अवचेतन मन क्या है ? आइये इसकी शक्ति को जाने
इससे हम लाभ कैसे ले सकते है..?
आपका चेतन मन Conscious mind जिस भी बात को स्वीकार करता है। और उसके सच होने पर भरोसा करता है। आपका अवचेतन मन Subconscious mind उसे स्वीकार कर लेगा और हकीकत में बदल देता है। हम जो हासिल करते है, और जो हासिल करने में असफल रहते है। वह सब हमारे खुद के विचार के परिणाम होते है। यानि हम जो सोचते हैं वैसा ही हमारे साथ हो जाता हैं। हमारी शुध्दता और अशुध्दता सुख और दुःख हम पर ही निर्भर करती है। आगे जानिये चेतन मन और अचेतन मन की शक्ति के बारे में कैसे आप दुनिया का कोई सा भी कार्य कर सकते हैं।
उन्हें कोई दूसरा नहीं बल्कि हम ही बदल सकते है। हमारी सारी खुशी और दुख का स्त्रोत हमारे भीतर है। जैसा हम सोचते है। वैसे ही हम होते है, जैसा हम वर्तमान में सोचेंगे। भविष्य में हम वैसे ही बनेंगे ।
कुछ चीजे ऐसी होती है जिन्हें आप नहीं बदल सकते। जैसे ग्रहो की गति, मौसम का परिवर्तन, समुद्र का ज्वार-भाटा या सुर्य क उदय व अस्त होना। आपका चेतन मन जिन विश्वासों, मान्यताओ, राय और विचारों को स्वीकार करता है। वे सभी आपके अधिक गहरे अवचेतन मन पर अपनी छाप छोडते है।
अपने अवचेतन मन को सही रास्ते पर कैसे ले जायें वह सीखना बहुत जरुरी है। सौंदर्य, प्रेम, शांति, बुध्दिमानी, और सृजनात्मक विचारो वाली सोच रखें। आपका अवचेतन मन उसी के हिसाब से प्रक्रिया करेगा और आपकी मांसिकता, शरीर तथा जीवन की परिस्थितीयों को बदल देगा।
कुछ चीजे ऐसी होती है जिन्हें आप नहीं बदल सकते। जैसे ग्रहो की गति, मौसम का परिवर्तन, समुद्र का ज्वार-भाटा या सुर्य क उदय व अस्त होना। आपका चेतन मन जिन विश्वासों, मान्यताओ, राय और विचारों को स्वीकार करता है। वे सभी आपके अधिक गहरे अवचेतन मन पर अपनी छाप छोडते है।
अपने अवचेतन मन को सही रास्ते पर कैसे ले जायें वह सीखना बहुत जरुरी है। सौंदर्य, प्रेम, शांति, बुध्दिमानी, और सृजनात्मक विचारो वाली सोच रखें। आपका अवचेतन मन उसी के हिसाब से प्रक्रिया करेगा और आपकी मांसिकता, शरीर तथा जीवन की परिस्थितीयों को बदल देगा।
मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषक बताते है कि जब विचार आपके अवचेतन मन तक पहुंचते है। तो वे मस्तिष्क की कोशिकाओं पर अपनी छाप छोड देते है। आपका अवचेतन मन गिली मिट्टी कि तरह होता है । यह किसी भी तरह के –अच्छे या बुरे – विचार को स्वीकार कर उसी आकार में ढल जाता है। आपके विचार सक्रिय होते है । उन्हें वे बिज मान लें, जो आप अपने अवचेतन मन की मिट्टी में बोते हैं।
नकारात्मक(Negative) विनाशकारी विचार आपके अवचेतन मन में नकारात्मक ढंग से काम करते है । निश्चित रुप से, समय आने पर आपको उनके अनुरुप ही फसल मिलेगी।आपके चेतन मन के आदतन विचार आपके अवचेतन मन में गहरे खाँच बना देते है। यदि आपके आदतन विचार सामंजस्यपूर्ण शांतिपूर्ण और सृजनात्मक है। तो यह आपके तथा आपके करियर दोनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए यह बात जान ले की विचार ही वस्तु है।
आप मन में जो मह्सुस करते है। उसे ही अपनी और आकर्षित करते है। आप जिसकी कल्पना करते है, वही बन जाते है । यदी आप ऐसा कर लेते है तो इसके बाद आपके जीवन में चमत्कार होने लगेंगे। आप जहाज के कप्तान है। आप आदेश दे रहे है और आपका अवचेतन आपके आदेश की छाप को ग्रहण करके इसे साकार कर देगा । चाहे यह सत्य हो या नहीं, जैसा हमने बताया है। इसलिए सिर्फ उन्हीं चीजों को स्वीकार करें जिन्हें आप वास्तव में साकार देखना चाहते हो। (यानी सिर्फ उन्ही चीजों के बारे में सोचे जिनको आप भविष्य में करना चाहते हैं।
