Saturday, February 15, 2020

नवसारी जिले में पहलीवार पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेदिक एलेक्ट्रोपैथी पद्धति के साथ

 नवसारी जिले में पहलीवार पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेदिक एलेक्ट्रोपैथी  पद्धति के साथ

पंचकर्म क्या है?पंचकर्म करने का तरीका, फायदे और नुकसान -
                        पंचकर्म आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने की आयुर्वेदिक चिकित्सा है। पंचकर्म चिकित्सा में पांच प्रक्रियाएं होती हैं - वमन, विरेचन, नस्य, रक्तमोक्षण और अनुवासनावस्ती। इन पांचों का संयोजन पंचकर्म कहलाता है। इन पांचों का उद्देश्य आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना और स्वस्थ व संतुलित बनाना होता है। आज हम आपको सरल शब्दों में बताने की कोशिश करते है कि आयुर्वेद कि पंचकर्म चिकित्सा क्या होती है, इसके लाभ क्या-क्या हैं और इसको करने से पहले और बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।  पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेद विज्ञान आपको इस बात का संकेत देता है कि अधिक तनाव आपके आंत की नली या जठरांत्र मार्ग के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक होता है। जठरांत्र मार्ग में असंतुलन की वजह से सूजन होता है और पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। सूजन और पाचन क्रिया सही न होने की वजह से आपके शरीर में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगता है और शरीर बीमारियों का शिकार होने लगता है। इसके साथ ही साथ कई प्रकार की बीमारियां भी जन्म लेती हैं। आज मानव शरीर  में होने वाली  सभी बीमारियों का मुख्य  कारण आधुनिक खोराक एवम शारीरिक श्रम की कमी है। आज के इस भाग दौड भरी जिन्दगी में हम  सभी शरीर की जरूरतो को ध्यान मॆ न रखकर इस प्रदुषित वातावरण में जहां पानी वायु भोजन सभी प्रदुषण युक्त है । हम रोज रोज एक नई बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं।
पंचकर्म के माध्यम से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलता है और आपका शरीर अधिक सक्रिय हो जाता है। विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने और शरीर अधिक सक्रिय होने की वजह से आप अधिक उर्जावान महसूस करते हैं और मानसिक स्तर पर भी सुधार होता है। आपके पाचन क्रिया को मजबूत बना कर पंचकर्म प्राकृतिक रूप से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। पंचकर्म आयुर्वेदिक प्रक्रिया के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंग जैसे फेफड़े, मू्त्राशय, पसीने की ग्रंथि, पेट और आंत से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। ध्यान रहे कि पंचकर्म प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। यह व्यक्ति के शरीर, उम्र, ताकत और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है। इसलिए पंचर्कम आयुर्वेदिक प्रक्रिया को अपनाने से पहले प्रशिक्षित चिकित्सक से सलाह लें । और इसे सही तरीके से करें पंचकर्म चिकित्सा करवायें- पंचकर्म से पहले दो प्रक्रियाएं हैं, जिसे आपको पूरा करना आवश्यक होता है। पहला ऑयलेशन (शरीर में तेल लगाना) और दूसरा फॉमेंटेशन (शरीर से पसीना निकालना)।
 1. ऑयलेशन - ऑयलेशन प्रक्रिया में आपके पूरे शरीर में तेल लगाया जाता है। अलग-अलग तरीके से आपके शरीर में तेल से मालिश की जाती है। ऐसा करने से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
 2. फॉमेंटेशन - इस प्रक्रिया में आपके शरीर से पसीना निकलता है। ऑयलेशन प्रक्रिया में विषाक्त पदार्थ मुलायम हो जाते और फॉमेंटेशन प्रक्रिया में यह विषाक्त पदार्थ पतला या पानी की तरह हो जाते हैं। आयलेशन प्रक्रिया कठोर विषाक्त को मुलायम बनाने का काम करता है, जबकि फॉमेंटेशन पसीने के माध्यम से इसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
 पंचकर्म चिकित्सा - पंचकर्म चिकित्सा के पांच चरण होते हैं। ये पांच चरण इस प्रकार हैं -  
1. पंचकर्म चिकित्सा का पहला चरण: वमन - इस प्रक्रिया में आपको उल्टी कराया जाता है। आपके शरीर को कुछ दिनों तक आंतरिक और बाहरी रूप से ऑयलेशन और फॉमेंटेशन प्रक्रिया से गुजरना होता है। इन दोनों प्रक्रिया को तब तक करना होता है, जब तक विषाक्त पदार्थ तरल रूप धारण न कर लें। इसके अलावा पूरा विषाक्त पदार्थ शरीर के ऊपरी भाग में इकट्ठा न हो जाए। इसके बाद आपको उल्टी आने वाली दवा दी जाती है। उल्टी के माध्यम से आपके ऊतकों से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिन लोगों को कफ की समस्या होती है, उन लोगों के लिए वमन आयुर्वेदिक इलाज बहुत अधिक उपयोगी है। इसके साथ ही साथ अस्थमा और मोटापा के रोगियों के लिए यह बहुत काम का है। वैसे ध्यान दें इसे चिकित्सक के माध्यम और देख रेख में ही करें ।
