Sunday, October 31, 2021
नवसारी जिला पंचायत में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर ...! मार्ग और मकान पंचायत में भ्रष्टाचार बना शिष्टाचार...!
Friday, October 29, 2021
DGVCL कंपनी में सीधे हो रही डकैती ...! गाय एवम नागरिकों की हो रही मौतों के जवाबदार अधिकारी बाहर क्यों. .?
Wednesday, October 27, 2021
ઘુંટણની હર્બલ દવાઓ સીનિયર સિટિજનને વિના મુલ્યે ....અન્ય ને તદ્દન રાહત દરે 100% સટિસ્ફેકસન ગેરંટી સાથે મેળવો...
Saturday, October 23, 2021
गुजरात राज्य के नवसारी जिले में नया कदम............! अधिकारी अपनी जांच खुद करें....! गुनाह साबित होने पर सजा भी स्वयं ले ....!
गुजरात राज्य के नवसारी जिले में नया कदम..! अधिकारी अपनी जांच खुद करेंगे ..!गुनाह साबित होने पर सजा भी स्वयं ले ....!
શહેરી વિસ્તારના કોઇપણ નાગરિક પ્રાથમિક સવલતોથી વંચિત ન રહે તે માટે રાજય સરકાર ચિંતત છે -સાંસદશ્રી સી.આર.પાટીલ
Sunday, October 17, 2021
नवसारी जिला पंचायत के ग्राम पंचायतों में भवन निर्माण बहु मंजिला इमारतें राम भरोसे...! जिला पंचायत में लघुत्तम मासिक वेतन १९४८ आज ७३ वर्षो के बाद भी हवा हवाई .....! नवसारी जिला पंचायत कार्यालय में वर्षो से आरटीआई, आरसीपीएस , सेवा का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण कानून अभी भी फाईलो में कैद ...!
Thursday, October 14, 2021
डायाबीटीस के मरीजो के लिये रामबाण औषधि विजय सार का ग्लास ....! दवा के साथ भी दवा के बाद भी ...! एक बार जरूर पढे ....
विजयसार का परिचय
यह प्रायद्वीपीय भारत में लगभग 1400 मी तक की ऊँचाई पर गुजरात से बिहार, अण्डमान द्वीप समूह, दक्षिणी पर्णपाती सदाहरित पहाड़ी वनों से श्रीलंका तक पाया जाता है। चरकसंहिता सूत्रस्थान में दन्तधावन के रूप में असन का उपयोग हितकर कहा गया है। सार-आसव की सूची में विजयसार की गणना की गई है। इन्द्राsक्त रसायन, कुष्ठरोग के अन्तर्गत महाखदिर घृत, खालित्य रोग में महानील तैल और ऊरुस्तम्भ में श्योनाकादि प्रलेप में असन का प्रयोग मिलता है। त्वक् का प्रयोग शिरोविरेचन रूप में किया गया है।
सुश्रुत में बीजक को कफपित्तहर मानकर कुष्ठरोग में बहुलता से इसका प्रयोग किया गया है। रक्तपित्त में इसके पुष्प का प्रयोग बताया गया है। दूषित जल की शुद्धि के लिए असन का प्रयोग बताया है। वाग्भट ने गुदकुट्टक नामक बालरोग में बीजक-त्वचा का लेप एवं भगन्दर-प्रतिषेध में त्रिफला के साथ असन का प्रयोग बतलाया है। बीजक के निर्यास का हीरादक्खन (खूनखराबा) रूप में उपयोग करते हैं। प्राचीन काल में बीजक की लकड़ी से बने पात्रों में अंजन रखने का विधान किया गया है।
