Sunday, February 7, 2021

चुनाव सेवा , बुखार,मानसिक बीमारी या एक व्यापार..! भविष्य के नगर सेवको से मत पूछना .. आपकी शिक्षा,स्वास्थ्य,सुरक्षा,रोजगार, समाज में किये गये काम क्या है ?





भविष्य के नगर सेवको से मत पूछना ..!
चुनाव- सेवा अथवा बुखार,मानसिक बीमारी या एक व्यापार..!
मत देने से पहले विकास और समृद्धि पारदर्शक सरकार के लिये
 आपकी शिक्षा,स्वास्थ्य,सुरक्षा,रोजगार, समाज में किये गये काम क्या है ?

                             आज गुजरात के अधिकांश जिलों में नगरपालिका महानगर पालिका के साथ पंचायतों में चुनाव का मौसम चल रहा है। और यह मौसम प्राकृतिक न होने के बावजूद ठंडी गर्मी और बरसात तीनों को एक साथ और अलग अलग एहसास करवा रहा है। यहां आज गुजरात में कहीं खुशी और कहीं गम का माहौल स्पष्ट देखा जा सकता है।और आज यह 21वीं सदी वैज्ञानिक और शिक्षा का युग है। फिर भी इस समय 12वी सदी के युगों की याद जरूर ताजी हो रही है। आज एक सफाई कामदार भी और उसके प्रबंधक आपको जहां स्नातक स्तर के मिल जाने की काफी उम्मीदें हैं। वहीं चुनाव में हजारों की संख्या में नागरिकों की शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, मंहगाई, भ्रष्टाचार जैसे हजारों मुद्दों की जरूरत पूरा करवाने की जवाबदेही राष्ट्रीय सलाहकार की भूमिका निभाने की जवाबदेही में 12वी सदी के लोग अवश्य मिल जायेंगे। जिनके पास गुनाहों की फेहरिस्त है आज 21वी वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा के युग में सर्वोच्च और सर्वश्रेष्ठ पद के दावेदार अपने आपको बताते जरूर मिल जाने की संभावना है। । और भारत अपने आपको बिश्व गुरु का सपना देख रहा है। अन्य देशों में ज्यादातर राजनीति में भी योग्यता देखे जाने की परंपरा है। परंतु भारत जैसे विशालकाय देश में अशिक्षित को भी मुख्यमंत्री बनने की आजादी आज भी प्राप्त है। मसलन  जिनकी तीन पीढ़ियों में कभी स्वास्थ्य दवाओं की दुकान में अंदर तक नहीं गये । दवाओं को बनते तक नही देखा आज वैसे लोगो को अब स्वास्थ्य मंत्री बनने की काफी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार लूले लंगड़े अपाहिज खेल मंत्रालय और तीन तीन पीढ़ियों के अशिक्षित अब शिक्षा विभाग संभालने की दिशा में अग्रसर होंगे। और इसी भीड़ को लोकतंत्र भारत की भाषा में कहा जाता है। और भारत इसी प्रकार के नेताओं को लेकर विश्व गुरु का सपना साकार करने वाला है। अभी तक चुनाव में उम्र को ही सीमित कुछ सभी पार्टियों ने की है। शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य मंहगाई, बेरोजगारी से छुटकारा दिलाने में उम्र के साथ शिक्षा समझदारी अनुभव और जानकारी की आवश्यकता होती है। परंतु इसकी बात करना आज शायद बेइमानी दिख रही है। आत्मनिर्भर भारत देश अभी भी भाषाओं में भी आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है। जबकि संस्कृत भाषा को वैज्ञानिकों ने कोम्प्युटर में सबसे सटीक माध्यम माना है। और हमारे देश से ही नहीं हमारे जीवन से भी हमारी संस्कृत भाषा लुप्त होने के कगार पर है।आज शिक्षा सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसी प्राथमिक सुविधाओं का जिसे सरकार के पास होने के बजाय सबसे बड़े व्यापार का माध्यम होते कई बार देखा जा चुका  हैं  । वैसे अब काफी सुधार देखने को पहले की अपेक्षा में  जरूर नजर आ रहे हैं। जैसे अब उम्र की सीमा ,सिर्फ युवानो और शिक्षणविदो को  अब नये युग में लाने का आंशिक  प्रयास एक अच्छी पहल के रूप में माना जाता है । 
           नवसारी जिले में नवसारी नगरपालिका आज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चुनाव क्षेत्र के रूप में देखी जाती है। जिसमें सिर्फ भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। और कुछ प्रशासन के दबंगों को भ्रष्टाचार की नजरों से देखा जा रहा है। और यदि भ्रष्टाचार के मुद्दे ठीक ठीक नागरिकों के जैसा कि चर्चा चल रही है फिर यहां नेताओं से ज्यादा अधिकारियों पर असरदार साबित हो सकती है। वैसे फिलहाल नवसारी विजलपोर नगरपालिका में शासन से ज्यादा चुनाव के अधिकांश अधिकारी धूर्तता की भूमिका में  काम करते नजर आ रहे हैं।

