Thursday, January 9, 2020

नवसारी जिले के विजलपोर नगरपालिका में करोड़ों रुपये खर्च फिरभी गटर लाइन भरी की भरी..! जवाबदेही किसकी...?

नवसारी जिले के विजलपोर नगरपालिका में करोड़ों रुपये खर्च फिरभी गटर लाइन भरी की भरी..! जवाबदेही किसकी...? 
            नवसारी जिले के विजलपोर नगरपालिका में करीबन 22 करोड़ रूपये GUDC की विकास कंपनी ने खर्च किये। और वर्तमान में सरकार के १५-१५ लाख रूपये सभी भारतीय नागरिकों के एकाउंट में आने की तरह एक जुमला साबित हो चुका है। एक तरफ विजलपोर शहर   गंदकी और भ्रष्टाचार असमाजिक तत्वो से  भरा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ सरकार स्वछता एवार्ड से नवाज रही है। करोड़ों रूपये गुजरात अर्बन डेवलपमेंट कंपनी सिर्फ गटरलाईन में भ्रष्टाचार कर चुकी है।और फिर से नई योजनाओं का गठन और खर्च हो रहा है।परंतु जमीनी हकीकत में ढाक के तीन पात भी नजर नही आ रहे हैं। विजलपोर शहेर में असमाजिक तत्वो, दारू, शराब के अड्डे गेरकायदेसर बांधाकामो की भरमार है। सुरक्षा स्वास्थ्य शिक्षा के नाम पर सिर्फ महगी फाईले ही अक्सर देखने को मिलती है। सरकार नये नये फंडे दर रोज विकास के कामो में करोडो रूपये खर्च कर रही है। मंहगाई,भ्रष्टाचार,बेरोजगारी चरमसीमा पर राज कर रही है। विजलपोर आज गंदगी के शहर से प्रख्यात है। सत्ता पक्ष में मारपीट की खबरे भी टोपटेन में हमेशा बनी रहती है। आज वर्षो से विजलपोर नगरपालिका में गटर का गंदा पानी बाहर नही निकल पा रहा है। सबसे पहले चर्चा के अनुसार करीबन 22 करोड रूपये गुजरात सरकार की प्रख्यात कंपनी जीयुडीसी ने विना किसी प्लान के खर्च किया । और खर्च को चल रही खबरो के अनुसार डकैती के रूप में माना जा रहा है । सरकार की कंपनी यदि भ्रष्टाचार करे फिर फरियाद कहां करे ?  आज हालत बद से बदतर देखी जा रही है। 
विजलपोर नगरपालिका रेल्वे ओवर ब्रिज बनाना सिर्फ एक सपना या हकीकत  ..?
                                                      विजलपोर नगरपालिका में चल रही खबरो के अनुसार करीबन बीस वर्षों से एक रेल्वे ओबर ब्रिज का निर्माण हो रहा है। काफी खर्च भी हो चुका है। सरकार बदलती गई। और मीटिंग भी हजारों की जा चुकी है। और अभी सभी काम लगभग पूरे हो चुके हैं। और अभी यह ओबर ब्रिज कहां बनेगा ? सिर्फ इतना ही काम बाकी है।
     विजलपोर नगरपालिका के हद में कम से कम दो रेल्वे ओवर ब्रिज बनाना जरूरी है। और एक को भारत सरकार से सीधे संपर्क कंपनी बना रही है। इसलिये उसे समय पर पूरा करना कोई जरूरी ही नही गुनाह भी है। चल रही खबरो के अनुसार एक वर्ष में काम पूरा हो जाना चाहिये था। आधा काम एक वर्ष में हो जाने के बाद पता चला कि जमीन संपादन यहां कायदेसर नही किया गया है। और वही अभी भी यही बात अटकी हुई है। 
                        दूसरा विजलपोर नगरपालिका में रेल्वे ओवर ब्रिज जिसका इतिहास बहुत पुराना हो रहा है। जानकारो की माने तो वहां ओवर ब्रिज की जगह इतिहास बनाना है । और इतिहास के लिये यदि सदिया न लगे फिर भी कई दशक जरूर लगना चाहिये। और यह ओवर ब्रिज  अपना एक इतिहास अवश्य बनायेगा। क्योंकि बीस वर्ष तक काम होने के बाद अभी सिर्फ इतना ही काम बाकी है कि इसे बनाना कहां है ? 

