Saturday, May 15, 2021

नवसारी जिले में जलालपुर तालुका पंचायत RTI के भंवर में ! जांये तो जांये कहां। ?

नवसारी जिले में जलालपुर तालुका पंचायत RTI के भंवर में ! 
मजदूरों का बीमा,PAD की उपलब्धता, गैरकानूनी एरकंडीशन, भ्रष्टाचार, विकास कमिश्नर के हुक्म का उलंघन में PIO,APIO के निलंबित होने के आसार  
जांये तो जांये कहां ? 

        नवसारी जिले में आज वर्षों से नवसारी जिला पंचायत में सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ लकवाग्रस्त होकर आखिरी श्वास लें रहा है। सरकार सर्वोच्च, सर्वश्रेष्ठ, शिक्षित, डिग्री धारकों को भी नियुक्त कर सारे हथकंडे अपना चुकी है। परंतु आरक्षण, बापु दर्शन, सेटिंग डोंट कोम परमोटेड प्रकृया से आये अधिकारी आज नवसारी जिले की शहनशक्ति की सभी हदें पार कर चुके हैं। सामान्य हिसाबी अधिकारी भी अपने आप को यहां मालिकाना हक जताने में विकास कमिश्नर और राज्यपाल के हुक्म की ऐसी की तैसी कर रहे हैं। जिला पंचायत के सर्वोच्च अधिकारी श्री कायदे के पालन करवाने के बजाय सरकार के हुक्म में गलतियां बताकर नियमों की धज्जियां उड़ाने में भूल रहे है कि उनके ऊपर ही कायदे कानून व्यवस्था पालन करवाने की जवाबदेही है। एक सामान्य हिसाबी अधिकारी के कार्यालय से गैरकानूनी एरकंडीशन निकलवाने में नवसारी जिला पंचायत की सर्वोच्च अधिकारी का निष्फल होना दुर्भाग्यपूर्ण माना जा सकता है।और आज इस भयंकर आर्थिक तंगी के माहौल में आज जानना जरूरी है कि आज सभी न्यायालय  मैदान में उतर चुके हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले की माने तो ऐसी व्यवस्था के सभी जवाबदार अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर देना चाहिए। और योगी सरकार के नियमों की मानें और देखें तो ऐसे सभी को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार के नियमों का उलंघन करने वालों को भले वह किसी भी राजनीतिक प्रशासनिक पद पर हो उनकी बिना किसी कार्यवाही के स्वैच्छिक राजीनामा पर सही करवाकर सभी संपत्तियों को जप्त ही नहीं नष्ट करने हेतु कार्यक्रम आज अपने चरमसीमा पर पहुंच गया है।आज गुजरात में भी जागृत नागरिकों के द्वारा ऐसी कार्रवाई की  मांग की खबरें चर्चित है। 
  नवसारी जिले के जलालपुर तालुका पंचायत में ठीक इसी प्रकार कार्यक्रम चल रहा है। गैरकानूनी एरकंडीशन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सूचना अधिकार अधिनियम २००५ में मिली सूचना के अनुसार सूचना अधिकारी और प्रथम अपील अधिकारी खुद सुनवाई के दौरान कबूल कर चुके हैं कि सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ के बारे में जानकारी हो अथवा कोरोना महामारी के दौरान जो आज भी अपने चरमसीमा पर राज करते हुए हजारों लाखों की जान ले चुकी है और ले रही है। ऐसे समय में शुरूआती दौर में विकसित समृद्ध वाली गुजरात सरकार के चीफ मिनिस्टर के गरीबों आदिवासियों मजूरों के हित में किए गए हुक्म के बारे में न ही उन्हें पता है न ही उनसे कोई लेना देना है। और दिलचस्प बात यह है कि इन सभी तमाशबीन अधिकारियों को ऐसा लगता है कि एक बार नौकरी मिल जाने के बाद सरकार इन सभी को मालिकाना हक दे दिया है। अपने अपने कार्यालय से गैरकानूनी एरकंडीशन भी निकाल नहीं रहे हैं। जबकि सरकार के नियमों की मानें तो अग्र सचिव अथवा उसके समकक्ष के सिवाय किसी को भी एरकंडीशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अब नवसारी जिले में इस नियम के हिसाब से न कोई सचिव है न ही उसके समकक्ष। और आज यह भी जानना जरूरी है कि गुजरात सरकार अधिकतम मामलों में नियम नहीं बनाती यह सिर्फ भाषान्तर कर अपना सिक्का ही लगाती है। 