 2. पंचकर्म चिकित्सा का दूसरा चरण: विरेचन - विरेचन मलत्याग की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में आंत से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में भी आपको ऑयलेशन और फॉमेंटेशन प्रक्रिया से गुजरना होता है। विरेचन प्रक्रिया में आपको जड़ी-बूटियां खिलाई जाती है, जो आपके आंत से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती हैं। जिन लोगों के शरीर में पित्त अधिक बनता है, उन लोगों के लिए विरेचन प्रक्रिया बहुत अधिक लाभदायक साबित होती है। इसके साथ ही साथ पीलिया और कोलाइटिस के रोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी है। 
3. पंचकर्म चिकित्सा का तीसरा चरण: नस्य - नस्य प्रक्रिया में आपको नाक के माध्यम से औषधि दी जाती है, जो आपके सिर वाले भाग से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इस प्रक्रिया के लिए आपके सिर और कंधों पर हल्का मालिश किया जाता है, जिससे नस्य पंचकर्म के लिए आप तैयार हो जाएं। इस प्रक्रिया में आपके नाक में एक ड्राप डाला जाता है, जो आपके सिर से अपशिष्ट पदार्थ को निकालने में मदद करता है। सिर से अपशिष्ट पदार्थ निकल जाने के बाद आपको माइग्रेन, सिरदर्द और बालों की समस्या से राहत मिलती है। नस्य प्रक्रिया, नाक और सिर से कफ को निकालने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
 4. पंचकर्म चिकित्सा का चौथा चरण: अनुवासनावस्ती - अनुवासनावस्ती एक अद्वितीय आयुर्वेदिक उपाय है। इस प्रक्रिया में आपके शरीर से विषाक्त पदार्थ को निकालने के लिए कुछ तरल पेय पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। तेल, दूध और घी जैसे तरल खाद्य पदार्थों को आपके मलाशय में पहुंचाया जाता है। अनुवासनावस्ती पुरानी बीमारी को ठीक करने में बहुत उपयोगी है। अधिक वात वाले शरीर के लिए यह उपाय बहुत अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही साथ यह गठिया, बवासीर और कब्ज के लिए रामबाण साबित होता है। अनुवासनावस्ती वात, पित्त और कफ तीनों दोष के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस प्रक्रिया को पंचकर्म का आधार माना जाता है। 
5. पंचकर्म चिकित्सा का पांचवा चरण: रक्तमोक्षण - रक्तमोक्षण में आपके शरीर के खराब खून को साफ किया जाता है। खराब खून की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाने में रक्तमोक्षण प्रक्रिया बहुत अधिक उपयोगी है। इस प्रक्रिया में शरीर के किसी खास भाग या फिर पूरे शरीर के खराब खून को साफ किया जाता है। रक्तमोक्षण त्वचा रोग जैसे मुहांसे और एक्जिमा को ठीक करने में बहुत लाभदायक है। 
 पंचकर्म के फायदे - पंचकर्म के फायदे निम्नलिखित है -  पंचकर्म आपके शरीर और दिमाग से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलता है। पंचकर्म आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। पंचकर्म आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। पंचकर्म आपकी बढ़ती उम्र को रोकता है।आप हमेशा एक नवयुवक जैसी एनर्जी महसूस करते हैं। पंचकर्म आपके शरीर को आराम पहुंचाता है। पंचकर्म आपके शरीर को पूरी तरह से शुद्ध करता है। पंचकर्म आपके पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है। पंचकर्म आपके ऊतकों को युवा बनाता है। और वजन कम करने में मदद करता है। पंच कर्म से सभी प्रकार की सामान्य से लेकर असाध्य बीमारियों से छुटकारा मिलता है। 
पंचकर्म के नुकसान और सावधानियां - पंचकर्म आयुर्वेदिक इलाज आजकल पूरे दुनिया में बहुत अधिक लोकप्रिय हो रहा है। यह लोगो के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है और स्वास्थ्य के लिए इसके कई फायदे हैं। पंचकर्म आपके शरीर के लिए किसी भी प्रकार से नुकसानदायक नहीं है। लेकिन फिर भी पंचकर्म चिकित्सा को अपनाने से पहले आपको कुछ सावधानियां जरूर रखनी चाहिए। 
पंचकर्म के दौरान सावधानियां - इस दौरान केवल गर्म पानी पीएं, गर्म पानी से नहाएं और अन्य काम के लिए भी गर्म पानी का ही इस्तेमाल करें। पंचकर्म के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए। पंचकर्म के दौरान अधिक तापमान से बचना चाहिए। पंचकर्म के दौरान देर रात तक नहीं जगना चाहिए। पंचकर्म के दौरान मुश्किल से पचने वाले खाद्य पदार्थों को न खाएं।
अधिक जानकारी एवम चिकित्सा हेतु संपर्क करें
डा.आर.आर.मिश्रा 
डा.उमेश आर.मिश्रा 
DR.KARISHMA MISHRA (only for ladies )
करिश्मा चेरीटेबल ट्रस्ट   अलकापुरी सोसायटी, विजलपोर, नवसारी(गुजरात)
संपर्क सूत्र
मो.9898630756 /9227850786/9328014099(ओ)   02637 280786
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