विजलपोर नगरपालिका में करोड़ों रुपये का अवैध दारू से ज्यादा  पानी  का व्यापार

                                                नवसारी शहर से सटा हुवा विजलपोर नगरपालिका में आज वर्षो से करोड़ों रूपये के पानी और दारू का अवैध व्यापार शासन प्रशासन की मिलीभगत से खूब जोर शोर से चलाया जा रहा है। अभी तक सिर्फ सुरक्षा विभाग ही दारू शराब के व्यापार में बदनाम था। परन्तु विजलपोर के शासन प्रशासन ने मिलकर करीबन एक दशक से एक नये धंधे को पानी के रूप में अपनी प्रतिभा निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।आज करोड़ों रूपये गुजरात सरकार विकास के नाम पर विजलपोर नगरपालिका में दिया है। परंतु चल रही खबरों के अनुसार खर्च बिना सेटिंग के खर्च करना यहाँ बेवकूफी समझते हैं।आधे से ज्यादा नगरसेवक आज कुछ ऐसी घटनाओं से नाराज भी हैं। ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ सर्वश्रेष्ठ भूमिका वाले नगरसेवको के साथ चल रही खबरें अशोभनीय हैं। तानाशाही और हिटलरशाही ने आज विजलपोर नगरपालिका को अपने आगोस में ले रखा है। चंदन तलाव में कभी चंदन की खुशबू होती होगी। आज वहाँ कुछ ईमानदार शासन प्रशासन के अधिकारियों ने मिलकर इसे श्मशान में तब्दील कर दिया है। चंदन तलाव अरबो लीटर पानी से भरा है। फिर भी विजलपोर के नागरिकों को शुद्ध पीने लायक पानी न देना एक तानाशाही और हिटलर शाही का प्रतीक है। वैसे यहाँ हिटलर का नाम लेना उसकी भी बदनामी होगी। क्योंकि हिटलर अपने राज्य में पानी की कमी नही होने दिया था। ऐसी स्थिति तानाशाह हिटलर ने कभी अपने राज्य में नही आने दी। विजलपोर नगरपालिका में प्रशासन के लिए अधिकारी भी आने से बचते हैं। यहाँ का शासन के रवैये को देखते हुए यहाँ आज  कोई भी अधिकारी आने को तैयार नही है। विजलपोर नगरपालिका जब खुद ही अवैध निर्माण करती हुई पकड़ी गई। और आज यह हालत वर्षों से चल रही है। इसकी जानकारी के लिए उसके बगल में ही देखी जा सकती है। हालत यहाँ तक खराब है कि विजलपोर नगरपालिका में अवैध निर्माण की वजह से विजलपोर की गलियां इतनी तंग हो चुकी हैं कि एक बीमार व्यक्ति को सरकार यदि चाहे तो भी फ्री में भी उसके ही वाहन नही जा सकते। कायदे कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। और यह सब सिर्फ चंद लोगों की वजह से हो रहा है। ।कायदे कानून निरस्त हालत में हैं। करोडो रूपये का पानी का व्यापक व्यापार आज भ्रष्टाचार के सामने सिक्युरिटी कर रहा हैं। और उपरी अधिकारी भी अपनी अपनी दीवाली के चक्कर में यहाँ के गरीबों के जीवन से होली खेल रहे हैं। प्रादेशिक कमिश्नर सूरत में सरकार नये नये अधिकारियों को रखकर जैसे कोइ रिसर्च कर रही है। और उस प्रयोगशाला में विजलपोर भी एक भाग है। आज यहाँ विकास की नई चमक के बजाय इसे अधिकारियों ने रिसर्च सेंटर बना लिया है।और यह रिसर्च आज व्यापार में बदल चुका है। सुरक्षा विभाग की नई शुरुआत हुई। फायदा यह हुआ कि जिसे असमाजिक तत्वो को अवैध व्यापार को हटाने की जिम्मेदारी दी गई आज वही उसकी सुरक्षा में तैनात हो चुके हैं। आज गरीब दलित, आदिवासी, आर्थिक पिछड़े, शोषित बेरोजगार जैसे शब्द राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाने के काम आ रहे हैं। इन शब्दों का प्रयोग कर कर  कोई भी पार्टी सत्ता हासिल कर लेती है। यह शब्द मात्र आज सत्ता की सीढ़ी के काम में लाये जाते हैं। वैसे हकीकत में इनसे कोई लेना देना नही है। जानकारो के मंतव्य के अनुसार इन शब्दों को दूर करना मतलब अपने पैर में कुल्हाड़ी मारना सभी पार्टियां समझती हैं। इसलिए विकास को जोड़कर इनको भ्रमित करना एकदम आसान है। अब फिलहाल ऐसे शब्दों की गरिमा बनाये रखना सरकार की मजबूरी है। इसलिए इसे अब समय के चक्र में छोड़ कर समय के लिए इसे यहाँ विराम देना जरूरी होगा। इसे समय ही सुधार सकता है। प्रादेशिक कमिश्नर सूरत से टेलीफोनिक मुलाकात में अभी भी सभी प्राथमिक सुविधाओं में  पोलीसी में अटकल बताई गई । और इसे जल्द ही दूर की जायेगी।परंतु समय की गारंटी नही बतायी । शायद अभी तक विजलपोर नगरपालिका के नागरिकों के नसीब में पानी खरीदकर ही पीना लिखा है। शुद्ध पानी न मिलने पर नागरिकों में सरकार से भरोसा  कम होता नजर आ रहा है। जानकारो के मुताबिक अधिकारियों और नेताओं में इच्छा शक्ति की कमी के साथ अवैध व्यापार में मिलीभगत के आसार होना मुमकिन बताया जा रहा है।

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