Tuesday, September 7, 2021

नवसारी जिले में डिजिटल इंडिया काबीले तारीफ ...! दीपक तले अंधेरा ...!



नवसारी जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लकवा ग्रस्त ...!
जवाबदेही किसकी तय करना मुश्किल


       नवसारी को तारीख 02/10/1997 को वलसाड जिले से अलग कर जिला बनाया गया। आज 24 वर्ष पूरा करने के साथ 21 वी सदी में मानवीय मूल्यों के आधार पर युवा अवस्था में कार्यरत है। परंतु जमीनी हकीकत में अभी भी यहां के लगभग सभी दस्तावेज़ वलसाड जिले में है। अभी भी सरकार के मुख्य विभाग जैसे रेल विभाग जिसे आज मानव जीवन में लाइफ लाइन कहा जा सकता है। उसमें अभी भी नवसारी जिले के रूप में नहीं माना गया। दूसरी आज जिसकी जरूरत लगभग सभी की यानी भारतीय दूरसंचार विभाग आज भी वलसाड जिले के कब्जे में है। तीसरा विभाग भारतीय डाक विभाग यहां पर भी वलसाड जिले का कब्जा है। दक्षिण गुजरात वीज कंपनी हो या परिवहन विभाग में नवसारी जिले के रुप में मान्यता नहीं मिली। अभी तक यह समझना मुश्किल हो चुका है कि यहां जब सभी जीवन की प्रमुख प्राथमिक सुविधाएं तक में वलसाड जिले के अधिकारी पूरा करने तक देखभाल कर रहे हैं। फिर नवसारी जिले में बिन जरुरी उपद्रव क्यों किया जा रहा है। सरकार नवसारी जिले के रूप में नवसारी को देखना चाहती भी है कि सिर्फ एक राजनीतिक षड्यंत्र है। फिलहाल इसका जवाब राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। फिलहाल नवसारी जिले में लगभग सरकार की सभी योजनाओं को आज कुछ असमाजिक तत्वों ने  एक जुमला बना दिया है। और दिलचस्प बात यह है कि आज हमारे सर्वोच्च अधिकारी भी उसी ऱंग में रंग चुके हैं। आज यह सब सिर्फ सरकार की सत्ता बचाने में लगे हैं। जमीनी हकीकत में यदि एक सभी एक नजर डालते तो शायद यह दिन देखने को न मिलता। आज वैसे हम आज डिजिटल इंडिया 21वी सदी में प्रवेश ही नहीं 21 वर्ष पूरा कर चुके हैं। आज हम चांद और मंगल तक जरुर पहुंच गये है। सभी कामों को हम एक मोबाइल से करने का दावा करते हैं। और ऐसा नहीं है कि यहां सरकार की नीति और योजनाओं में कमी है। सरकार चाहे जितना कायदे-कानून बनाये जब तक उसे जमीनी स्तर पर क्रियान्वित न किया जाए तब तक सिर्फ एक जुमला बन कर रह जाती है। गांवों और गलियों में सभाएं की जा रही है। करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। रोज नये नये कानून बनाए जा रहे हैं। वैसे हम डिजिटल युग में जी रहे हैं। अभी तक जितने कायदे-कानून बनाये गये उनका पालन कौन करेगा और कौन करवायेगा इसे यदि जानने की कोई कोशिश भी करेगा उसे तत्काल देश द्रोहियों की सूची में डाल दिया जाता है अथवा एन केन प्रकारेण परेशान किया जाता है। आज हर जगह भटकने की जरूरत कहां है। सिर्फ ओनलाइन करने की जरूरत है। और आज गुजरात राज्य जिसे भारत का सबसे समृद्ध शक्तिशाली और प्रभावशाली पारदर्शी राज्य घोषित किया जा रहा है। आज ऐसे राज्य के जिलों में सभी न ही ओनलाइन है न ही ओफलाइन है। एक सामान्य वेबसाइट बनाना आज नवसारी जिले में 24साल गुजर गये। नवसारी जिले में जब कलेक्टर श्री नवसारी की एक वेबसाइट कायदे सर अपडेट नही है फिर  किसी और विभाग सोचना भी गुनाह है। उदाहरण स्वरुप जन जन को सरकार की सभी गतिविधियों और न्याय कैसे मिले एक हथियार के रूप में सरकार वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 बनाया । और सामान्य से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस कानून को मानना सभी अधिकारियों के लिए अनिवार्य है। करोड़ों रुपए आज भी सरकार खर्च कर रही है। परंतु सरकारी अधिकारी हैं कि इसे मानने को तैयार ही नहीं है। गुजरात की ऐतिहासिक संस्कारी नगरी नवसारी जिले के सर्वोच्च कार्यालय नवसारी जिला सेवा सदन की बात करें । अभी भी यहां जब ऐसे जन हित के कानून को मानना शायद गुनाह समझा जाता है फिर छोटे मझोले अधिकारियों की बात करना बेईमानी होगी। अभी तक मिल रही जानकारी के अनुसार यहां एक वेबसाइट नियमों के तहत न बनाई गई न ही कभी उसे अपडेट करने की कोशिश तक की गई। अभी यहां सूचना अधिकार अधिनियम लागू नहीं किया गया है। नवसारी जिला कलेक्टर श्री के वेबसाइट पर पहले लिखा है आरटीआई ओन लाइन और तत्काल उसके संदर्भ में लिखा गया है।
आरटीआई ओन लाइन में स्पष्ट लिखा गया है कि यहां आरटीआई न करें। प्रोएक्टिव डिस्क्लोजर वेबसाइट पर आज भी 2018 चल रही है और यदि उसे खोला जाये फिर 2012 की वह भी आधी अधूरी देखी जा सकती है। हालत बद से बदतर हो चुकी है। जिसकी फरियाद करो उसी से जांच करवाई जाती है। अब यह समझना मुश्किल हो चुका है कि यह सर्वोच्च अधिकारियों को पता है कि एक नागरिकों को गुमराह करने का षड्यंत्र। और यही हालत आज लगभग सभी विभाग की हो चुकी है। नवसारी शहेरी विभाग सत्ता मंडल जिसके चेयरमेन स्वयं कलेक्टर श्री हैं। एक समाचार पत्र में छपी ख़बरों के अनुसार जांच करवाने के लिए फरियाद की गई और उसे उसी अधिकारी के पास भेज दिया गया जिसका पर्दाफाश किया गया था। नवसारी विजलपोर नगरपालिका में हो रहे आकारणी कोभांड की फरियाद मुख्यमंत्री, सतर्कता आयोग से लेकर जिले के कलेक्टर तक की गई और अंततः उसे चीफ ओफीसर जिसके सामने फरियाद की गई उसी के पास भेज दी जाती है। आज नवसारी जिले की हालत दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है। समझना मुश्किल हो चुका है कि यहां आरोपी कौन है और न्याय कहां से मिलेगा। 


इसे कलेक्टर श्री नवसारी के वेबसाइट से








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