आपको यह एहसास करना होगा कि आपका चेतन मन दरवाजे पर खडे पहरेदार की तरह है। इसका मुख्य कार्य है आपके अवचेतन मन को झूठी छवियों से बचाना। अब आप मस्तिष्क का एक बूनियादी नियम जान चुके है।
आपका अवचेतन मन सुझावों को ग्रहण करता है। जैसा आप जान चुके हैं आपका अवचेतन मन तुलना नहीं करता है। न ही यह तर्क करता है. या खुद विचार सोचता है ये सारे कार्य तो आपका चेतन मन करता है। आपका अवचेतन मन तो सिर्फ उन्ही छवियों पर प्रतिक्रिया करता है। जो आपका चेतन मन इसे देता है। यह खुद काम की किसी खास दिशा या योजना को तवज्जो नहीं देता है। याद रखें, चेतन मन की इच्छा के विरुध्द कोई सुझाव अवचेतन मन पर हावी नहीं हो सकता। आपके चेतन मन में किसी भी झूठे या नकारात्मक सुझाव को ठुकराने की शक्ति होती है।
आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आप अपने अवचेतन मन तक सिर्फ वही सुझाव पहुँचने दें। जो हर मायने में आपका उपचार करते हों। वरदान होते हों, आपको उच्च स्तर पर ले जाते हों और प्रेरित करते हों।
यह कभी न भुलें कि आपका अवचेतन मन आपकी हर बात पर विश्वास करता है। यह शत-प्रतिशत आपकी बात मानता है. यदि आप यह कहते रहेंगे, “मुझे वह प्रमोशन नहीं मिल सकता, मैं अपनी आजीविका नहीं चला सकता, “तो आपका अवचेतन मन ऐसी परिस्थितियाँ बना देगा कि आप सचमुच ऐसा नहीं कर पाएँगे।
आपके अवचेतन मन पर दूसरो के विचारो का भी असर पडता है । बचपन से ही हममें अधिकतर को बहुत से नकारात्मक सुझाव दिए जाते हैं । नकारात्मक सुझावों (Negative Suggestion) की वजह से मानसिक प्रतिक्रिया की बहुत ही बुरी आदत बन सकती है।
जिसका परिणाम युध्द, दुख, कष्ट, धार्मिक व जातिय पूर्वाग्रह और तबाही होता है. संसार के तनाशाह स्वेच्छाचारी शासक और निरंकुश नेता सुझाव की शक्ति को जानते हैं। स्टालिन ने इसका अभ्यास किया था हिटलर ने इसका सहारा लिया था, यहाँ तक कि ओसामा बिन लादेन भी इसे अमल मे लाता था।
यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग कैसे करते है| एक बार प्रोग्रामिंग हो जाने के बाद अवचेतन मन उसी के अनुसार कार्य करने लगता है – चाहे वह कार्य गलत हो या सही।
चेतन मन (Conscious Mind) को विचारों का चौकीदार या गेटकीपर भी कहा जा सकता है| दरअसल हमारा हर विचार एक बीज की तरह है और हमारा अवचेतन मन एक बगीचे की तरह है। हमारा चेतन मन यह निर्णय करता है कि अवचेतन मन में कौनसा बीज बौना है और कौनसा नहीं । हम कभी कभी अनजाने में अपने अवचेतन मन की गलत प्रोग्रामिंग कर देते है – जैसे अगर मैं यह सोचता हूँ आज मैं यह लेख नहीं लिखूंगा तो यह छोटा सा विचार धीरे धीरे मेरे कार्य को कल पर टालने की आदत बन सकता है।
गहन चिंतन और मैडिटेशन के द्वारा हम अवचेतन मन की Reprogramming करके इसमें इन्स्टाल किए हुए गलत सॉफ्टवेयर को धीरे-धीरे डिलीट कर सकते है|
हमारे जीवन के एक महत्वपूर्ण भाग को “अवचेतन मन” नाम का रोबोट नियंत्रित करता है और यह रोबोट, चेतन मन द्वारा की गयी प्रोग्रामिंग से नियंत्रित होता है| इस रोबोट की प्रोग्रामिंग विचार रुपी बीज से होती है। इसलिए सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम कौनसे विचार चुनते है और अपने अवचेतन मन में किस तरह के सॉफ्टवेयर इंस्टाल करते है।
आकर्षण का सिद्धांत:-
