Friday, September 10, 2021

सरकार श्री की सभी कार्यालयो में वीज बिल कोमर्सियल .....? सरकार के कार्यालय में कोई व्यापार नही सिर्फ सेवाकीय काम किये जाते हैं .....!


सरकार श्री के सभी कार्यालयो में वीज बिल कोमर्सियल .....?

 सरकार के कार्यालय में कोई व्यापार नही सिर्फ सेवाकीय काम किये जाते हैं .....!

              आज गुजरात सरकार कोरोना महामारी से त्राहिमाम हो चुका है। आय के सभी श्रोत लगभग बंद हो चुके हैं। गुजरात राज्य की दक्षिण गुजरात वीज कंपनी ली. हो या टोरेंटो पावर, उत्तर गुजरात वीज कंपनी ली. हो या पूर्व/ पश्चिम गुजरात वीज कंपनी ली। भारत वर्ष में आज पावर उत्पादन क्षमता बढ जाने के बाद भी वीज दर गुजरात में सबसे अधिक है। आज लगभग सभी सरकारी कंपनियों का (खानगी) निजी करण करना सरकार की एक मजबूरी हो चुकी है। आज दक्षिण गुजरात वीज कंपनी के साथ टोरेंटो पावर में सूचना अधिकार अधिनियम २००५ में मिली सूचना के अनुसार सरकार की लगभग सभी कार्यालयो का विजली  दर कोमर्शियल लिया जाता है। दक्षिण गुजरात वीज कंपनी ली. में आज दिन दहाड़े भ्रष्टाचार हो रहा है ।हालत यहां तक बिगड़ती जा रही है कि भ्रष्टाचार शब्द यहां खुद शरमजनक महसूस कर रहा  है। सरकार के एक परिपत्र के अनुसार अग्र सचिव अथवा उनके समकक्ष के सिवाय किसी भी अधिकारी को एरकंडीशन की सुविधा उपलब्ध नही है। परंतु जमीनी हकीकत में यहां इस कानून को तोड़ना शासन हो या प्रशासन सभी इसे अपना हक समझते हैं।  और जांच में सूत्रो के अनुसार पता चला है कि आये हुए बिल में ८० प्रतिशत सिर्फ एरकंडीशन का आया है। क्या इसकी समीक्षा नही होना चाहिये ? सामान्य से सामान्य शासन का एक कार्यकर्ता वैसे तो वह अपने आप को हमेशा राजा हरिश्चंद्र जैसी ईमानदार भगवान राम जैसा पुरूषोत्तम भगवान महावीर जैसा दयालु अहिंसा परमो धर्म: भगवान बुद्ध जैसा करुणा वान समझाने के लिए सभी तामझाम करता है। लेकिन उसके जरा सा भी एक बार मौका मिल जाए फिर उसे देखो असलियत तत्काल इसके बिपरीत ही अब तक नजर आयी है। और उसी क्रम में लगभग सभी प्रशासनिक भी है। कसम खाकर नियुक्त होते हैं। और ज़िन्दगी भर उसे तोड़ने में लगा देते हैं। और यही कारण है कि सभी भीतर से खाली खोखले साबित हो रहे हैं। और परोपकार लोकसेवा प्रभुसेव करुणा संवेदनशील जैसे शब्दों की चादर ओढ़कर ऐसा अमानवीय कामों को करने में दिलचस्पी दिखाई देते हैं। सरकार संवेदनशील परोपकारी पारदर्शी समृद्धि विकसित होना आज भाषण में ही दिखाई देती है। क्योंकि सरकार राज्य धर्म देश किसी व्यक्ति विशेष स्थान विशेष नहीं है हम सभी का योग है। और यदि हमारी मानसिकता ही इस प्रकार से है फिर योग भी इसी प्रकार से मिलेगा। परंतु यदि इसके बिपरीत हम सत्य को भी अपने जीवन में कुछ स्थान समय देने की मात्र शुरुआत करने की चेष्टा करें फिर योग भी सकारात्मक ही होगा। जिसका उत्पादन हमारे देश में हो रहा है अत्यधिक मात्रा में हो रहा है उसकी जरूरत आज विकास में सबसे ज्यादा है उसे जितना बढ़िया और सुलभ करवाना जाय विकास अपने आप गतिमान होगा। और सरकार बेरोजगारी मंहगाई से जूझ रही है इसलिए आज निजीकरण की दिशा जाना एक मजबूरी और जरुरत है। आज की हकीकत में ज्यादातर जिसे   जितना अधिक  वेतन दिया जा रहा है आज वह उतना ही आलशी दिखाई दे रहा है और उसी मात्रा में भ्रष्टाचार करने में अपनी कुशलता को अंजाम देने में जुटा है। दस हजार रुपए तक वेतन पाने वाला बारह घंटे काम करने में दिलचस्पी दिखाई देता है । दो लाख रुपए वेतन धारी कार्यालय में हाजरी लगवाना मुनासिब समझने में भी संकोच करता है। और यदि भूल चूक से वह दिखाई भी पड़जाये फिर उसकी अंतर्दशा किसी और का अंजाम देने में होती है। आज कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें हम ऐसी किसी भी केटेगरी में नहीं रख सकते और उन्हीं की वजह से उन्हीं की आड़ में एक सभी असमाजिक अमानवीय कृत्य हो रहे हैं। आज ऐसे महानुभाव भी आप हर क्षेत्र में मिल जाते हैं ।आज जरूरत है हम सब मिलकर उनके पद चिन्हों पर चले उनका भव्य स्वागत किया जाना चाहिए। उनके देखरेख में हम सभी को चलना चाहिए। 

