Monday, December 30, 2019

नवसारी जिले में विकास का आधार शिक्षा विभाग निम्न स्तर पर ..? सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, RCPS 2013 साथ लघुत्तम मासिक वेतन धारो 1986 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लकवा ग्रस्त नवसारी जिले में समृद्ध उत्थान के नाम पर राजनीति..? जवाबदार कौन..?

नवसारी जिले में विकास का आधार शिक्षा विभाग निम्न स्तर पर ..? 
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, RCPS 2013 साथ लघुत्तम मासिक वेतन धारो 1948 और  शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लकवा ग्रस्त 
      नवसारी जिले में समृद्ध उत्थान के नाम पर राजनीति..? 
जवाबदार कौन..? 
                          गुजरात की संस्कारी नगरी नवसारी जिले में आज आधुनिक वैज्ञानिक युग की 21वीं शताब्दी में भी शिक्षा के नाम पर व्यापक व्यापार की खबरे वर्षो से चल रही हैं। किसी भी राज्य अथवा देश का विकास आधुनिक शिक्षा के बिना असंभव है। आज के इस बढ़ती महगाई, भ्रष्टाचार मंदी, बेरोजगारी को कम करना आधुनिक टेक्निकल शिक्षा के वगर सोचना भी शायद एक गुनाह है। आज दुनिया के इतिहास को यदि देखा जाय तो वही देश आगे है जहाँ की शिक्षा संस्कृति में बदलाव और आधुनिक किया गया। साथ ही सभी विकसित देश आधुनिक टेक्निकल शिक्षा को मातृभाषा में ही विकास कर पाये हैं। किसी अन्य देश की भाषा को किसी भी देश ने विकास का माध्यम नही माना। परन्तु आज भारत सबसे गिरे हुए पायदान पर पहुंच कर भी किसी अन्य भाषा को अपनाने में अभी भी कोई कसर बाकी नही रख रहा है। उसके प्रमुख कारण विद्वानों के मतानुसार राजनीति में ही शिक्षा का अभाव है। आज राजनीति में शिक्षा अनिवार्य होने के बदले शिक्षा में राजनीति की जा रही है। शिक्षको को राजनीतिक कामों से दूर करने के बजाय हर जिले में हजारों शिक्षकों को लगभग पूरे वर्ष भर राजनीति से जोड़कर रखा जाता है। 50000/- रूपये महीने वेतन देकर 10000/-रूपये का काम करवाने की व्यवस्था का हिसाब किस इकोनॉमी का हिस्सा है।यह समझना मुश्किल ही नही असंभव भी है। ठीक इसी तर्ज पर सभी प्राथमिक विद्यालयो में एक मुख्य आचार्य के पास एक सामान्य कलर्क का काम लेना भी किसी बेवकूफी से कम नही है। नवसारी जिले में आधुनिक कोम्पयुटर शिक्षा अनिवार्य होने के बावजूद भी कहीं दूर दूर तक नामोनिशान नही है। ज्यादातर विद्यालयो में कोम्पयुटर सरकार ने मुहैय्या करवाने के बावजूद भी कायदेसर पढ़े लिखे कोम्पयुटर शिक्षक ही नही हैं। नवसारी जिले में ग्रामीण क्षेत्रो में और लगभग शहरों के विद्यालयो में शिक्षा के समय में भी अधिकांशतः शिक्षक बाहर ही रखड़ते देखे जाते हैं। आज इस 21वी सदी की डिझिटल इंडिया में भी एक सामान्य उपस्थित दर्ज करवाने की मशीन किसी भी शिक्षण संस्थान में नही है।समयसर शिक्षक विद्यालय में पहुंचना शायद गुनाह समझते हैं। हालत यहां तक बिगड़ चुकी है कि ज्यादातर विद्यालयो में साफ सफाई भी बच्चों के पास ही करवाई जाती है। नवसारी जिले के पूर्व जिला विकास अधिकारी श्री सुनील पटेल ने एक सूचना के अधिकार में स्पष्ट हुक्म दिया था कि बच्चों से साफ सफाई नही करवाई जाती। और शिक्षा के समय में कोई भी शिक्षक शिक्षा के सिवाय किसी भी अन्य काम नही करता। जो आज एक सफेद झूठ साबित करने में शिक्षा प्रशासन खुद कार्यरत है।
