*जीवन का रहष्य*
*सिर्फ आपके और अपनों के लिए*
*मानव जीवन के रहस्य को समझ कर सभी समस्याओ से मुक्ति पाये।*
*मानव जीवन के रहस्य को समझ कर सभी समस्याओ से मुक्ति पाये।*
मित्रों यह एकदम सरल है। परन्तु कुछ *आधुनिक तथाकथित धर्मों के अनुवाइयो ने इसे इतना गूढ बनाया ही नही इसे व्यापार भी बनाया अपितु इस परमात्मा के अद्भुत भेंट मानव जीवन को अपने सिर्फ निजी स्वार्थ के लिये पूरी मनुष्य जाति को एक दूसरे का दुश्मन भी बना दिया।*हमारे सभी आध्यात्मिक गुरुओं की खोज का फायदा लेने के बजाय आज इसका व्यापार के साथ राजनीतिकरण कर दिया । और आज हालत बद से बदतर हो गई। आज हम सब इस महान अद्भुत भेंट मानव जीवन जो फायदेमंद थी । सभी समस्याओं का समाधान मिल रहा था। जीवन की हर समस्या का समाधान था। सब रोगों की दवा थी। प्रेम और आनंद था। एकता की भावना थी।और आज हम सभी एक बडे रहस्यमयीऋषि मुनियो की वैज्ञानिकता को छोड़कर भटक रहे है।
*मित्रों आइये हम सब मिलकर उसे प्राप्त करने की दिशा मे सोचे।*
और सभी धर्मों के सन्त महात्माओं ने हमें जो सिखाया है । धर्म ग्रंथो मे लिखा है ।उस पर सोचने की जरूरत है। आइये मित्रों हम सभी एक बार उस दिशा मे सोचे जहां हमारा मूल श्रोत है। और यदि मानव जीवन के अगर श्रोत पर जायेंगे वहां आपको कहीं कुछ अलग नहीं मिलेगा।और इस एक बात से सभी धर्मों के सन्त महात्माओं पैगम्बरो ,भगवान महावीर,भगवान कृष्ण, भगवान राम,भगवान बुद्ध, गुरु नानक, भगवान जीसस, ईशामसीह आदि सभी धर्म के गुरुओ प्राचीन गुरूओ ने कहा है।
आइये इसके ऊपर हम कुछ प्रकाश डालने की कोशिश करें। दिशाओं के मूल पर जाये सिर्फ दो है एक अन्दर की और दूसरी बाहरकी ओर । बाहर की तरफ हम सभी को रोज रोज नया अनुभव हो रहा है। मानव जीवन की जरूरते बहुत मुश्किल से बहुत कम लोगों की पूरी हो रही हैं । इच्छाए बहुत मुश्किल के बाद आज तक किसी की पूरी नही हुई । इसका एक बहुत लम्बा एतिहास है। अब यदि हम सभी दुसरी दिशा जो अन्दर की तरफ जाए तो बहुत जल्द ही पायेगें हम सभी के लगभग सारी चीजें एक जैसी ही नहीं बल्कि एक ही है । जैसे शरीर की बनावट । चेहरा और रंग शरीर माता पिता खानदान से मिला । नाम धर्म से मिला । यह सब उधार है। किसी और से मिला हुवा है। फिर भी हम सभी का मेल हो जाता है। एक जैसा ही है।इस शरीर के हर भाग सभी की शरीरों से मिलते दिखाई देते है । नही ती हमें चिकित्सा करने मे मुश्किल हो जाती। एक डॉक्टर सभी की चिकित्सा नही कर पाता।पूरी दुनिया मे आज तीन सौ धर्म है। यानी इस प्रकार से एक मानव जाति तीन सो धर्मों मे बाटा गया है। फिर चिकित्सा करना संभव ही नही असंभव हो जाता।
मन के विचार यह भी परंपरागत माहोल समाज और धर्म के अनुसार आता है परंतु फिर भी वैज्ञानिको के गहन खोज से पता चला कि लगभग 70 % विचार हम सभी के एक जैसे है। यह भी परम सत्य है वरना आज हम जी भी नही सकते। एक साथ रह नही सकते ।एक साथ चल नही सकते। एक ही होटल मे खाना चलना सब मुश्किल हो जाता। परन्तु ऐसा नही है। इससे यह सावित होता है कि इस यात्रा के प्रारंभ से एक ही है। और जैसे जैसे आप इस अन्दर की दिशा मे यात्रा करेंगे आप की यह एकता हर तरफ हर योनियों से बढती जायेगी। और हमारे दिव्य सन्त महात्मा इसके गवाह है और जिन्होंने इस यात्रा पर गये उनके हम सभी आभारी है। उन्होंने ने ही कहा कि *वसुधैव कुटुम्बकम*
अब आत्मा । फिर परमात्मा ।। इसकी एकता को शब्दों मे बाधा नही जा सकता। यह हम महसूस कर सकते है। और जिन मित्रों ने उपरोक्त बातो को अभी तक ध्यान से पढा उनके प्रति मै बहुत ही अनुगृहीत हूँ। और दिल से आभार व्यक्त करते हुए आपके भीतर बैठे परमात्मा को प्रणाम करता हूँ। मेरा प्रणाम स्वीकार करें। आगे की यात्रा पर आपको स्वयं जाना है ।यदि आपको कहीं भी जरूरत महसूस हो आप का स्वागत है।
हम आपको सदैव इस यात्रा और जीवन के सभी समस्याओ के समाधान हेतु मार्गदर्शन करने हेतु हर संभव प्रयास करने की कोशिश करेंगे।
आइए मित्र
*कही मौका निकल न जाये*
संपर्क सूत्र :- मो. 9898630756 9227850786
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