इसकी छाल में आघात या क्षत करने से गहरे लाल रंग का गोंद निकलता है, जो सूखकर काला तथा कठोर हो जाता है। इसको उबालकर एवं सुखाकर प्रयोग किया जाता है। यह गाढ़े लाल रंग के चमकीले टुकड़ों में होता है, जो माणिक के समान लाल रंग का दिखाई देता है। इसको तोड़ने से भूरे रंग का चूरा निकलता है तथा चबाने से यह दांतों में चिपक जाता है। इसके पुष्प सुगन्धित, पीत वर्ण के होते हैं। इस लेख में हम आपको विजयसार के फायदों (vijaysar benefits in hindi) के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.|
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
- विजयसार तिक्त, कटु, कषाय, उष्ण, लघु, रूक्ष तथा कफपित्तशामक होता है।
- यह त्वचा के लिए हितकर, केश्य, रसायन, सारक, पाचन, दंत धावन में हितकर तथा कुष्ठघ्न होता है।
- यह कुष्ठ, विसर्प, श्वित्र, प्रमेह, ज्वर, कृमिरोग, मेद, रक्तमण्डल तथा कंठरोग नाशक होता है।
- इसके पुष्प तिक्त, मधुर, पाचन तथा वातकारक होते हैं।
- इसकी त्वक् एवं अंतकाष्ठ स्तम्भक, मूत्रल, शीतल, घुलनशील (Resolvent), शोथघ्न, विशोधक, मूत्रस्तम्भक, रक्तस्तम्भक, कृमिघ्न, कोष्ठबद्धताकारक, वेदनाशामक, परिवर्तक तथा रसायन होती है।
- इसका निर्यास स्दंक, शीतल, व्रणरोपक, ज्वरघ्न, कृमिघ्न, यकृत् बलवर्धक, स्भंक तथा उद्वेष्टरोधी उद्वेष्टजन्य उदरशूल, पित्त प्रकोप, दन्तशूल, विचर्चिका, व्रण, जीर्ण व्रण, कृमि, शुक्रमेह, सविरामी ज्वर, यकृत्रोग, नेत्राभिष्यंद, श्वेतप्रदर तथा रक्तप्रदर में लाभप्रद होता है।
- इस पौधे में व्रणरोपण क्रिया होती है। काण्डत्वक् में यकृक्षतिरोधक क्रिया पाई जाती है।
विजय सार के फायदे
- नेत्र बलवर्धनार्थ-समभाग तिल तैल तथा विभीतक तैल में चार गुना भृङ्गराज स्वरस तथा विजयसार का क्वाथ मिलाकर लोहे के पात्र में तैल पाककर, ठंडा करके (1-2 बूंद) नस्य लेने से नेत्रों का बल बढ़ता है।
- दन्तशूल-विजयसार की छाल को पीसकर दांतों पर मलने से दन्तशूल (दांत दर्द) का शमन होता है।
- पीलिया में लाभदायक है विजयसार (Vijaysar benefits for Jaundice in Hindi) –10-20 मिली बीजकसारारिष्ट के सेवन से रक्ताल्पता, (पीलिया) कामला, प्रमेह, हृद्रोग, वातरक्त (गठिया), विषमज्वर (मलेरिया), अरोचक, कास (खांसी) और श्वास (दमा) में लाभ होता है।
- मधुमेह में फायदेमंद है विजयसार (Vijaysar benefits in Diabetes in Hindi) –विजयसार के काष्ठ से प्राप्त शीत जलीय सत्त् का प्रयोग मुधमेह की चिकित्सा में किया जाता है।
- 15-20 मिली विजयसार त्वक् क्वाथ का सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
- उपदंश-परवल, नीम, त्रिफला अथवा चिरायता के क्वाथ में खदिर सार, विजय सार तथा गुग्गुलु मिलाकर पीने से उपदंश में लाभ होता है।
- नष्टार्तव (मासिक धर्म का न आना)-ज्योतिष्मती पत्र, सज्जीक्षार, वचा तथा विजयसार को दूध से पीसकर तीन दिन तक पीने से रुका हुआ आर्तव स्रवित होने लगता है।
- श्वेतप्रदर (सफेद पानी)-विजयसार की काण्डत्वक् से प्राप्त गोंद में प्रबल स्तम्भक गुण होने से, श्वेत प्रदर (सफेद पानी) में स्थानिक प्रयोग किया जाता है।
- उपदंश-खदिर एवं असन का क्वाथ बनाकर आभ्यन्तर प्रयोग करने से एवं इनके कल्क को गुग्गुलु या त्रिफला के साथ मिलाकर स्थानिक प्रयोग से सभी प्रकार के उपदंश का शमन होता है।
