Wednesday, August 25, 2021

नवसारी जिला मार्ग और मकान कार्यालय RTI के भंवर में ...?


     नवसारी जिले में मार्ग और मकान राज्य कार्यालय से लेकर ग्राम पंचायत तक लगभग सभी भ्रष्टाचार की दलदल में फंस चुके हैं। और दिलचस्प घटना तब घटी जब इसमें कोई भी जवाबदार अधिकारी नहीं है। और गुजरात सरकार सबसे ज्यादा फंड आज वर्षों से सिर्फ इसी काम के लिए लगातार खर्च करती आ रही है। गुजरात राज्य को देश का सर्वोच्च समृद्ध विकसित पारदर्शितापूर्ण राज्य का दर्जा लगभग सभी छोटे बड़े नेताओं के भाषण में सुनने को मिलता है। परंतु जमीनी हकीकत यहां यह पूरी फौज सिर्फ राम भरोसे ही दिखाई देती है। और सूचना अधिकार अधिनियम में मिल रहे दस्तावेज के मुताबिक यहां किसी भी काम के लिए एक भी जवाबदार अधिकारी गांव से लेकर गांधीनगर तक नहीं है। अधिकारियों से लेकर सचिव तक तलाटी से लेकर मंत्री तक इस विभाग में एक भी अधिकारी जवाबदार नहीं है।और जिसकी वजह से ग्राम पंचायत में लाखों रुपए के छोटे छोटे रोड और मकान में आंगनवाड़ी से लेकर स्टेट कार्यालय में करोड़ों रुपए के रोड और बहु मंजिला इमारतें बनाई जा रही है। ज्यादातर छोटे स्तर पर सरपंच तलाटी  (लेखपाल ) जिसके पास कायदे-कानून के मुताबिक डिग्री की जरूरत के साथ इंजीनियर नहीं होता। और सर्वोच्च कार्यालय में निवृत्त करार आधारित वयोवृद्ध जिसे कानून कायदे के हिसाब से कोई सत्ता नहीं होती मगर सभी काम उसी के पास से लिया जाता है। हालत आज बद से बदतर होती जा रही है। देश की ऐतिहासिक संपत्तियों को आज गिरवी रखा जा रहा है अथवा भाड़े से दिया जा रहा है।  सरकार के पास जब तक ऐसे निवृत्त करार आधारित और कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाते अधिकारियों से विकास की आशा रखी जाती है तब तक एक सभी अधिकारी और तथाकथित लोग जुमले बाजी करते रहेंगे । और आज गिरवी शायद कल यदि ऐसे ही क्रम चलता रहेगा फिर वापस वहीं पहुंच जायेंगे जहां से शुरूवात हुई थी। 
गुजरात राज्य की मार्ग और मकान स्टेट कार्यालय में आज 74 वर्षों के बावजूद गरीबों आदिवासियों मजूरों दलितों आर्थिक पिछड़े वर्गों कर्मचारियों को लघुत्तम मासिक वेतन धारा १९४८ जैसे कानून को लागू करने की जरूरत नहीं है। आज भी यहां मजदूरों कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा जमकर उठाया जा रहा है। बहुमंजिला इमारतों में चंद वर्षों में खंडहर जैसी हालत हो जाती है। और जवाबदेही किसी अधिकारी की नहीं होती। लाखों रुपए वेतनधारी इंजीनियर आज जमीन से अधिक फाइलों में व्यस्त पाये जाते हैं। आज लगभग सभी रोड एक ही वरसात में टीवी और लकवा ग्रस्त हो जाते हैं। आरटीआई २००५ हो आरसीपीएस २०१३ ,लघुत्तम मासिक वेतन धारा १९४८ हो कर्मचारी राज्य बीमा निगम १९८६ आज तक इस विभाग में प्रवेश तक नहीं कर पाये। आज सभी कानून यहां ऐसे वायरस के मरीज बन चुके हैं जिसकी दवा नहीं मिल रही है। आज भ्रष्टाचार का वायरस इस विभाग में सदियों से राज कर रहा है। मार्ग और मकान पंचायत हो कि राज्य कचेरी यहां एक बार जहां भर्ती हो गयी रिटायर होने तक वहीं राज कर रहा है। यहां समझना मुश्किल हो चुका है कि सरकार के नियमों को यहां पालन करवाने में जवाबदेही किसकी है ? गुजरात राज्य सूचना आयोग कमिश्नर तक पक्षपात करते पाए गए। गरीबों आदिवासियों  दलितों आर्थिक पिछड़े वर्ग से आये मजूरों कर्मचारियों को लघुत्तम मासिक वेतन देने से भारत देश की निजता अखंडिता पर कैसे चोट लगती है समझना मुश्किल हो चुका है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम यहां अब तक पालन करवाना कैसे उनका निजी हो जाता है। जिसका परिणाम आज यहां नायब कलेक्टर जैसे अधिकारियों को हाईकोर्ट जमकर लताड़ के साथ बीस हजार जुर्माना लगाई है। कायदे-कानून की यहां जमकर धज्जियां उड़ाई जाती है। आज ऐसे बड़े पैमाने पर सरकार के नियमों का पालन करवाना कैसे दूभर हो गया है। सरकार के सर्वोच्च अधिकारी एक बार जरूर पढ़ें। और यदि समझ में आये फिर आज सभी की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है । सरकार ही नहीं मजदूरों की हालत सिक्यूरिटी गार्डो कर्मचारियों जिन्हें नियमों के मुताबिक लघुत्तम मासिक वेतन भी नहीं मिलता । भ्रष्टाचार अधिनियम १९८८ आज जमीन से संन्यास ले चुका है। छोटे छोटे पहलुओं पर विचार बड़े स्तर पर कामयाबी हासिल की जा सकती है। एक बार जरूर पढ़ें।

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