Thursday, January 7, 2021

नवसारी कृषि युनिवर्सिटी मेंं पहेरेदारो पर शोषण बंद करने हेतु मानवाधिकार संस्था के संज्ञान से मचा हणकंप ...! सरकारी अधिकारी और नवसारी कृषि युनिवर्सिटी की जवाबदेही का पर्दाफाश ...!




नवसारी कृषि युनिवर्सिटी मेंं  पहेरेदारो पर शोषण बंद करने हेतु मानवाधिकार संस्था के संज्ञान से मचा हणकंप ...!

सरकारी अधिकारी और नवसारी कृषि युनिवर्सिटी की जवाबदेही का
पर्दाफाश ...!

         गुजरात की सर्वश्रेष्ठ भारत की पहचान विश्व में टोप टेन में नवसारी कृषि युनिवर्सिटी में सुरक्षा गार्डो का आज वर्षो से जमकर शोषण किया जा रहा है। और लाखों रूपये वेतनधारी जिनकी जवाबदेही है उन्हे मिली सूचना के अनुसार नवसारी कृषि युनिवर्सिटी के आरक्षण से जन्मे अधिकारियों को लघुतम मासिक वेतन धारा 1948 की खबर ही नही है। और सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में खुलासा और सरकारी नियमो के मुताबिक सरकारी अधिकारी और कृषि युनिवर्सिटी के महामहिम की संयुक्त जवाबदेही होने के बावजूद रूबरू मुलाकात में पता चला है कि यह सभी उनकी जवाबदारी है । परंतु आज तक सुरक्षा गार्डों को सरकार के नियमो के मुताबिक न ही वेतन दे पाये, न ही कोइ सुविधा दिलवाने में सक्षम हैं। और नवसारी कृषि युनिवर्सिटी में सभी ऐसे गैरजवाबदार अधिकारी  जिले के कलेक्टर से न ही कम वेतन पाते है न ही किसी प्रकार की सुविधा में कोई सरकार कमी करती है। नवसारी कृषि युनिवर्सिटी में लगभग सभी जन हित संबंधित काम एक हिटलरशाही के नियम से करने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी में करीबन 70 लाख की खर्च पर बेकरी प्रोडक्ट की तालीम दी गई। पता चला कि यह एक जुमला था जिसकी आज मार्केट में कुछ ज्यादा जरूरत नही है।और कृषि युनिवर्सिटी के विद्वानों ने रोजगार देने वाले सरकारी रकम को वेतन मे डालकर पूरा कर दिया।और इसी क्रम मे नवसारी कृषि युनिवर्सिटी के मार्ग और मकान विभाग में भारत के किसी भी कचेरी के समकक्ष नियमो का पालन नही किया जाता और न ही यहां किसी भी फरियाद की जांच करने के लिए नवसारी से लेकर गांधीनगर तक कोई तपास करने के लिए अधिकारी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो यहाँ नवसारी कृषि यूनिवर्सिटी में ज्यादातर सभी प्राकृतिक मनमोहक दृश्य में विहार करने आते हैं। जानकारो की माने तो नवसारी कृषि युनिवर्सिटी आज सिर्फ गुजरात सरकार के ऊपर बोझ बन चुकी है। विद्वानों के मतानुसार ऐसी युनिवर्सिटी को सरकार को तत्काल खानगीकरण करना चाहिए। और जो भी अधिकारी दोषी पाये जायें उनकी जांच करवा कर सरकारी सेवालय में सुविधा करवानी चाहिए। आज भारत आर्थिक तंगी से जूझ रहा है किसान से लेकर जवान तक सड़को पर डेरा डालकर बैठा है। बेरोजगारी मंहगाई चरमसीमा पर राज कर रही है।और यहां आरक्षण भ्रष्टाचार का दबदबा है। यदि ऐसी हालत बनी रही और ऐसी यूनिवर्सिटी जिसका आधुनिक भारत मे कोइ रोल नही है । उसके पीछे करोड़ो रूपये खर्च करना किसी बेवकूफी से कम जानकार नही मानते। आधुनिक खेती की पढ़ाई होती और मार्गदर्शन दिया जाता तब आज यह हालत ही नही होती। फिर भारत जैसे विशालकाय देश जहाँ तीन चोथाई भाग सिर्फ कृषि आधारित नागरिक हैं। और हालत बद से बदतर देखी जा रही है ।जवान और किसान आज यदि रास्ते पर आंदोलन कर रहे है ।आत्महत्या करने पर मजबूर है ।तो उसकी जवाबदेही ऐसे विश्व विद्यालय का है जिनकी जवाबदेही आधुनिक खेती की है।