- फाइलेरिया या हाथी पांव में लाभदायक (Vijaysar Benefits for Filariasis in hindi) –प्रतिदिन प्रात काल खदिर, बीजक तथा शाल कल्क में गोमूत्र तथा मधु मिलाकर पीने से श्लीपद (हाथी पांव) का शीघ्र शमन होता है।
- विजयसार पत्र कल्क को लगाने से घाव जल्दी भरता है व रोमकूपशोथ में लाभ होता है।
- श्वित्र (सफेद दाग)-लोहे के पात्र में तैल से भूने हुए भृंगराज के पत्तों का शाक खाकर विजयसार क्वाथ के साथ दूध अथवा विजयसार का क्षीरपाक पीना श्वित्र रोग में पथ्य है।
- कुष्ठ (कोढ़)-बीजक की अन्तकाष्ठ को पीसकर लगाने से कुष्ठ (कोढ़) में लाभ होता है।
- दद्रु (दाद)-विजयसार के काण्ड के काष्ठीय भाग को पीसकर दद्रु प्रभावित स्थान पर लेप करने से लाभ होता है।
- विजयसार त्वक् तथा पत्र कल्क को लगाने से कण्डू, पामा, श्वित्र व कुष्ठ का शमन होता है।
- स्थौल्य (मोटापा)-विजयसार के 15-30 मिली क्वाथ में मधु मिलाकर प्रतिदिन प्रातकाल सेवन करने से स्थौल्यता (मोटापा) का शमन होता है।
- बुखार से आराम दिलाता है विजयसार चूर्ण (Vijaysar benefits in fever in hindi) : 1-2 ग्राम विजयसार पुष्प चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से ज्वर का शमन होता है।
- रसायनार्थ-प्रतिदिन प्रात काल विजयसार के 2-4 ग्राम कल्क को दूध में घोलकर पीने से अथवा 1-2 ग्राम चूर्ण में मधु , घृत मिलाकर दूध के साथ एक वर्ष तक सेवन करने से रसायन गुणों की वृद्धि होती है।
- रसायन-एक वर्ष तक प्रतिदिन 1-2 ग्राम विजयसार के सारभाग को लोहे की कढ़ाई में लेप करके, रात्रिपर्यंत (रातभर) छोड़कर प्रात काल 200 मिली जल में घोलकर पीने से व्याधियों (रोगों) से मुक्ति रसायन गुणों तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- वाजीकरण-बीजक के 15-25 मिली क्वाथ में त्रिफला, शक्कर, शहद तथा घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से रसायन गुणों की प्राप्ति होती है।
प्रयोज्याङ्ग :पुष्प, छाल, पत्र, अन्तकाष्ठ तथा गोंद।
मात्रा :बीजकारिष्ट 10-20 मिली। त्वक् क्वाथ 15-20 मिली या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
आज के समय में तो डायबिटीज (मधुमेह) होना बहुत ही आम बात है। डायबिटीज में लंबे समय तक रक्त में शर्करा का स्तर ज्यादा रहता है। रक्त में शर्करा का स्तर उच्च रहने के कारण बार-बार पेशाब आने, प्यास लगने और भूख में वृद्धि होना की समस्या होने लगती है। डायबिटीज के कारण व्यक्ति का अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक रही तो रोगी को अनेक तरह की बीमारियां होने की संभावना रहती है।
उत्पाद वर्णन
डायबिटीज के मरीज क्या खाएं