      आज बिजली बिल सरकार की सभी कार्यालयों में सामान्य होना चाहिए। यहां सिर्फ सेवा ही दी जाती है। और सभी सरकारी कार्यालयों में अलग अलग मीटर भी लगाना अनिवार्य है। सरकार के सभी सर्वोच्च सर्वश्रेष्ठ अधिकारी जरुर इस दिशा में अपना योगदान दे। जिसमें देश का विकास हो पाये। और सबके प्रयास के बिना समृद्धि विकसित पारदर्शी जमीनी हकीकत में लाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है। आइए हम सब मिलकर अपनी सकारात्मक सोच के जरिए अपने मिली मानवीय सत्ता के अनुसार काम करे। 


     नवसारी जिले में एक सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगी गई। जिसमें पता चला कि यहां लगभग सभी कार्यालयों में भरे जाने वाले विजली बिल में अधिकांशतः सिर्फ और सिर्फ बिन अधिकृत एरकंडीशन का है। सरकारी कचेहरियो में एरकंडीशन लगाने के लिए मार्ग और मकान कार्यालय ने लिखित में सूचना दी है कि एक भी एरकंडीशन लगाने के लिए उसके पास न ही कोई आदेश है और न ही उनके द्वारा लगाए गए हैं। अब समझना मुश्किल हो चुका है कि यह सरकारी अधिकारियों की कचेहरी है कि आराम गृह । जिसे जो मर्जी आये वह लगवा लें। वलसाड जिले से मिली सूचना और सूरत जिले में भी कुछ ऐसा ही चक्कर चल रहा है। सरकार के एक अधिसूचना के मुताबिक सरकार के किसी भी अधिकारी को परदा लगाने की तक अनुमति नहीं है। नैसर्गिक सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग करना चाहिए। आधुनिक वैज्ञानिक शोधों में पता चला है कि सूर्य प्रकाश से वंचित मनुष्य के भीतर विटामिन डी की कमी को पूरा करना किसी भी पद्धति में संभव नहीं है। और इससे अधिकांश बीमारियों का शिकार होना अनिवार्य है।  दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड में 14 दिसंबर को उर्जा बचत दिवस मनाने का प्रावधान है जिसे आज तक किसी भी अधिकारी ने नहीं मनाया न ही उसका पालन किया जा रहा है। उर्जा बचत दिवस के दौरान सूर्य प्रकाश में एक दिन पूरा सरकारी मुहकमा चलाने का विशेष महत्व है। और लगभग कुछ अधिकारियों को छोड़कर अपने अपने क्षेत्र में काम करने के लिए अधिकारियों को वेतन दिया जाता है। सभी के जोबचार्ट में इसे बाखूबी देखा जा सकता है। परंतु जमीनी हकीकत से यहां अधिकारी आज कोसो दूर है। भारत वर्ष के प्रधानमंत्री श्री विकास में सबके प्रयास का नारा लगा रहे हैं। परंतु आज सरकार के अधिकारी ही मानने को तैयार नहीं है। फिर नागरिकों को इस पर सुझाव देना व्यर्थ है। सरकार के सर्वोच्च अधिकारियों को इस पर आज विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अन्यथा आहिस्ता आहिस्ता एक दिन सरकार को भी जिसे आज परोक्ष रूप से चला रहे हैं उसे प्रत्यक्ष रूप से चलायेंगे। सरकार आज देवादार है यह कभी भी हो सकता है। जो सरकार को कर्जा दे रहे हैं वै भी इसके विभागों पर अपना दावा करे फिर कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। और आज इसे इसके विशेषज्ञों द्वारा समझा भी जा सकता है। 

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