आप जैसा अपने बारे में सोचेंगे आपका व्यक्तित्व वैसा ही बन जाएगा। अधिकतर लोगों का व्यवहार उलझनो से भरा होता है। क्या आपने कभी सोचा की कोई दुकानदार एक ग्राहक को इज्जत क्यों देता है। आकर्षण का सिद्धांत समझ कर हम अपने जीवन में किसी भी चीज को अपनी और आकर्षित कर सकते हैं। जबकि वह दूसरे ग्राहक को नजर अंदाज कर देता है । कोई व्यक्ति एक महिला के लिए दरवाजा खोल देता है, जबकि दूसरी महिला के लिए नहीं खोलता।
हम किसी व्यक्ति की बात को ध्यान से क्यों सुनते है। जबकि दूसरे व्यक्ति की बातों को अनसुनी कर देते हैं । अपने चारों ओर देखें. आप देखेंगे कि बहुत से लोगो को “हे, राहुल” या ” और, यार ” कहकर बुलाया जाता है, और कई लोगों से महत्वपुर्ण ” यस, सर” कहा जाता है. देखिए. आप पाएंगे कि कुछ लोगों को एहमियत, वफादारी और तारिफ मिलती है जबकि बाकी लोगों को ये सब चीजें नहीं मिलतीं।
और नजदीक से देखने पर आप पाएंगे की जिन लोगों को सबसे ज्यादा सम्मान मिलता है वे सबसे ज्यादा सफल भी होते है। इस बात का कारण क्या है ? अगर मात्र एक शब्द मै इस का उत्तर दिया जाए तो इसका कारण है- सोच (Thinking ).
हमारी सोच के कारण ही ऐसा होता है । दूसरे व्यक्ति भी हममें वही देखते है। जो हम अपने आपमें देखते और सोचते है। हमें उसी तरह का भाईचारा, व्यवहार , मिलता है । जिसके काबिल हम खुद को समझते हैं. सोच के कारण ही सारा फर्क पडता है।
वेसे आदमी जो खुद को हीन समझते है। चाहे उनकी योग्यताए कितनी ही क्यों न हों, वे हीन ही बनें रहेंगे। आप जैसे सोचते, विचारते है वैसा ही काम करते हैं। और वैसे ही हो जाते है। चाहे वह अपनी हीनता छुपाने का कितना भी प्रयास करे। यह मुलभूत भावना लंबे समय छुप नहीं सकती। जो व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण नहीं है। वह सचमूच महत्वपूर्ण नहीं होता। ठीक दूसरी तरफ, वह व्यक्ति जो यह सोचता है कि वह कोई काम कर सकता है। तो वह सचमुच उस काम को कर लेगा ।
और नजदीक से देखने पर आप पाएंगे की जिन लोगों को सबसे ज्यादा सम्मान मिलता है वे सबसे ज्यादा सफल भी होते है। इस बात का कारण क्या है ? अगर मात्र एक शब्द मै इस का उत्तर दिया जाए तो इसका कारण है- सोच (Thinking ).
हमारी सोच के कारण ही ऐसा होता है । दूसरे व्यक्ति भी हममें वही देखते है। जो हम अपने आपमें देखते और सोचते है। हमें उसी तरह का भाईचारा, व्यवहार , मिलता है । जिसके काबिल हम खुद को समझते हैं. सोच के कारण ही सारा फर्क पडता है।
वेसे आदमी जो खुद को हीन समझते है। चाहे उनकी योग्यताए कितनी ही क्यों न हों, वे हीन ही बनें रहेंगे। आप जैसे सोचते, विचारते है वैसा ही काम करते हैं। और वैसे ही हो जाते है। चाहे वह अपनी हीनता छुपाने का कितना भी प्रयास करे। यह मुलभूत भावना लंबे समय छुप नहीं सकती। जो व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण नहीं है। वह सचमूच महत्वपूर्ण नहीं होता। ठीक दूसरी तरफ, वह व्यक्ति जो यह सोचता है कि वह कोई काम कर सकता है। तो वह सचमुच उस काम को कर लेगा ।
महत्वपूर्ण बनने के लिए यह सोचना, समझना जरुरी है कि मैं महत्वपूर्ण हूं ।. सच में ऐसा सोचें तभी दूसरे लोग भी हमारे बारे में ऐसा सोचेंगे। इस तर्क को ठीक से समझे । आप क्या सोचते है, इससे तय होता है कि आप कैसा काम करते हैं। आप क्या करते हैं इससे तय होता है। दूसरे आपके साथ कैसा व्यवहार करते हैं।
दूसरे लोगों का सम्मान पाने के लिए आपको सबसे पहले तो यह सोचना होगा की आप उस सम्मान के काबिल हैं। और आप अपने आपको जितने सम्मान के काबिल समझेंगे, दूसरे लोग आपको उतना ही सम्मान देंगे। इस सिध्दांत का प्रयोग करके देख लें। क्या आप के दिल मै कभी किसी गरीब या असफल व्यक्ति के लिए सम्मान देखा हैं। हा आपको दया आ सकती है लेकिन सम्मान नहीं. क्यों ?