शुगर के मरीज को फल हो या दूसरे खाद्द पदार्थ हमेशा सोच समझकर खाना चाहिए। नहीं तो मधुमेह के मरीज का शुगर हाई हो जायेगा, जो जानलेवा साबित हो सकता है। डायबिटीज का पता चलते ही मरीज तुरंत शुगर की आयुर्वेदिक या एलोपैथी दवा का सेवन करना शुरू कर देते हैं, जबकि ऐसा करने की बजाय उन्हें सबसे पहले अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिए. चलिये जानते हैं कि मधुमेह के मरीजों को क्या खाना चाहिए :
- केले में भी कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा होती है। डायबिटीज के रोगी एक केला पूरा न खाकर एक बार में आधे केले का सेवन करें।
- डायबिटीज के रोगी को प्रतिदिन एक या आधा सेब खाना चाहिए। सेब में प्रचुर मात्रा में एन्टीऑक्सिडेंट होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है तथा पाचन क्रिया को अच्छा बनाता है।
- अमरुद का फल डायबिटीज के रोगी के लिए बहुत फायदेमन्द है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी तथा अच्छी मात्रा में डायटरी फाइबर dietry fibre होता है। इसमें शर्करा अल्प मात्रा होती है।
- नाशपती के फल में अच्छी मात्रा में विटामिन और डायटरी फाइबर होता है। यह डायबिटीज में सेवन करने योग्य फल है।
- आड़ू (Peach) के फल में जरुरी पोषक तत्व होते है और इसमें अल्प मात्रा में शर्करा होती है, अत: इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है इसलिए डायबिटीज के रोगी को इसका सेवन करना चाहिए।
- जामुन का फल भी डायबिटीज के रोगी के लिए लाभदायक है। यह ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है।
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Wednesday, October 13, 2021
નવસારીના ધારાગીરી ગામે જિલ્લા કલેકટર શ્રી અમિત પ્રકાશ યાદવના અધ્યક્ષસ્થાને ખેડૂત ખાટલા સભા યોજાઇ ઃ
Sunday, October 10, 2021
નૈસર્ગિક ઉપચાર પદ્ધતિમાં માનસિક રોગો , વિદ્યાર્થીઓની યાદશક્તિ વધારવાથી લઈને વાળની સમસ્યા અને માથાના દુખાવા માટે અક્સીર માં અક્સીર સારવાર શિરોધારા પદ્ધતિ
શિરોધારા એક આયુર્વેદિક નૈસર્ગિક શાસ્ત્રોક્ત પદ્ધતિ છે જેમાં ઔષધીય સિદ્ધ કરેલ તેલ વડે માથા ઉપર એકધારુ તેલ રેડવામાં આવે છે. ટૂંકમાં તેલથી માથા ઉપર કરવામાં આવતી ધારા એટલે જ શિરોધારા.આવી જ રીતે ઔષધિથી સિદ્ધ કરેલ છાશ વડે માથા ઉપર કરવામાં આવતી ધારા એટલે તક્રધારા.
- શિરોધારા સારવાર રોગ હોય કે ન હોય દરેક સ્વસ્થ વ્યક્તિએ શિરોધારા પદ્ધતિ એક વખત કરાવવી જ જોઈએ. જેનાથી વાળનું સૌંદર્ય અકબંધ રહે છે.શિરોધારામાં ઔષધ સિદ્ધ તેલ ધારા રૂપે પડતું હોવાથી તેલ વાળના મૂળમાં જઈને રક્તવાહિનીઓને ઉત્તેજિત કરીને માથામાં રક્તનું પરિભ્રમણ સુધારે છે. જેથી વાળનું ઉચિત રક્ષણ અને પોષણ થવાથી ખરતા વાળ, ખોડો, અકાળે સફેદ થઈ ગયેલા વાળ, ઉંદરી, ટાલ પડવી, વાળ રૂક્ષ તથા બરછટ થઈ જવા વગેરે વાળનાં રોગો ઉદભવતા જ નથી.
માથાના દુ:ખાવા માં ઉપયોગી
શિરોધારા:-
શિરોધારાના અન્ય ફાયદા
- શિરોધારા ટ્રીટમેન્ટ
અનિદ્રાના રોગી માટે પણ ઉપકારક છે. શિરોધારામાં તેલની ધાર સતત માથા ઉપર થતી હોવાથી
માથામાંથી ગરમી તેલ દ્વારા બહાર નીકળી જતી હોવાથી માથામાં એકદમ ઠંડક થઈ જાય છે.