 जिला पंचायत के हद विस्तार में करीबन 80 से 90% नागरिक निवास करते हैं।आज इन अधिकारियों को जानना जरूरी है कि सरकार के पास नोट छापने की मशीन नहीं है। एक पानी का ग्लास भी गरीब, मजदूर, आदिवासी किसानों, दलित, वंचित, आर्थिक पिछड़े वर्ग से लेकर सभी नागरिकों की खून पसीने, मेहनत मसक्कत की कमाई का है। एरकंडीशन में बैठकर हुक्म चलाने और नियमों की धज्जियां उड़ानें के लिए सरकार एक रुपया भी नहीं देती । अब देखना दिलचस्प होगा कि इस समाचार की गंभीरता को देखते हुए ए सभी अधिकारी और नोकरशाह अपने क्षेत्र में जाकर जमीन पर अपना कार्य करते हैं कि अरजदारो को धमकाने अथवा सेटिंग डोंट कोम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते है। 
नवसारी जिले में जिला पंचायत में आरोग्य विभाग है कि आ रोंग विभाग। सैकड़ों नागरिकों की रोज मौत हो रही है परंतु गैरकानूनी एरकंडीशन में बैठे अधिकारियों को एक भी मौत वर्षों तक नजर नहीं आती है। आज नागरिकों की लापरवाही की वजह आरोग्य विभाग की गैरकानूनी एरकंडीशन है। यहां अधिकारी समयसर उपस्थित होना भी गुनाह समझते हैं। एक रूबरू मुलाकात में आरोग्य विभाग के सर्वोच्च अधिकारी श्री किसी भी प्रकार से सूचना देने से सीधा इंकार कर चुके हैं। मीडिया से मुंह छुपाकर भागते अधिकारी क्या साबित करना चाहते हैं समझना मुश्किल हो गया है। हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि चिकित्सकों को जमीन पर सुलाकर चिकित्सा करने में मजबूर कर दिया है। ऐसे समाचार आज दुर्भाग्य पूर्ण और शरमजनक है। जानकारों की मानें तो सभी जवाबदार अधिकारियों को सीधे सरकारी सेवालय में भेजा जाना चाहिए। और नवसारी जिले में पंचायत के अधिकारी गैरकानूनी एरकंडीशन में मस्त हैं। आज नागरिकों को हो रही मौत की जवाबदेही वायरस की नहीं बल्कि ऐसे अधिकारियों की है। शासन में डिग्री की जरूरत होती है । प्रशासन में इसकी जरूरत तक नहीं देखी जाती है। 
  आज एक सामान्य तलाटी और सरपंच करोड़ों रुपए का घोटाला कर लेते हैं। वर्षों तक किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती। ऐसे कितने करोड़ों रुपए का इस तरह अंजाम दिया गया होगा। इसकी जवाबदेही आखिर किसकी है। जानकारों की मानें तो ऐसे कामों में सभी अधिकारी पदाधिकारी मिलजुलकर अंजाम देते हैं। और इसी कारण यहां कायदे का नहीं भ्रष्टाचार का बोलबाला है। नवसारी जिला पंचायत में सामान्य से सर्वोच्च तक ऐसे कामों को बड़ी सतर्कता से ऐसे कामों में मिलजुलकर अंजाम दिया जाता है। अन्यथा गुजरात सरकार के विकास कमिश्नर के हुक्म की ऐसी की तैसी करने से पहले लाखों बार सोचना पड़ता। जलालपुर तालुका पंचायत में पहले सभी एरकंडीशन निकाल दिया गया। परंतु ऐसे ईमानदारी के काम का रुपया तत्काल एरकंडीशन कैसे लग जाता है। एक सामान्य हिसाबी अधिकारी की कचेहरी में एरकंडीशन की क्या जरूरत है। आखिर यह आया कहां से है? मार्ग मकान विभाग लिखित में दे चुका है कि यह उसके अथवा सरकार के तिजोरी से नहीं आया है। जानकारों की मानें तो यहां ऐसे कई कामों को दिल खोलकर अंजाम दिया जाता है। आज ऐसे भ्रष्टाचार के कामों को बंद करने के लिए सरकार से कई संस्थाओं ने तत्काल प्रभाव से जवाबदार अधिकारियों की नियुक्ति के लिए विनंती की खबरें चर्चित है। अब देखना दिलचस्प होगा कि गुजरात सरकार में शासन प्रशासन नवसारी जिले में कायदे से कानून व्यवस्था पालन करने के लिए तत्काल प्रभाव से जवाबदार अधिकारी नियुक्त करता है कि भाई भाई की भूमिका निभाई जाती है। फिलहाल इस पर सभी की निगाहें अवश्य लगी हुई है।

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