नवसारी जिले के नवसारी विजलपोर नगरपालिका में आज वर्षो से शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध करवाने के बजाय यहां ज्यादातर अधिकारी गैरकायदेसर आकारणी, अवैध निर्माण में अपने भागीदारी को जाहिर करवाने के पक्ष में देखे जा रहे हैं। आज यहां हजारो की संख्या में युुवा बेरोजगार हैं और सरकार कई योजनायें भी दी हैं। परंतु अमलीकरण करने वाले अधिकारी अक्सर कहीं और देखे जाने की खबरें व्याप्त हैं। सुरक्षा विभाग आज लकवाग्रस्त हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग नगरपालिका से गायब है। शिक्षा विभाग को आज कोरोना पहले मुश्किल खड़ा कर दिया अब चुनाव में शिक्षको को लगाया जा चुका है । युवा आज परेशान हैं। किसान रोड पर डेरा डालकर बैठा हुआ हैं। मंहगाई चरमसीमा पर राज कर रही है । ऐसे वक्त पर चुनावी माहौल अपनी अंतिम परिकाष्ठा पर पहुंच चुका है । चुनावी उम्मीदवारो की भीड़ लगी है । और दिलचस्प यह है कि ऐसे लोग अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जैसे नगरसेवक और सरपंच बनना सब्जी की दुकान पर सब्जी लेना अथवा सरकारी अस्पताल में लाइन लगाकर दवा लेना है । आज ए सभी चाहे जिस पक्ष से खडे हो उनसे पूछना जरूरी है कि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोजगारी और समाज में मानव कल्याण हेतु किये गये काम कितने हैं ? आज भारत 21वीं सदी में गुजर रहा है और अब हमें एक बेहतर भविष्य के लिये शिक्षित स्वस्थ युवाओं की जरूरत है । अब इस समाचार का कितना असर होता है यह समय चक्रमें फिलहाल बंद है ।
आज यह चुनाव सामान्य नहीं है किसी भी पक्ष के प्रभाव से नहीं आपके विकास का सवाल है। आपके प्राथमिक सुविधाओं का सवाल है। सिर्फ शिक्षित ईमानदार कर्मठ सदस्य को ही चुने। आज प्राथमिक सुविधाओं की कमी है। पीने लायक पानी शिक्षा सुरक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी के मुद्दे पर एक बार अवश्य विचार करें। यह वैज्ञानिक युग है। आज हमें अंतरिक्ष पर अपना झंडा लगाना है। आज भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले की जरूरत है न कि करने और करवाने वाले की। अब सभी को जागृत होना और करना जरूरी है। और मतदान अवश्य करें। और ज्यादा से ज्यादा मतदान और सही विकल्प चुनें। देश के विकास में सहभागी बने। आज सभी की देश को जरूरत है। देश आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। भारत देश सबसे ज्यादा युवा देश है। इसलिए सभी की भागीदारी सुनिश्चित करें। देश किसी की जागीर नहीं सभी की हिस्सेदारी का समय आ चुका है। आइये इस परम पवित्र उत्सव को नये भारत की। पहले में अपना मार्गदर्शक सकारात्मक योगदान दें। 


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