नवसारी जिले में स्वच्छ भारत अभियान का गलत अर्थ निकाल रहे अधिकारी जिन्हें चल रही खबरो के अनुसार आरक्षण की मजबूरी में सरकार को भर्ती करना पड़ा। ऐसे अधिकारियो को आज जानना चाहिए कि इस अभियान में भ्रष्टाचार की भी सफाई भी सामिल है। सफाई की भाषा का अर्थघटन में सिर्फ़ नाबालिक और छोटे छोटे बच्चों को जोड़कर सिर्फ़ सफाई करवा रहे हैं। जबकि यह बालमजदूरी के तहद गुनाह है। भारत की राजधानी दिल्ली में एक सभा के दौरान स्कूली छात्रों से पानी पिलाने पर वहाँ के जिला शिक्षा अधिकारी को मीडिया में चल रही खबरो के बाद उसी दिन सस्पेंड कर दिया गया था।
नाबालिग बच्चों से साफ सफाई जैसे गैरकायदेसर बच्चों को मानसिक त्रास देने से कम नही होता। ऐसी भी खबर है कि विद्यालय में विद्यार्थियों से शिक्षकों के घर का काम भी कहीं कहीँ करवाया जाता है।  इन सभी बारदातो से परिणाम यह हुवा कि गरीब आदिवासियों दलितों आर्थिक पिछड़े गरीब किसानों के सिवाय सभी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयो से दूर कर दिये । और आज अनिवार्य शिक्षा में एक व्यापक व्यापार शुरू हो गया है। और सूत्रों के हवाले से मिल रही खबरो के अनुसार नवसारी जिले में सामान्य से लेकर सर्वोच्च तक के अधिकारी शिक्षा में विकास की जगह वर्षों से अपने विकास और टीआरपी जाल में फस चुके हैं। नवसारी जिले की शिक्षा प्रणाली बद से बदतर होती जा रही है। नवसारी जिलें मे ऐसी भी खबरें आई है कि अब सरकार की जगह गरीबी शिक्षा अधिकारी दूर करेंगे। इसलिए कायदेसर एक संस्था की रचना की गई है । जानकारों की माने तो गुजरात वर्तणुक नियम 1971 के अनुसार इसे गैरकायदेसर और गुनाह की प्रवृत्ति से जोड़ना अतिशयोक्ति नही होगी। और वेसे भी नवसारी जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ,आरसीपीएस 2013, लघुत्तम मासिक वेतन 1948 ,शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 , बाल मजुरी जैसे अति आवश्यक महत्वपूर्ण नियम शिक्षा विभाग में वर्षो से आखिरी श्वास लेने के कगार पर है। 
       नवसारी जिला विकास अधिकारी के सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के प्रथम अपील में दिये गये हुक्म को आज छ महीने बीत जाने के बाद तक पालन न करना एक जिंदा मिशाल है। और वाकायदा गली गली जाकर स्कूली बच्चों ने पस्ती को भी घर घर जाकर मांग रहे है। अभी तक जो काम किये गये हैं । इसे जानकार बहुत ही घटिया और शिक्षा का अपमान मान रहे हैं। ऐसे कामो की वजह से भारत में मालिकियत का इतिहास नही नौकरशाहों का ही बन चुका है।
यहाँ विद्वानों के मतानुसार भविष्य में रोजगार यदि न मिले तब घर घर जाकर इसे भी रोजगार से जोड़ कर देखा जा सकता है। पश्ती से पुनुरुत्थान कितना होगा यह तो पता नही चला परंतु मागने की कला में हमारी शिक्षा पद्धति जरूर गिर गई।
           सरकार को जल्द ही इसमें बदलाव लाने की जरूरत है। सूत्रों के हवाले से मिली खबरो के अनुसार सूरत जिले में तक्षशिला कांड में कुछ निकृष्ट अधिकारियो के भ्रष्टाचार ने बालको की आहुति लेने के बाद सरकार एक्शन में आयी और सभी ट्यूसन क्लास की जांच करने और बंद करने के लिये एक फरमान जारी किया। और नवसारी जिले में तत्काल जांच में लगभग सभी ट्यूशन क्लास अवैध पाये गये। और नवसारी जिले में सभी उसी वक्त सील कर दिये गये। उसके पश्चात सभी अवैध ट्यूसन क्लास बिना किसी फेरबदल के एक एक कर अपने आप कायदे कानून के मुताबिक हो गये। रातो रात चमत्कार होना अभी तक किसी के समझ में नही आया। जब कि किसी भी ट्यूसन क्लास के पास कोई रजिस्ट्रेशन तक नही है। जानकारो की माने तो सरकार के पास भी इन सभी के लिए न ही कोई विभाग है न ही कोई अधिकारी है।फिर आज भी ए सभी वापस वैध कैसे हो गये ? और इनकी जांच करने वाले अधिकारी क्या कर रहे हैं? इस समाचार को यहाँ के वहीवटदार अधिकारी गण के साथ राजनेता  किस रूप में लेते हैं। फिलहाल इस पर सभी पाठकों की नजर रहेगी।

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