     नवसारी कृषि युनिवर्सिटी में यदि कायदेसर जांच करवाई जाय और आज जिसकी भारत को जरूरत है इस हिसाब से जो आउटपुट कृषि के क्षेत्र में मिलना चाहिए जानकारो की माने तो माइनस है। सरकार आज सभी क्षेत्रों में अपनी हिस्सेदारी उद्योगपतियों को देने में मजबूर है। और यहाँ अधिकारियों ने इसे धर्मशाला बनाकर रख दिया है। नवसारी कृषि युनिवर्सिटी में सुरक्षा गार्डो को बारह घंटे काम करवाया जाता है और सिर्फ आठ घंटे का वेतन दिया जाता है। और यह अब सरकार के श्रम अधिकारी को भी पता है। परंतु परिणाम में ढाक के तीन पात । भ्रष्टाचार आज यहाँ सभी सीमाओं को पार कर चुका है। नवसारी जिले के लेबर ओफीसर स्वयं जाकर जांच किया और पाया कि यहाँ बारह घंटे काम के बदले आठ घंटे का वेतन दिया जाता है। परंतु मामला साफ होने के बावजूद अब नामदार कोर्ट में फरियाद करने के लिए अधिकारी श्री के पास कानून मे कमी अचानक मिलना किसी और का सूचक है। ऐसी एजेंसियों को तत्काल मान्यता रद्द करने के बजाय छटकबारी करना कहां से न्याय है। इसे किसी भी तर्क से मानना संभव नही है।और यदि सभी अधिकारी और प्रशासन इस आश में छटकबारी करना चाहते है कि एक गरीब मजबूर जिसके पास न ही कोइ संसाधन है और न ही कोइ जानकारी और संपत्ति है वह जाकर अपने लिए नामदार कोर्ट में केस करेगा फिर ऐसे अधिकारियों की क्या जरूरत है ? और वैसे भी सिर्फ़ टाईम पास करना और वेतन मिलेगा ऐसी सोच वाले संबंधित सभी अधिकारियों को अब सरकार की भ्रष्टाचार विरुद्ध भारत की योजना के मुताबिक़ कायदेसर कोइ जरूरत नही है। और जब यह समाचार को पढ़ रहे है कृषि युनिवर्सिटी और सरकारी अधिकारी दोनो की संयुक्त जवाबदारी है दोनो मिलकर तत्काल सरकार के नियमानुसार बारह घंटे काम करने वाले सिक्योरिटी गार्डो को पद्धति के मुताबिक वेतन जब से यह काम करवाया जा रहा है तब से दिलवायें । अन्यथा कायदे कानून के जानकारों की माने तो सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही को सौ प्रथम मानकर गुजरात और भारत सतर्कता आयोग के साथ नामदार कोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया की लोक चर्चा को इंकार करना संभव नही ।
      समाचार को अब गंभीरता से लेकर कृषि युनिवर्सिटी के लाखो रूपये वेतनधारी अधिकारी और आरक्षण की किताब से प्रकटे सरकारी अधिकारी तत्काल संज्ञान में लेकर कार्यवाही करेंगे कि सरकार के द्वारा दी गई सत्ता का दुरूपयोग में इस भ्रष्टाचार में मिलीभगत और सहभागीदार बनकर नामदार कोर्ट के न्याय मंदिर की फेरी लगायेंगे।

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