Saturday, October 12, 2019

स्वदेशी मिट्टी के दिये जलायें सुख संपत्ति और आनंद के साथ गरीब भाईयों को रोजगार ,पर्यावरण और देश को समृद्ध बनायें

स्वदेशी मिट्टी के दिये जलायें सुख संपत्ति और आनंद के साथ गरीब भाईयों को रोजगार ,पर्यावरण और देश को समृद्ध बनायें 
1947 के पहले हम अंग्रेजो के गुलाम थे आज उनके ही बनाई गई वस्तुओं का 
स्वदेशी अपनायें स्वरोजगार के साथ देश की समृद्धि में सहभागीदार बनें अपने गरीब भाई - बहनो से इस दीपावली पर जरूर खरीदें 
आज हमारे देश में सबसे ज्यादा जरूरत है स्वरोजगार की 
भारत देश सदियों से आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मा परमात्मा दिव्य शक्तियों ध्यान योगा आदि परंपराओ से विश्व गुरू के रूप में अपनी पहचान बनाई है । परंतु बीते कुछ वर्षों से पश्चिमी सभ्यता के कारण हम दीन हीन होते जा रहे हैं । आज दुनिया में वही देश समृद्ध और विकसित हो पायें है। जिन्होंने अपने ही देश की बनी हुई वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग किया। और बड़े दुख की बात है कि हम अपने ही देश के उत्पादन को नही खरीदते । और वही सामान जिसे हमारे यहाँ से बिदेशी कौड़ियों के भाव खरीद कर थोड़े से बदलाव कर वापस हमें अधिक से अधिक मूल्य पर बेच देते हैं। जैसै लोहा देकर स्टील खरीदना। कच्चा माल देकर पक्का खरीदना। आज ही नही सदियो से भारत सभी प्रकार की संपदाओं से भरा हुवा है। इतनी बड़ी संपदा के हम मालिक होते हुए भी आज दीन हीन हैं। आइये आज हम इस दीपावली की शुभ पर्व से शुरुआत अपने देशकी मिट्टी से बने दियली से करें। 
शास्त्रों के अनुसार मिट्टी से बने दिये में यदि गाय के घी का उपयोग करें और दीप प्रगट करें । मां लक्ष्मी प्रशन्न होती हैं। जो हमे सभी प्रकार के धन धान्य से भरपूर सुख प्रदान करती हैं। साथ ही साथ हमारे घर मकान दुकान में एक खुशनुमा सुगंध फैलती है। और वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार वातावरण शुद्ध और सभी प्रकार की नुकसान देने वाली वैक्टीरिया अपने आप नष्ट हो जाती है। पर्यावरण अपने आप शुद्ध हो जाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से मिट्टी के बने दीप में यदि सरसों के तेल से यदि दीप प्रगट किए जायें आपके घर मकान दुकान जमीन खेत खलिहान मे फिर भगवान शनि और हनुमान जी प्रशन्न होते हैं। शनि की साढेसाती को दूर करने के उपायों इस विधि की प्राथमिकता दी गई है। मिट्टी के बने दिये का हमारे शास्त्रों में जीवन के हर सुख दुख से जुड़े होने के लाखो प्रमाण हैं। आज हम सभी किसी न किसी दुःख और कष्ट से पीड़ित हैं।उसका एक प्रमुख कारणो में हमे अपनी दिव्य शक्तियों और संस्कृति से दूर होना है। पहले यह भी जानना जरूरी है कि यह सभी त्यौहार की जरूरत क्या थी। हमें मानव योनि में ही भेजने के क्या कारण हो सकते हैं। हमारे कुछ कुछ समय पर एक त्योहार क्यो है। उसमें एक चीज पहले गौण है। हम सभी हर हालत में उस दिन सभी गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे मिलते थे। एक दूसरे के सुख दुख में भागीदार होते थे। और उस एकता मे हमारी जो आज दुखी और भटकती जिंदगी है। यह आनंदित और खुशनुमा हो जाती थी। आज यह पश्चिमी सभ्यता और अति आधुनिक वैज्ञानिक सुःखी साधन हम सभी को दूर से दूर ले जा रहा है। क्या हम आज इन सभी वैज्ञानिक पद्धतियो के बावजूद एक दूसरे से नही मिल सकते है? जरूर मिल सकते हैं। और आज हम सभी को अपने साथ अपनो के जीवन मे हर खुशी को लाना है। आइये आज हम सभी मिलकर एक नये जीवन की शुरुआत करें और यह शुरुआत अपने जीवन में हर पल साथ देने वाली जिसे हमेशां हम भारत माता के नाम से जय जयकार करते हैं। उसके सपूतो के द्वारा बनाये गये हर उस वस्तु को खरीदें। अपने और अपनो के जीवन में खुशहाली लायें। हर सामान अपने स्वदेश का उपयोग करें। 

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