Sunday, March 14, 2021

एक मित्र ने पूछा है - दुखो से छुटकारा कैसे मिले ..? आनंदमय जीवन जीने का रहस्य



आपके आध्यात्मिक सवालों का जवाब देंगे लोकरक्षक समाचार एवम पर्यावरण मानव अधिकार संस्था के प्रदेश अध्यक्ष और उनकी टीम 
एक मित्र ने पूछा है
दुखो से छुटकारा
       कैसे मिले ..?

आनंदमय जीवन 
   जीने का रहस्य..!

           आज सदियों से मानव जीवन बहुत ही दुखी है। हम सभी इसी जीवन के एक हिस्से हैं। हम जिस दुनिया में जी रहे हैं। जिस वातावरण में जिस माहौल में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जहाँ चारो तरफ सिर्फ दुःख और तनाव है । चारो तरफ आपा धापी है। एन केन प्रकारेण सभी दुनिया के सभी प्रकार का सुख पाने के लिए अजीबो गरीब हरकतें कर रहा है।  दूसरे के धन के प्यासे हो चुके हैं। हर हाल में सभी प्रकार की संपत्ति इकट्ठा कर लेना चाहते हैं। सभी प्रकार से संतुष्ट होना चाहते हैं। एक बार यदि आपको कभी ख्याल आये वैसे बड़ा मुश्किल है। जिस धन को  इकट्ठा करना चाहते हैं उसमें आप अकेले यह पहली बार नही कर रहे है। यह प्रवृत्ति कई जन्मो से चल रही है। मृत्यु के साथ हम सब भूल जाते है।
यह सदियों से चल रहा है। आप जितना धन इकट्ठा कर खुश होना चाहते हैं आपके नजदीक ही बहुत सारे इकट्ठा कर चुके हैं। जाकर पता लगाओ क्या उन्हे सुख मिला । क्या वहां आनंद के फूल खिल चुके हैं। क्या वै किसी भी प्रकार से सुखी हैं। आप देखेंगे जिस प्रकार से उनके पास धन की मात्रा बढ़ी उसी अनुपात में दुख की मात्रा बढ़ जाती है। खोज रहे थे सुःख इसके लिये कितनी तकलीफ़ उठाई होगी और आज इस धन को पाकर ज्यादा दुखी हो चुके हैं। सुख के चक्कर में धन को इकट्ठा करने में वर्षो तक क्या क्या जतन किया। इतना सारा धन तो मिल गया परन्तु उसी मात्रा में दुःख भी मिल चुका है। अब इस दुःख और दर्द से छुटकारा पाने के लिए उसी धन को खर्च कर रहे हैं। अब धन से न सुख खरीदा जा सकता है न ही दुखो से निजात पाई जा सकती है। और धीमे धीमे ऐसा आनंदमय जीवन जिसे हर पल जी सकते थे ।यह विशाल सुन्दर जीवन का एक एक पल रेत.की तरह कब निकल जाता है ।पता नही चलता। ठीक इसी तरह पद और प्रतिष्ठा की चाहत भी एक दिन यदि मिल भी जाये वह भी आनंद और सुख के बजाय दुखदाई ही साबित होती है। और यदि एक बार सोचकर सोचो यहाँ कुछ भी जब स्थाई नही है हर पल सभी बदल रहे है । इसके पहले जो था वह आज नही है।सभी भविष्य की चाहत में वर्तमान को भी गुजार रहे हैं।

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क्या  सुःख ,आनंद प्राप्त करने का कोई मार्ग है..?

      सुख के चक्कर में हम अक्सर दुःख ही खरीद लेते हैं। सुख सांसारिक और परिवर्तन शील है। जिसे रोका नही जा सकता। सुख और दुख एक सिक्के के दो हिस्से हैं। दिन और रात जैसे हैं। जिसे रोका नही जा सकता। आपको जो चाहिये उसे पहले देना होगा। करुणा प्रेम दया ही इसके प्राथमिक चरण हैं।  आज यदि पता चल जाये कि यह जो आज हमें दिखाई दे रहा है शायद कल न मिले । और यदि यह पता चल जाये और हर पल यह गुजर ही रहा है।कि जिसके साथ हम दुर्व्यवहार कर रहे है यह कुछ पलो समय के बाद भूतपूर्व होगा।और यही परम सत्य है। यह होना तय है और वही नही उसमे हम और मै भी सामिल है। फिर क्या हम उसके साथ गलत कर पायेंगे। जैसे ही यह ख्याल आता है हम करूणा से भर जाते हैं। और याद रहे सुख बाहर से मिलता है।और जो बाहर से किसी और से मिलता है वह स्थिर स्थाई नही हो सकता।जो सुख किसी और से प्राप्त हो वह दो कौणी का है।आनंद आध्यात्मिक है। वह अंदर की बात है सनातन है। परंतु उसके लिए अंदर जाना होगा। आनंद मय जीवन स्वास्थ्यमय जीवन प्राप्त करने के लिए दो प्रकार हैं। एक जिसे आप अपने हिसाब से प्राप्त करना चाहते है दूसरा परमात्मा के हिसाब से। जिसे आप स्वयं चाहते है उसमे संघर्ष करना होगा। और जिसे आप परमात्मा की ओर से चाहते है फिर उसमे संघर्ष की जरूरत भी नही है फिर उसकी मर्जी। और उसके लिए सिर्फ समर्पण की भावना ही काफी है। और जब समर्पण का भाव आ जाता है फिर यही कर्म का प्रारूप ही बदल जाता है। आप साक्षी भाव में आ जाते हैं। और यह कर्म अब पहले जैसा नही रहेगा। आपको पता लगने लगता है कि अब यह सभी किसी और के द्वारा करवाया जा रहा है। धीमे धीमे आहिस्ता आहिस्ता हमारे कर्म भी साक्षी भाव से होने लगते है। फिर एक दिन ऐसा आयेगा कि जो बोले सो हरिकथा।

अधिक जानकारी के लिये संपर्क करे -

करिश्मा आध्यात्मिक नैसर्गिक चिकित्सा केन्द्र ,
विजलपोर, नवसारी
मो. 9328014099






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