Sunday, August 25, 2019

नवसारी जिले में करोडो़ रुपये की कर चोरी- RTI अमलीकरण अधिकारी बुरी तरह फंसे अब जायें तो जाये कहां ....? रोजगार के नाम पर डकैती..?

नवसारी जिले में करोडो़ रुपये की कर चोरी- RTI 
रोजगार के नाम पर डकैती ?
पूरे भारत में राजनेताओं को ही बदनाम किया जा रहा है।
 असली जड़ में प्रशासनिक अधिकारी हैं। नवसारी जिले के सभी अमलीकरण अधिकारी संस्थाओं से मिलकर सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगाया ?

 नवसारी जिला आयोजन अधिकारी और प्नायोजना वहीवट अधिकारी वासदा गुनाह 
 सावित होने के  कायदेसर कार्रवाई  करने  के बदले नोटिस पर नोटिस और मौनव्रत .... ? 

              तारीख पर तारीख....?
 तीन तीन नोटिस के बाद डीओ लेटर भी भ्रष्टाचार की दरिया में बह गया  ?
 प्रायोजना वहीवटदार वासदा अधिकारी श्री का मौन व्रत ..? सभी अमलीकरण अधिकारियों ने पल्ला झाड़ा..? जवाब दार कौन..? 

सभी अमलीकरण अधिकारी  बुरी तरह फंसे अब जायें तो जाये कहां ....? 

