछ समझ में नही आ रहा है कि आदिजाति विकास की भांति खरेखर सारा धन दिया भी गया है कि विजलपोर नगरपालिका की तरह बंदरबाट कर लिया जाता है।
नवसारी जिले में पूर्ती विभाग पुरवठा विभाग को भी गुजरात में दारू बंदी के नियमानुसार चलने की खबरें भी आज आतंक मचा रखी हैं। इसके लिए भी नवसारी जिले के सभी मामलतदारो से सूचना अधिकार अधिनियम के माध्यम से मागी गई।और मिली सूचना बड़ी ही शर्मनाक है। एक मजिस्ट्रेट के पद पर जांच करनेवाले अधिकारियों ने सरकार के लघुतम जांच नियमो की ऐसी की तैसी कर चुके हैं। हालात बद से बदतर पायी गई। और हद पार कर रहे अधिकारी स्वयं अपने भ्रष्टाचार की जांच खुद ही कर रहे हैं। नवसारी जिले के सभी जांच अधिकारियों ने पिछले तीन वर्षों में सिर्फ दस प्रतिशत जांच भी कायदेसर नही कर रहे हैं। शायद यही वजह है कि गुजरात सरकार के साथ भारत सरकार आज विश्व पटल पर अपने सबसे पिछले पायदान पर पहुंच चुकी है। आज जरूरत है कि जमीनी तल पर कामो का अंजाम दिया जाय। इस समाचार की गंभीरता और सत्यता तक सरकार पहुंच कर अब अपने शाख को बचाने में कामयाब होगी अथवा सत्य उजागर करनेवाले के उपर किसी न किसी तरह परास्त करने की कोशिश। यह भी समय चक्र में ही पता चलेगा।
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