Tuesday, March 5, 2019

मोदी के नाम करोड़ों खर्च के गांधी के नाम पर..?

मोदी के नाम पर करोडो खर्च कि गांधी के नाम पर ? 
जनता का ..? सत्ता पक्ष का....? जवाबदेही किसकी ? 
      नवसारी जिले मे महात्मा गांधी के निर्वाण दिन पर मिले सूचना के आधार पर करोड़ों रूपये सिर्फ़ तम्बू मे खर्च किये गये। सभा मे अधिकतर महिलाओं ने कमल निशान वाली साडी पहन कर आई थी। और भगवा रंग टी सर्ट की पुरी जमात एक आगे अलग ग्रुप बनाकर बैठाया गया था। जिसे खासकर कुछ कुछ समय के बाद सिर्फ मोदी मोदी के नारे लगाने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग देकर बैठाया गया था।सभा मे ज्यादातर नारे इसी ग्रुप से नारे लगाए गये। 
चल रही खबरें और आरटीआई से मिली सूचना के आधार एक दूसरे का खंडन कर रही है। अब इसे समझना मुश्किल हो रहा है कि महात्मा गांधी के नाम पर यह सरकारी प्रोग्राम था कि भारतीय जनता पार्टी की चुनावी सभा। खर्च कितना हुआ । इसे जानने के लिए सरकार के नियमानुसार आरटीआई मागी गई है।
इसे संबंधित कचेरी बताने मे भटकाने की कोशिश क्यों कर रही है? यदि यह सरकारी सभा थी सरकार के पैसे खर्च हुए फिर उस सभा मे कमल वाली साडी और सिर्फ सत्ता पक्ष ही क्यों..? और इसमे सरकारी खर्च करने के आदेश कहां से आते है। कितना खर्च किया जायेगा। इसका हिसाब किसके पास है। 
और मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री है कि सिर्फ और सिर्फ़ भाजपा के..? सरकार की तिजोरी क्यों खाली करवाई गई। जब कि गुजरात सरकार की आर्थिक स्थिति और परिस्थिति दोनो कर्जदार है। नवसारी जिले मे कुपोषण से आकडे कम होने के नाम नहीं ले रहे है।
गुजरात की इस समय हकीकत मे आर्थिक हालत बेहद कमजोर है। शिक्षा सुरक्षा स्वास्थ्य तीनों विभाग कमजोर हो चुके है। गुजरात मे हालत मार्ग और मकान स्टेट जिसमे सरकार सबसे ज्यादा खर्च करती है ।आज हालात बद से बदतर हो चुकी है। करोडो मे ही खर्च करने वाले विभाग मे आज हंगामी करार आधारित जिले के मुख्य अधिकारी के रूप मे नियमित नियुक्ति करना अपने आप मे दर्शाता है कि गुजरात के अच्छे और विकास समृद्ध पारदर्शी सरकार अब निसहाय होने के कगार पर आ चुकी है। और एक अच्छे नवयुवक भारत नव गुजरात के आधुनिक वैज्ञानिक की जगह करार आधारित और वह भी रिटायर रिजेक्टेड एक्सपायरी डेट युक्त जिसे अब अधिकारी भी नही कह सकते क्योंकि अधिकारी को अधिकार होता है। इनका अब कोई अधिकार भी नहीं है। इसलिए हम भूतपूर्व शब्द का उपयोग करते है। ऐसे अधिकारी अब सूचना के अधिकार से इतना डर चुके है। अथवा न देने की वजह बहुत बडा भ्रष्टाचार हो सकता है। डर की वजह नहीं है। भ्रष्टाचार जरूर हो सकता है। नवसारी जिले के मार्ग और मकान के सर्वोच्च अधिकारी फिलहाल सूचना के अधिकार से बचते हुए नजर आ रहे है। शायद इन्हें अभी तक समझ नहीं आई कि सूचना कलम 24 मे मागी गई  है । कायदेसर यह सूचना जो 24 घंटे का हिसाब निकलवाने मे सक्षम है। और इसमे किसी कोभी किसी भी हालात मे बख्सा नही जाता। अब देखना दिलचस्प हो गया है कि संबिधान मजबूत है कि इनकी पहचान। फिलहाल अब इसे अपील अधिकारी देख रहे है। वैसे तो अभी अभी हाल मे द्वितीय अपील मे अरजदार के सामने गुजरात सूचना अधिकार के कमिश्नर श्री आर. वरसाणी ने माना कि गुजरात मे आरटीआई कायदे से नही चल रही है। और अपने ही जाल मे फसे आरटीआई के राज्य कमिश्नर नवसारी कलेक्टर को ही हुक्म दे बैठे। अब देखना होगा कि महात्मा गांधी के नाम पर मोदी सभा कर रहे थे। कि मोदी के नाम पर गांधी बापु अपना बर्चस्व बढा रहे थे। आज आम जनता इस पर नजर रखी है।

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