                   नवसारी जिले की सभी 
नगरपालिकाओ  एवम तालुका विकास अधिकारियों,शिक्षा अधिकारियों, आइटीआई बीलीमोरा , आरोग्य एवम पानी आपूर्ति अधिकारियोंने सरकार की योजनाओ में  नवसारी जिले में करोडो़ रुपये का पक्का बिल न लेकर सरकार को कर न देने वालो का साथ देकर सरकार को जमकर चूना लगवाया । यह जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से मिली है। रोजगार के नाम पर सीधे डकैती । फर्क सिर्फ इतना है कि इन सभी वारदातों में छटकबारी के लिए कुछ  सरकार के द्वारा रजिस्टर संस्थाओ को साथ में रखा है।  पुराने जमाने में घोड़ा रखने वाले एक बंदर रखते थे जिसमें यदि कोई भयंकर बीमारी आये तब पहले बंदर बीमार हो या मर जाता है। और घोड़े बच जाते थे। परंतु जमाना बदल गया। आज समय अलग है। महाराष्ट्र में मुंबई में 26/11 के हमले में मुख्यमंत्री को जवाब देही के तौर पर कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था।
आज सरकार की लगभग सभी कचेरियों में सरकार की योजनाओं के तहत करोडो रुपये का फंड प्रत्यक्ष अथवा जिला आयोजन अधिकारी एवम प्रायोजना वहीवटदार कचेरी वासदा से आता है। और उस फंड में यहां अधिकारी वर्षो से लूट मचाने के लिए कुछ संस्थाओं को तय कर रखा है। और ए सभी संस्थान आज तक फर्जी काम करने में माहिर हैं। और हालत बद से बदतर हो गई है। पिछली सरकार के एक रूपये मे पंद्रह पैसे मिलने की खबरें आज तक धूम मचा रखी है। हालांकि बाकी सभी पचासी पैसे गायब करने वाले उस सरकार में भी थे इस सरकार मे नये नाम और नये पद पर आज भी हैं।  किसी सरकार को यहां टीका टिप्पणी की कोइ स्थान और मकसद नहीं है। यहां सिर्फ़ और सिर्फ गरीबो दलितों, आदिवासियों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं के उत्थान और विकास में सरकार की योजनाओं और पिछले दरवाजे से दिन में ही अधिकारियों के द्वारा डाली जा रही डकैती और शिक्षा सुरक्षा और विकास का है। और देखने वाली बात यह है कि यहाँ इसको जांच करने के लिए और कार्यवाही के लिए सरकारी अधिकारियों की पूरी फौज तैनात है।इसलिए सामान्यतः किसी को शक करने की गुंजाइश नही होती। परंतु हकीकत को झुठलाया भी नही जा सकता। और आज जब इन डकैतों की पोल खुल चुकी है। करोड़ो रूपये की कर चोरी इसका सिर्फ़ एक सामान्य पहलू है। सभी सामान हकीकत में खरीदे गये हैं। अथवा उसी को डिजिटल इंडिया के तहत थोड़े आकडों के फेरबदल करके अपडेट किया गया है। अब एक नया सवाल उत्पन्न हो गया है। पिछले कई वर्षो से एक दो आइटम रिपीट की जा रही हैं। अब उन सबकी गिनती हो और फिर से टोटल मारा जाये । एक नया भ्रष्टाचार जरूर निकलेगा। उसकी वजह यह है कि नवसारी जिला आयोजन अधिकारी भी जिला अधिक कलेक्टर के हुकम के बावजूद भी सूचना देने से बचते नजर आ चुके हैं। हालांकि ए पहला मामला नवसारी जिले के अधिक कलेक्टर का नही हैं। हर बार इनके किसी भी हुकम का न पालन होता है। न ही आज तक अपने हुकमानुसार कायदेसर पालन करवाने की कोइ क्षमता पायी गई। गुजरात माहिती आयोग कमिश्नर के हुकम की भी यहाँ जमकर अवहेलना हो रही है। हर वर्ष कुछ न कुछ खरीद परोख्त की जाती है। और सरकार के अधिकारियों को अभी तक यह समझने में काफी परेशानी क्यों हो रही है कि पक्का बिल के बिना इसे पास करने में उन्हें कायदेसर जेल जाना अनिवार्य हो सकता है। नवसारी जिले में गरीबो, आदिवासियों, किसानों दलितों , बेरोजगारों के विकास का जिम्मा नवसारी जिला आयोजन अधिकारी के साथ  प्रायोजना वहीवटदार वासदा का है। और कायदेसर यहां डकैती डाली गई है। हालांकि ए सब अंजाम पढ़े लिखे अधिकारियों के द्वारा किया गया है। इसलिए बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे वाला मुहाबरा जैसी हालात हो गई है। नवसारी जिले के लगभन सभी अधिकारी इसमे से निकलने का रास्ता ढूंढने में व्यस्त हैं।अब जायें तो जायें कहां। समय के चक्र ने ऐसा लपेटा है कि निकल पाना संभव नही। नवसारी जिला आयोजन अधिकारी और प्रायोजन वहीवटदार वासदा के कार्यालय में सभी सबूत मौजूद हैं। और आखिर में उन्हीं के पूर्व  अधिकारियों ने फंड को बिना सभी आवश्यक दस्तावेजों के  रिलीज किया है। मामला पूरा साफ आइने की तरह स्पष्ट हो चुका है। सीधे सीधे अमलीकरण अधिकारियों और  आयोजन के साथ प्रायोजन वहीवटदार वासदा के अधिकारियों की जवाबदेही बनती है। इन सभी दस्तावेजों के साथ संबंधित विभागों में जांच करवाने के लिए नोटिस और समयबद्ध तरीके से केस फाइल करनी चाहिए। परंतु वारंबार नोटिस जारी करना 3दिन का समय देना और 15 -15 दिन तक इंतजार करना शंकास्पद के दायरे में ले जाने के बराबर है। और मामला साफ है। अपने ही जिले मे अपने ही अधिकारियों से जवाब न ले पाना सक्षमता की तरफ भी एक इशारा है। सरकार के द्वारा दिये गये फंड से हर सामान के ऊपर नाम किसी भी नियम के अनुसार गुनाह है या नही । अभी तक सदर अधिकारी के पास कोई जवाब नही है। ब्रांडेड कंपनियों के नाम का सामान और पक्का बिल न प्रेषित करना भ्रष्टाचार को दर्शाता है। और नवसारी जिला आयोजन अधिकारी के तीन तीन  नोटिस के बावजूद किसी भी अधिकारी के द्वारा कायदेसर जवाब न आना सीधे सीधे भ्रष्टाचार को कबूल करने के बराबर भी माना जाता है । हालत के हिसाब से अधिकारियों की हालत भ्रष्टाचार के मामले में चरमसीमा पर टोप टेन में आने के बावजूद सभी पहले स्थान पर आना चाहते हैं। और आज मिली सूचना के अनुसार किसी भी अधिकारी ने नवसारी जिला आयोजन अधिकारी के द्वारा भेजे गये डीओ लेटर को जवाब देने की जगह अनसुनी कर दी है। और आज सभी अधिकारियो ने कोइ जवाब नही दिया और न ही देने वाले हैं। और प्राप्त सूचना के अनुसार जिला आयोजन अधिकारी को सभी प्रकार के हुए भ्रष्टाचार का ज्ञान भी है। और किस प्रकार से किये गये भ्रष्टाचार अधिकारी को सरकारी सेवालय का लाभ दिलवाना है। और सभी एक दूसरे से कई  बार मिल चुके हैं। और मिल रहे हैं। और यह सिर्फ समय पसार किया जा रहा है। इसे गुमराह करने से कम नही आंका जा सकता है। और जानकारो के अनुसार भ्रष्टाचार अधिनियम 1986के तहत यदि जांच केंद्र सरकार के तहद करवाया जाय फिर और कई अधिकारी इस चपेट में आ सकते हैं। और अरजदार को गुमराह और भ्रष्टाचार के सामने साबित होने के बावजूद विजिलेंस अधिकारी से जांच न करवाने में ए सभी नोटिस और डीओ पत्र एक नये सबूत की तरफ इसारा कर रहे हैं।और भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया  जब कि इसमे सुपर क्लास वन और वर्ग -2  के अधिकारी हों। फिर भी सिर्फ़ और सिर्फ़ नोटिस और तारीख पर तारीख का मतलब जानकारो और विद्वानों के मंतव्य लिखना,शब्दों के साथ अन्याय होगा। दुर्भाग्य पूर्ण और शरमजनक शब्दों से परिभाषित करना, सरकार को चूना लगाना, जमकर डाली डकैती जैसे शब्द हकीकत होने के बावजूद इसे समय के चक्र में डालना बेहतर मानना ठीक होगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि सारे सबूतों और गवाहो को मद्देनजर रखते हुए नवसारी जिला आयोजन अधिकारी, नवसारी जिला समाहर्ता के साथ इससे संबंधित अधिकारी अपनी क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। औरो की तरह ऐसे सवालों का जवाब मागना जो कि एक संबैधानिक हक के साथ विकसित देश  भारत के प्रधानमंत्री की भ्रष्टाचार विरुद्ध भारत के तहत कार्रवाई करेंगे। अथवा सवाल पूछने वालों को ही किसी न किसी जाल में फंसवाकर दूर करने की कोशिश करेंगे। अभी फिलहाल कुछ वर्षो से सवाल पूछना देशद्रोही मानने वालो की भारत देश में   एक लंबी फेरहिस्त है। इन सभी सवालों के ऊपर सभी की नजरे गड़ी हुई हैं।

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