Friday, March 29, 2019

नवसारी जिले में महात्मा गांधी निर्वाण दिन पर 5 करोड 29 लाख का खर्च का हिसाब कौन देगा ..? जवाबदेही किसकी ..? मार्ग और मकान विभाग के अधिकारी ...!

 नवसारी जिले में महात्मा गांधी निर्वाण दिन पर 5 करोड 29 लाख का खर्च का हिसाब कौन देगा ..? जवाबदेही किसकी ..?
 मार्ग और मकान विभाग के अधिकारी ...!
 मोदी के नाम पर 5 करोड 29 लाख रूपये खर्च किये कि गांधी के नाम पर ? 
 जनता का ..? सत्ता पक्ष का....? जवाबदेही किसकी ?        नवसारी जिले में महात्मा गांधी के निर्वाण दिन पर मिले सूचना के आधार पर 5 करोड़ों 29 लाख से अधिक रूपये सिर्फ़ कार्यक्रम मे खर्च किये गये। और एक आरटीआइ द्वारा इस खर्च के बारे मे नवसारी जिले मे करार आधारित बिना किसी को बताये औरो की इंटरव्यु मे बुलाये पूछे वगर भरती किये गये मार्ग और मकान स्टेट के कार्य पालक इजनेर श्री जी.जे. खैर जिनके पास अब कोइ सत्ता नही है। उन्होने जवाब दिया है कि मान.प्रधानमंत्री उपस्थित थे। फिर सवाल उठता है कि करोड़ों का तंबू किसके लिए था। जब कि आज नवसारी की अधिकतर नागरिकों को पीने के लिए शुद्ध पानी नही है। मिली जानकारी के अनुसार करोडो के तंबू की सभा मे अधिकतर महिलाओं ने कमल निशान वाली साडी पहन कर आई थी। और भगवा रंग टी सर्ट की पुरी जमात एक आगे अलग ग्रुप बनाकर बैठाया गया था। सुत्रो के हवाले से प्राप्त सूचना के अनुसार सिर्फ इसी ग्रुप से  कुछ कुछ समय के बाद सिर्फ मोदी मोदी के नारे लगाने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग देकर बैठाया गया था। सभा मे ज्यादातर नारे इसी ग्रुप से नारे लगाए गये। जिसे सभी ने देखा है। और आज करार आधारित श्री खैर अलग दिशा मे क्यों लेकर जाना चाहते है। जबकि इनकी भर्ती कायदेसर नही हुई है। गुजरात में गांधीनगर के कार्यालय का नाम लेकर ऐसा सावित करना चाहते हैं कि गांधीनगर के कार्यालय से लिखा गया पत्र मे भ्रष्टाचार नही हो सकता । चल रही खबरें और आरटीआई से मिली सूचना के आधार एक दूसरे का खंडन कर रही है। अब इसे समझना मुश्किल हो रहा है कि महात्मा गांधी के नाम पर यह सरकारी प्रोग्राम था कि भारतीय जनता पार्टी की चुनावी सभा। 5 करोड 29 लाख से अधिक रूपये खर्च  हुआ । आज इसे जानने के लिए सरकार के नियमानुसार आरटीआई मागी गई है। इसे संबंधित कचेरी के करार आधारित जिसके पास कोइ अधिकार नही है बताने मे भटकाने की कोशिश क्यों कर रहे है?आज तक करार अधारित अधिकारी को आरटीआई का मजाक और उलंघन करने में कोई कसर बाकी नही रखना चाहते। यह अभी तक किसी भी कार्यालय में ट्रांसफर न करने और कायदेसर कार्यवाही न करने से साफ जाहिर हो रहा है। और इसमे सरकारी खर्च करने के आदेश कहां से आते है? कितना खर्च किया जायेगा ? इसका हिसाब किसके पास है।  और मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री है कि सिर्फ और सिर्फ़ भाजपा के..? सरकार की तिजोरी क्यों खाली करवाई गई ? जब कि गुजरात सरकार की आर्थिक स्थिति और परिस्थिति दोनो कर्जदार है। नवसारी जिले मे कुपोषण से आकडे कम होने के नाम नहीं ले रहे है। गुजरात की इस समय हकीकत मे आर्थिक हालत बेहद कमजोर है। शिक्षा सुरक्षा स्वास्थ्य तीनों विभाग कमजोर हो चुके है।सुरक्षा विभाग मे नागरिकों के पास संबंधित ट्राफिक सुरक्षा सभी को एक एक लाख रुपये दंड करकर वसूल करने का लक्ष्यांक रखा गया है। गुजरात मे हालत मार्ग और मकान स्टेट जिसमे सरकार सबसे ज्यादा खर्च करती है ।आज हालात बद से बदतर हो चुकी है। करोडो मे ही खर्च करने वाले विभाग मे आज हंगामी करार आधारित जिले के मुख्य अधिकारी के रूप मे नियमित नियुक्ति करना अपने आप मे दर्शाता है कि गुजरात के अच्छे और विकास समृद्ध पारदर्शी सरकार अब निसहाय होने के कगार पर आ चुकी है। और एक अच्छे नवयुवक भारत नव गुजरात के आधुनिक वैज्ञानिक की जगह करार आधारित और वह भी रिटायर रिजेक्टेड एक्सपायरी डेट युक्त जिसे अब अधिकारी भी नही कह सकते। क्योंकि अधिकारी को अधिकार होता है। इनका अब कोई अधिकार भी नहीं है। इसलिए हम भूतपूर्व शब्द का उपयोग करते है। ऐसे अधिकारी अब सूचना के अधिकार से इतना डर चुके है। अथवा न देने की वजह बहुत बडा भ्रष्टाचार हो सकता है। डर की वजह नहीं है। भ्रष्टाचार जरूर हो सकता है। नवसारी जिले के मार्ग और मकान के सर्वोच्च अधिकारी फिलहाल सूचना के अधिकार से बचते हुए नजर आ रहे है। शायद इन्हें अभी तक समझ नहीं आई कि सूचना कलम 24 मे मागी गई  है । कायदेसर यह सूचना जो 24 घंटे का हिसाब निकलवाने मे सक्षम है। और इसमे किसी को भी किसी भी हालात मे बख्सा नही जाता। अब देखना दिलचस्प हो गया है कि संबिधान मजबूत है कि इनकी पहचान। फिलहाल अब इसे अपील अधिकारी जो सिर्फ अपील अधिकारी ही नही सुपरवाईजरी ओथोरिटी भी है । उनका भी इतिहास और भरती प्रकृया कुछ इसी तरह है। अभी तक इस आरटीआई का जवाब देही से अपना पल्ला झाड रहे है। शायद उन्हें पता नही कि ऐसे ही एक हुकम के अनुसार आज करार आधारित मे सिर्फ़ और सिर्फ़ अब कायदेसर उनकी जवाब देही बनती है। अभी अभी हाल मे द्वितीय अपील मे अरजदार के सामने गुजरात सूचना अधिकार के कमिश्नर श्री आर.आर. वरसाणी ने माना कि गुजरात मे आरटीआई कायदे से नही चल रही है। और अपने ही जाल मे फसे आरटीआई के राज्य कमिश्नर नवसारी कलेक्टर को ही हुक्म दे बैठे। अब देखना होगा कि महात्मा गांधी के नाम पर मोदी सभा कर रहे थे। कि मोदी के नाम पर गांधी बापु अपना बर्चस्व बढा रहे थे। आज आम जनता इस पर नजर रखी है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मुद्दे पर सभी पार्टियों की नजर बनी हुई है । जिस पर जम कर राजनीति होने के आसार नजर आ रहे हैँ। अपील अधिकारी श्री चौधरी इस पर क्या कार्यवाही करते है सबकी नजरें लगी हुई है।

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