ઉપરાંત ધારા રૂપે તેલ પડતું હોવાથી રક્તનું પરિભ્રમણ સારી રીતે થઈ મૂળની અંદર તેલ
પહોંચી માથાનું ઉચિત રક્ષણ અને પોષણ કરે છે. અને દર્દીને સરસ નિંદ્રા આવે છે.
યાદશક્તિમાં વૃદ્ધિ-
શિરોધારા ટ્રીટમેન્ટ
મગજને પોષણ આપીને યાદશક્તિ પણ વધારે છે. જ્ઞાનતંતુની બીમારીમાં, યાદશક્તિ ઓછી હોવી, ભણવાનું થોડીવારમાં
ભૂલાઈ જતું હોય તેવા વિદ્યાર્થીઓ માટે પણ શિરોધારા એક અક્સીર ઇલાજ છે. શિરોધારા એક
જાતનું પેસિવ મેડિટેશન છે કે જે મનને શાંતિ પ્રદાન કરે છે. જેના દ્વારા બુદ્ધિ વિકસતિ
હોય છે, ધ્યાન
કેન્દ્રિત થાય છે અને મનને આરામ મળે છે. એક રિલેક્સ થઈ જાય છે. આથી જ તો ડોક્ટર, વકીલ, ચાર્ટડ એકાઉન્ટન્ટ, પ્રોફેસર, વિદ્યાર્થીઓ તથા સતત
પ્રવૃતિમય રહેતી ગૃહણીઓ માટે શિરોધારા આશીર્વાદરૂપ છે. આથી જ તો દરેકે દરેક માણસે
પોતાના સ્વાસ્થ્યપૂર્ણ સૌંદર્યના રક્ષણ અને જતન માટે આયુર્વેદિક નૈસર્ગિક ઉપચાર કરનાર
તબીબની સલાહ મુજબ શિરોધારા કરાવવી જ જોઈએ.
શિરોધારા માટે આજે જ સંપર્ક કરો
લોકરક્ષક હેલ્થ કેર
કરિશ્મા ચેરીટેબલ ટ્રસ્ટ
અલકાપુરી સોસાયટી વિજલપોર નવસારી ગુજરાત
મો. ૯૮૯૮૬૩૦૭૫૬ ૯૩૨૮૦૧૪૦૯૯
નવસારી વિજલપોર નગરપાલિકામાં ફાતેમા એપાર્ટમેન્ટ માં સીસી બીયુસી આકારણી કરનાર અધિકારીઓ બહાર કેમ..?
नवसारी जिले में दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड का पर्दाफाश -RTI
नवसारी जिले में दक्षिण गुजरात वीज कंपनी लिमिटेड का पर्दाफाश -RTI नवसारी जिले में DGVCL कंपनी के लगभग सभी सूचना अधिकारियों ने सूचना अधिकार का...
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(1) હિન્દુધર્મ પ્રમાણે માનવજીવનના સોળ સંસ્કારો :* 1. ગર્ભાધાન સંસ્કાર 2. પુંસવન સંસ્કાર 3.સીમંતોન્ન્યન સંસ્કાર 4. જાતકર્મ સંસ્કાર 5. નામકરણ ...
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(1) હિન્દુધર્મ પ્રમાણે માનવજીવનના સોળ સંસ્કારો :* 1. ગર્ભાધાન સંસ્કાર 2. પુંસવન સંસ્કાર 3.સીમંતોન્ન્યન સંસ્કાર 4. જાતકર્મ સંસ્કાર 5. નામકરણ ...
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નવસારી વિજલપોર નગરપાલિકાના વેબસાઈટ ઉપર 420 દિવસ પાછળની માહિતી ....! આજે ૪૨૦ દિવસ પછી પણ જાહેર માહિતી અધિકારી શ્રી ડી એન ગોહિલ અને ઇજનેર શ્રી...