क्योकिं वह गरीब या असफल व्यक्ति खूद का सम्मान नहीं करता। वह आत्म-सम्मान के अभाव में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है। आत्म सम्मान हमारे हर काम में साफ दिख जाता है। इसलिए हमें इस तरफ ध्यान देना होगा कि हम किस तरह अपना आत्म सम्मान बढा सकते हैं । और दूसरों से सम्मान हासिल कर सकते हैं। और इस सब के लिए जरुरी हैं की आप अपने बारे में सकारात्मक सोचे. फिर धीरे-धीरे आपका जीवन बदल जाएगा।
दूसरे लोगों का सम्मान पाने के लिए आपको सबसे पहले तो यह सोचना होगा की आप उस सम्मान के काबिल हैं। और आप अपने आपको जितने सम्मान के काबिल समझेंगे, दूसरे लोग आपको उतना ही सम्मान देंगे। इस सिध्दांत का प्रयोग करके देख लें। क्या आप के दिल मै कभी किसी गरीब या असफल व्यक्ति के लिए सम्मान देखा हैं। हा आपको दया आ सकती है लेकिन सम्मान नहीं. क्यों ?
क्योकिं वह गरीब या असफल व्यक्ति खूद का सम्मान नहीं करता। वह आत्म-सम्मान के अभाव में अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है। आत्म सम्मान हमारे हर काम में साफ दिख जाता है। इसलिए हमें इस तरफ ध्यान देना होगा कि हम किस तरह अपना आत्म सम्मान बढा सकते हैं । और दूसरों से सम्मान हासिल कर सकते हैं। और इस सब के लिए जरुरी हैं की आप अपने बारे में सकारात्मक सोचे. फिर धीरे-धीरे आपका जीवन बदल जाएगा।
हमारे अवचेतन मन की शक्ती
अवचेतन मन एक सॉफ्टवेयर या रोबोट की तरह है। जिसकी प्रोग्रामिंग चेतन मन द्वारा की जाती है| अवचेतन मन एक रोबोट की तरह है । जो स्वंय कुछ अच्छा बुरा सोच नहीं सकता। वो तो केवल पहले से की गई प्रोग्रामिंग के अनुसार स्वचालित तरीके से कार्य करता है।
हमारे हर एक विचार का हमारे अवचेतन मन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। या यह कह सकते है कि हम जो कुछ भी सोचते है या करते है। उससे हमारे अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग होती जाती है ।और फिर बाद में धीरे धीरे अवचेतन मन उस कार्य को नियंत्रित करने लगता है।हमारी आदतों और धारणाओं का निर्माण भी ऐसे ही होता है ।और बाद में वह आदत स्वचालित रूप से अवचेतन मन के द्वारा नियंत्रित होती है।
आकर्षण का सिद्धांत के बारे में आपने इस जानकारी को हो सकता है । पहली दफा पढ़ा हो इसलिए आपको यह गलत लग रहा हो लेकिन यह सच है। हमारे पाठक मित्रों से अनुरोध है कि इस रहस्य को जानकार आप अपनी सोच को बदले । आपका अपना जीवन खुद बा खुद बदलने लगेगा।
अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं ।
संपर्क सूत्र :- डा.आर आर मिश्रा
मो. 9898630756
9328014099 नवसारी गुजरात
अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं ।
संपर्क सूत्र :- डा.आर आर मिश्रा
मो. 9898630756
9328014099 नवसारी गुजरात
No comments:
Post a Comment