Monday, November 19, 2018

प्रादेशिक कमिश्नर नगरपालिकाओ सुरत के साथ 22 नगरपालिकाओ मे सीओ के कामकाज शंकास्पद - आरटीआई

सुरत प्रादेशिक नगरपालिकाओ कार्यालय के साथ नवसारी भरूच वलसाड तापी सुरत जिले के सभी  नगरपालिकाओ के सी.ओ.के कामकाज शंकास्पद – आरटीआई
                      आज गुजरात भारत के लगभग सभी प्रदेशो मे अपना नाम विकसित और समृद्ध प्रदेश के नाम से पहचान बना चुका है । परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इसी वर्ष मे गुजरात सरकार पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये गुजरात को चार भागो में बांट कर सभी भागो में नगरपालिकाओ में एक आई ए एस और अधिक कलेक्टर के साथ वर्ग 1 के अन्य अधिकारीओ को बडे विश्वास के साथ चालु किया जिसमें कोई शक नही। परंतु एक सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 द्वारा मागी गयी सूचना मे सभी नगरपालिकाओ जिसमे वर्ग 1 के सीओ भी सामिल हैं। कायदेसर जवाब देने में असमर्थ ही नही मजबूर नजर आये। गुजरात सरकार में भारत सरकार के साथ ही सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 लागु हुआ । जिसमे आज तक लगभग सभी कार्यालय मे प्रो-एक्टिव डिस्क़्लोझर नियम 4 ब के तहत हर वर्ष 17 प्रकार की सूचनाए नागरिको के लिये उपल्ब्ध करवाने का प्रावधान है । साथ ही साथ इस सूचना को ओडिट करवाना अनिवार्य है । प्रादेशिक नगरपालिकाओ सुरत के साथ सभी नगरपालिकाओ मे नियम के साथ उपलब्ध नही है।

                            गुजरात सरकार के द्वारा लोक सेवा अधिकार अधिनियम 2013 लागु किया गया । जिसमे भी कोई अधिकारी नियम मुजब सूचना देने के बजाय उन्हे खुद भी नही पता।

लघुत्तम मासिक वेतन धारा 1948 के नियम के मुताविक यहां सभी नगरपालिकाओ में शोषण किया जा रहा है । इस नियम के तहत मुख्य जवाबदारी मुख्य अधिकारी सीओ की होने के कायदे को पता नही परंतु मानने को भी तैयार नही। लगभग सभी नगरपालिकाओ में 4 से 6 हजार रूपये मे 12 घंटे चोकीदार से काम करवाया जाता है। चोकीदारो के विषय में ज्यादा कुछ लिखना  ठीक नही है ।

     प्रादेशिक कमिश्नर सुरत नगरपालिकाओ के कार्यालय में भी एक बोर्ड लगाना जब उचित न समझा जाये तब यह जाना जा सकता है कि उनके क्षेत्र में सभी अधिकारी गण किस प्रकार से काम कर रहे होगे।इस कार्यालय में 5 जिले और 22 नगरपालिकाए आती है । जिसमें किसी भी नगरपालिका के सीओ की डिग्री नही बताई गयी । न ही नियम के मुताविक उसे ट्रांसफर किया गया ।सुत्रो के हवाले से मिली खबर के अनुसार यहां सिर्फ दिखावा ही ज्यादातर किया जाता है । विकास यहां सबसे ज्यादा होता है परंतु सिर्फ फाईलो मे ही सीमित किया गया है। भ्रष्टाचार इस हद तक गुजर गया कि सवाल पूछ्ना नागरिको का अधिकार नही एक संगीन जुर्म माना जाता है ।

      प्राप्त सूचना के मुताविक प्रादेशिक कमिश्नर सुरत नगरपालिकाओ के कार्यालय में अभी तक किसी अरजी का निकाल करना उसे जवाब देना गुनाह समझा जाता है । सूचना के अधिकार अधिनियम 2005, लोक सेवा अधिकार अधिनियम 2013, लघुत्तम मासिक वेतन धारा 1948, गुजरात सिविल सर्विस एक्ट 1971 जैसे महत्वपूर्ण नियम की यहां सूचना मागना गुनाह समझा जा रहा है । जिससे गुजरात सरकार कितने ही नियम बनाए यहां सिर्फ ढाक के तीन पात ही नजर आ रहे हैं। अब जब गुजरात की आर्थिक राजधानी साउथ झोन सुरत की जब हालात बद से बदतर हो रही है फिर बाकी उसी तरह से अंदाजा लागाया जा सकता है । 

आज सुरत प्रादेशिक कमिश्नर नगरपालिकाओ के साथ सभी क्षेत्र की 22 नगरपालिकाओ मे भ्रष्टाचार सावित हो चुका है। यहां आज सरकार के सभी नियमों को दरकिनार कर दिया गया है।
इस समाचार को अब कितने गंभीरता से लिया जाता है ? उस पर आज सभी  पाठको विद्वानो अधिकारीयों एवम  जागृत नागरिको की निगाहे लगी हुई है ।
यह समाचार किसी पक्ष अथवा पार्टी से प्रेरित नही है। इसे मजबूत किये बिना विकास और समृद्धि जैसे शब्द  एक जुमले से अधिक सावित नही हो सकते। इसलिए हमारे पाठको और अधिकारीयो एवम पदाधिकारीयो से अनुरोध है कि इसमे अपना सहयोग दे। और यह सिर्फ़ नगरपालिकाओ तक ही सीमित नही अन्य कार्यालयों मे जैसे कलेक्टर और जिला विकास अधिकारी के साथ पोलिस अध्यक्ष के कार्यालयो मे  उपरोक्त नियमो की हालत बद से बदतर पायी  गया।  नियमों की अनदेखी करना लगभग सभी प्रमुख कार्यालयो मे अधिकारी अपनी कामयाबी के रूप मेँ मानते है।

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