Wednesday, January 1, 2020

जीवन का रहस्य क्या है? मैं कौन हूँ ? यहाँ क्यों आया हूं ? इस विश्व सत्ता के बारे में यहाँ कौन जानता है ?

जीवन का रहस्य क्या है? मैं कौन हूँ ?
मैं यहाँ क्यों आया हूं ? 
इस विश्व सत्ता के बारे में यहाँ कौन जानता है ?
                      आज सदियों से भारत देश में यदि सबसै बड़ी और जटिल समस्या जो कि इसकी अब कोई जरूरत फिलहाल आमतौर पर नही हैं। वह है धर्म और धार्मिक ज्ञान। आज हमारा धर्म और ज्ञान बाकी सभी धर्मो से बड़ा है। और इसकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। इसी मकसद से आज सदियों से बड़ी गहरे तल से खून खराबे हिंसा आग जनी हत्याए हो रही हैं। हिंदू मुस्लिम शिख ईसाई पारसी जैन वगैरह आज सभी लड़ रहे हैं। आइये इस परम रहस्य के बारे में कुछ समझने की कोशिश करते हैं। और याद रहे जब आप यह पढ़ रहे है शायद आपको ऐसा ही लगेगा कि यह सिर्फ आपके लिए और धर्म के खिलाफ है। वह भी सही है कि इसलिए कि जो मेरे भीतर से लिखवा रहा है वही आपके भीतर सुन रहा है।यह सिर्फ मानव जाति के लिए है । आज के सभी तथाकथित धार्मिक गुरूओं से यह कुछ सवाल अपने भीतर अपने आप से पूछना जरूरी है। कि इस विश्व सत्ता के बारे में क्या जानते हैं? यह श्वास क्यों चलती है ? और रुक क्यों जाती है ? क्या जानते है कि यह धरती पेड़ पौधे बृक्ष नदी पहाड़ बादल वरसात गर्मी सर्दी क्यों है। दिल की धडकनों के बारे में क्या जानते है? क्या है यह जीवन क्यो हो जाती है मृत्यु ? आप बड़े कैसे और बृद्ध क्यों हो जाते हो ? क्या है ए जीवन ? इन करोड़ों योनियों का रहस्य क्या है ? अचानक बीमारी आने का रहस्य क्या है? ऐसे लाखो करोड़ों सवाल है जिनके बारे में जानना अलग वह स्वयं के बारे में क्या जानते हैं ? आज जितनी लड़ाई ए तथाकथित धर्म गुरूओं ने करवाई है । इनके अलावा इतनी और किसी वजह से नही हुई। और हद तब हो जाती है कि यह सभी अपने अलावा और किसी भी धर्म को मानने को तैयार भी नही हैं। और हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि अब एक एक धर्म करोड़ो करोड़ो टुकड़े हो रहे हैं। दुनिया में करीबन 300 धर्म और उनके हजारों संप्रदाय हो चुके हैं। और हजारों इनके उपसंप्रदाय बन चुके हैं।और प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। और यह सभी अपने स्वयं के बारे में तो जानते नही । औरो को भी मौक्ष स्वर्ग जन्नत के बारे में ईश्वर के बारे में सबसे ज्यादा बताते नही थकते। कैसा अद्भूत ज्ञान है। हवा पानी के बारे में कुछ जानते नहीं ब्रह्मांड की बाते करते हैं।
आज हमारे देश की बिडम्बना है कि इस बढ़ती आबादी के लिए हमें जरूरत है एक विस्तृत वैज्ञानिक पद्धति की। और एक वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति की। हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम एक सामान्य शिक्षा के बाद से ही अति वैज्ञानिक आधुनिक  पद्धति की शिक्षा की शुरुआत करें। अब हमें इतने पुराने इतिहास को दोहराने और दोहराने बंद करना चाहिए। आज हमारी शिक्षा का इस वैज्ञानिक युग में कोई ज्यादा अर्थ नही रह गया। आज स्नातक होने के बाद उसकी इस वैज्ञानिक युग में कोई जरूरत नही है। परंतु आज भी हम एक रंग विशेष के लिए रात दिन बहस में जुड़े है। और यदि गहरी खोज में देखे तब पता चलेगा कि हम एक नवयुवक बेरोजगार देश हैं। जिनके पास अब कोई काम ही नही है। 


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